गांव में एक भी मुसलमान नहीं, फिर भी मना रहे ईद का जश्न
यह सुनते ही आपके जहन में आया होगा कि ईद के दिन जरूर इस गांव में त्योहार की रौनक नहीं होगी, लेकिन अगर वाकई में आप ऐसा सोच रहे हैं तो आप गलत हैं, क्योंकि मध्य प्रदेश में एक ऐसा ही गांव है, जहां एक भी मुसलमान नहीं रहता, लेकिन फिर भी यहां ईद उतने ही उत्साह के साथ मनायी जा रही है, जितनी कि आपके मोहल्ले में।
नमाज़ अता करते हैं हिंदू
गांव का नाम है बसाहरी गांव, जो सागर जिले में है। अफसोसवश पिछले 30 वर्षों से इस गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं है। फिर भी यह गांव धर्म के नाम पर सियासत करने वालों के लिये एक सबक है, जो हमेशा समाज को बांटने की चाल चलते हैं। इस गांव में इबादत और आस्था के आगे किसी की नहीं चलती।
गांव में स्थित मुक्कनशाह अली चिश्ती पीर की दरगाह है जो यहां के हिंदुओं के लिये आस्था का केंद्र है। यहां रमजान के पाक महीने में हिंदू लोग नमाज अता करते हैं और धूमधाम से ईद मनाते हैं। खास बात तो यह है कि इस गांव की आबादी आठ हजार के करीब है। इस दरगाह पर बीते कुछ वर्षों से नमाज एवं ईद मनाने की रस्म होती आ रही है। इस रस्म को मुस्लिम परिवार ही नहीं, बल्कि हिंदू परिवार भी निभाते आ रहे हैं।
इस गांव से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
-
रमजान
और
खासकर
ईद
के
मौके
पर
यहां
दरगाह
पर
चादर
चढ़ाई
जाती
है
और
सेवइयां
बांटी
जाती
हैं।
-
इस
दरगाह
के
खिदमतगार
मुसलमान
नहीं
हिंदू
हैं।
नाम
प्रेमशंकर
सोनी।
- हिंदू यहां पिछले 11 वर्षों से एक रोजेदार की तरह ही रोजा रखते हैं, नमाज अता करते हैं।
-
यह
दरगाह
200
वर्ष
पुरानी
है।
- एक भी मुसलमान नहीं होने के बावजूद दरगाह पर चिराग रखने, अगरबत्ती जलाने और नमाज अता करने का सिलसिला जारी है।
-
ईद
के
मौके
पर
इस
गांव
में
जलसे
का
आयोजन
किया
जाता
है।
-
जलसा
से
पहले
रोजेदार
जुलूस
की
शक्ल
में
पूरे
गांव
में
घूमने
के
बाद
दरगाह
पर
पहुंचते
हैं।
फिर
चादर
चढ़ाई
जाती
है।
- ईद की बधाई देने का सिलसिला शुरू होता है और दरगाह पर ही सेवइयां बांटी जाती हैं।