पाक की पैरवी कर मिशन 44 पूरा करना चाहते हैं उमर अब्दुल्लाह!
[ऋचा
बाजपेयी]
मंगलवार
को
जम्मू
कश्मीर
विधानसभा
के
अंदर
का
माहौल
बदला
हुआ
था
और
मुख्यमंत्री
उमर
अब्दुल्लाह
के
खिलाफ
विपक्षी
पार्टियों
की
ओर
से
जोर-शोर
से
नारेबाजी
की
जा
रही
थी।
विपक्षी दल उमर अब्दुल्लाह से जानना चाहते हैं कि अभी तक उमर ने सीमा पर स्थित गांव वालों की सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम किए हैं। वहीं उमर तो इस बात पर अटके हैं कि पाक की ओर से होने वाली फायरिंग उनके बस में नहीं है और उसे रोकना मुश्किल है।
उमर अब्दुल्लाह ने सोमवार को विधानसभा में जो बयान दिया उससे ने सिर्फ पूरे देश में बल्कि कश्मीर के अंदर का माहौल बदल गया है। उमर की मानें तो पाकिस्तान की ओर से सीमा पार से जारी गोलीबारी को रोक पाना मुश्किल है और अब यह देखना होगा कि केंद्र की सरकार इस पर जो कार्रवाई करनी चाहिए वह करती है या नहीं।
उमर के इस बयान के बाद से ऐसा लगने लगा है कि क्या उमर, पाक की पैरवी कर विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी की जीत और फिर से मुख्यमंत्री का सपना तो पूरा नहीं करना चाहते हैं।
इस बाबत हमने कश्मीर मामलों के जानकार वीरेंद्र सिंह चौहान से बात की और जानने की कोशिश की कि क्या उमर अब्दुल्लाह इस तरह की बयानबाजी कर वोटर्स की सहानुभूति और वोट्स हासिल करने का अपना सपना पूरा कर पाएंगे।
पाक के लिए भावनाएं जाहिर करते उमर
उमर अब्दुल्लाह ने सोमवार को भारत के उस कदम का भी विरोध भी किया जिसमें पाक के साथ 25 अगस्त को होने वाली सचिव स्तर की वार्ता का कैंसिल कर दिया गया था। उमर अब्दुल्लाह के मुताबिक अलगाववादियों हमेशा से ही पाक के लिए नैतिक समर्थन की तरह रहे हैं और ऐसे में बातचीत को कैंसिल नहीं किया जाना चाहिए था।
वीरेंद्र सिंह चौहान के मुताबिक यह पहली बार नहीं है जब उमर अब्दुल्लाह की ओर से इस तरह का बयान देकर पाक के लिए अपनी भावनाएं जाहिर करने की कोशिश की गई हो। वह अक्सर ही अप्रत्यक्ष तौर पर पाक का समर्थन करते रहते हैं।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण लोकसभा चुनावों के दौरान देखने को मिला था जब उन्होंने अचानक ही धारा 370 का मुद्दा उठा दिया था। धीरेंद्र सिंह चौहान की मानें तो उमर जो कि एक निर्वाचित मुख्यमंत्री हैं, जब यह बयान देते हैं कि अगर 370 को हटाया गया तो कश्मीर और भारत के बीच सभी संबंध खत्म हो सकते हैं, अपने आप ही हैरानी होती है। इससे पहले उनके दादा शेख अब्दुल्लाह भी अक्सर ऐसी बातें करते थे।
मिशन 44 कभी हासिल नहीं हो सकेगा
वीरेंद्र सिंह चौहान के मुताबिक उमर अक्सर ही राष्ट्रविरोधी बयान देते हैं और इससे कहीं न कहीं यह बात भी साफ हो जाती है कि बतौर जम्मू-कश्मीर मुख्यमंत्री उनके नैतिक बल में कमी है। वह कभी भी हुर्रियत, सीजफायर वॉयलेशन और इस तरह के नाजुक मुद्दों के बारे में कभी भी कुछ नहीं कहेंगे।
लेकिन साथ ही अगर उन्हें यह लगता है कि पाक की पैरवी कर उन्हें विधानसभा चुनावों में वोट्स हासिल हो जाएंगे तो वह गलत हैं। जम्मू-कश्मीर की जनता पूरी तरह से संसदीय प्रक्रिया के तहत वोट डालेगी और वह जानती है कि एक मुख्यमंत्री के तौर पर उमर का रिकॉर्ड कैसा रहा है। ऐसे में वोट्स हासिल करने का उनका सपना कभी पूरा नहीं हो सकेगा।