हरियाणा में कम हुआ मोदी का जादू, पर भाजपा आगे
अब कांग्रेस के बड़े नेता बीरन्द्र सिंह भी आ रहे हैं। उनकी जींद में 18 अगस्त को रैली है। उसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी रहेंगे। बीरेन्द्र सिंह आजकल राज्य सभा से सांसद है। एक दौर में उन्हें राजीव गांधी का करीबी माना जाता है।
गुड़गांव-फरीदाबाद में हलचल
हरियाणा विधान सभा में 90 सीटें हैं। इनमें 8 सीटें एनसीआर में हैं। चार गुड़गांव में और चार फरीदाबाद में। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को एक ही सीट मिली थी। इससे साफ है कि प्रदेश की जनता कांग्रेस की हुड़्डा सरकार से आजिज आ चुकी है। उसे बदलाव चाहिए। हुड्डा पर आरोप लगता रहा है कि उन्होंने सोनीपत, रोहतक और झज्जर का ही विकास किया। उन्होंने इन तीन जगहों को ही हरियाणा माना। इसके चलते उनसे जनता के अलावा पार्टी के नेता भी दूर होने लगे। पहले पूर्व केन्द्रीय मंत्री शैलजा ने उन पर रोहतक के अलावा बाकी प्रदेश की अनदेकी का आरोप लगाया था।
जानकारों का कहना है कि चुनाव से पहले भाजपा और ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (इनलोद) अलग-अलग चुनाव लडेंगे। हां,जरूरत पड़ी तो चुनाव के बाद मिलकर दोनों सरकार बना सकते हैं। उधर, अनूप विश्नोई की हरियाणा जनहित पार्टी के लिए कोई खास गुंजाइश नहीं दिख रही चुनावों में। भाजपा के भीतर राय यह है कि उससे तालमेल ना किया जाए। उसका कोई आधार नहीं है। पर भाजपा नेता सुषमा स्वराज की चाहत है कि हरिय़ाणा जनहित कांग्रेस से संबंध बनाए रखे जाएं।
आप मिल जाती धूल में
हरियाणा की सियासत को जानने वाले कहते हैं कि आम आदमी पार्टी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव से अपने को दूर रखने का फैसला करके समझदारी ही दिखाई क्योंकि अगर वह मैदान में उतरती तो उसे बुरी तरह से मात मिलती। उसका प्रदेश में कोई आधार नहीं है। इस बात को पार्टी ने नेताओं ने लोकसभा चुनावों के दौरान देख भी लिया। कुल मिलाकर भाजपा बाकी से आगे दिखती है।