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नटवर सिंह का दावा ..सोनिया कोई त्यागमूर्ति नहीं.. जो पीएम सीट छोड़ें

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नई दिल्ली। आज एक बार फिर से पूरा देश उस सवालों के चक्रव्यूह में फंसा हुआ है जिसका जवाब वो साल 2004 से खोज रहा है। कांग्रेस के दिग्गज और देश के पूर्व विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह ने एक किताब लिखी है जिसका नाम है One Life Is Not Enough..400 पन्नों की इस किताब में कुंवर नटवर सिंह ने काफी चौंकाने वाले खुलासे किये हैं। जिसके तहत उन्होंने देश के उस त्याग पर सवाल खड़ा कर दिया है जिसके तहत यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को देश की त्यागमूर्ति कहा जाता है।

.सोनिया कोई त्यागमूर्ति नहीं. राजनीति में कोई त्याग नहीं करता..

नटवर सिंह ने लिखा है कि साल 2004 में जब कांग्रेस सत्ता में आयी तो उनके बेटे राहुल गांधी ने सोनिया गांधी को पीएम बनने से रोका था क्योंकि उन्हें डर था कि उनकी दादी और उनके पापा की तरह की सोनिया गांधी की भी हत्या हो जायेगी। राहुल के इस डर के ही कारण सोनिया ने पीएम की कुर्सी को मना किया ना कि उन्होंने कोई त्याग किया है। नटवर सिंह की इस बात से कांग्रेस के मिजाज पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है क्योंकि सोनिया ने पीएम पद छोड़ा है इस बात को कांग्रेस ने काफी भूनाया है और सोनियां गांधी को त्यागमूर्ति के रूप में पेश करने की कोई कसर उन्होंने नहीं छोड़ी है।

2004 में राहुल की वजह से सोनिया नहीं बनीं PM

न्यूज चैनल आज तक को दिये गये एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में नटवर सिंह ने जाने-माने न्यूज एडीटर पु्ण्य प्रसून बाजपेयी से हालांकि सोनिया के इस सच को जरूर बयां किया है लेकिन साथ ही उन्होंने सोनिया गांधी की तारीफ भी की लेकिन इतना जरूर बोला कि सोनिया गांधी के मिजाज में काफी परिवर्तन आ गया है। जैसे-जैसे सत्तासीन उनका पार्टी होती गई वैसे-वैसे उनका स्वभाव बदलता गया।

पू्र्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की अकस्मात मौत के बाद जो सोनिया गांधी सीधी, शर्मिली और चुपचाप रहने वाली थीं वो साल 2004 में आते-आते जिद्दी, महत्वाकांक्षी और गु्स्सैल हो गईं हैं। नटवर सिंह ने साफ लफ्जों में कहा कि मेरी कोई पर्सनली दुश्मनी सोनिया जी से नहीं हैं। साल 2004 में जब मेरी बाईपास सर्जरी हुई तो सोनिया गांधी पर्सनली मुझसे मिलने आयी थीं, यही नहीं जब मेरी बेटी का निधन हुआ था तो सोनिया गांधी अकेली ऐसी नेता थीं जो ना केवल मुझे और मेरे परिवार को सांतवना देने आयीं बल्कि उन्होंने पूरे संस्कार कार्यक्रम में मेरा और मेरे परिवार का साथ दिया और उस दुख की घड़ी में हमारे साथ खड़ी रहीं।

नटवर सिंह ने और भी बहुत कुछ अपनी किताब One Life Is Not Enough..में लिखा है जिसे विस्तार में जानने के लिए आप नीचे की स्लाइडों पर क्लिक कीजिये...

प्रश्न: नटवर जी आपने अपनी किताब का नाम One Life Is Not Enough क्यों रखा?

प्रश्न: नटवर जी आपने अपनी किताब का नाम One Life Is Not Enough क्यों रखा?

नटवर सिंह: क्योंकि मुझे वाकई में लगता है कि अपने सवालों का जवाब खोजने के लिए एक जिंदगी काफी नहीं हैं, आप सभी को एक साथ संतुष्ट नहीं कर सकते हैं इसलिए मेरी नजर में One Life Is Not Enough।

प्रश्न: सोनिया-प्रियंका ने आपको किताब लिखने से रोका था?

प्रश्न: सोनिया-प्रियंका ने आपको किताब लिखने से रोका था?

नटवर सिंह: हां.. जब कांग्रेस को खबर लगी कि मैं किताब लिखने जा रहा हूं तो प्रियंका गांधी ने मुझसे मिलने की इच्छा जताई और जब मैं प्रियंका को घर आने के लिए कहा तो अचानक से सोनिया भी मेरे घर आ गईं और कहा कि गलती हो गई नटवर जी, इसलिए आप ऐसा कुछ ना लिखें जिससे कुछ पार्टी को नुकसान हो। तब मैंने कहा था कि देखिये सोनिया जी, किताब तो मैं लिखूंगा लेकिन वो ही लिखूंगा जो कि सच है, मैं घटिया बाते नहीं लिखूंगा और आज मैंने सच लिख दिया।

प्रश्न: किसी और ने भी पीएम बनने से मना किया था?

प्रश्न: किसी और ने भी पीएम बनने से मना किया था?

नटवर सिंह: हां केवल सोनिया गांधी ही त्याग की मू्र्ति नहीं हैं। सच कहा जाये तो पीएम बनने के लिए केवल एक शख्स ने मना किया था और वो थे देश के पूर्व राष्ट्रपति डां. शंकर दयाल शर्मा। जिनके पास मुझे और अरूणा आसिफ अली को सोनिया ने संदेश लेकर भेजा था कि वो पीएम बन जायें जिस पर शंकर दयाल शर्मा ने कहा था कि उनकी अवस्था अब पीएम बनने की नहीं हैं। मेरी गिरती सेहत पीएम पद के लिए उप्युक्त नहीं हैं क्योंकि मैं 18-20 घंटे काम नहीं कर सकता हूं।

प्रश्न: क्या मनमोहन सिंह को पीएम बनाने के लिए कुछ समझौते हुए थे?

प्रश्न: क्या मनमोहन सिंह को पीएम बनाने के लिए कुछ समझौते हुए थे?

नटवर सिंह: इस सवाल का जवाब देते हुए नटवर सिंह ने हंसते हुए कहा कि.. इस बात का जवाब देना मैं उचित नहीं समझता हूं लेकिन आप खुद ही अंदाजा लगा लीजिये जो इंसान सुबह-शाम किसी को सलाम ठोंके तो उसका क्या हो सकता है।

प्रश्न: जिस समय आपको उपेक्षित मानकर पार्टी में विद्रोह हो रहा था और सोनिया ने आपके लिए कहा कि उन्हें धोखा मिला इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?

प्रश्न: जिस समय आपको उपेक्षित मानकर पार्टी में विद्रोह हो रहा था और सोनिया ने आपके लिए कहा कि उन्हें धोखा मिला इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?

नटवर सिंह: इस बारे में बस इतना बोलना चाहूंगा कि मुझे भी मनमोहन सिंह ने कहा था कि आप जाकर एक बार सोनिया गांधी से मिल लीजिये तो मैंने कहा था कि मैं फालतू में किसी को सलाम नहीं ठोंकता।

प्रश्न: क्या कांग्रेस की दुर्दशा का कारण गांधी परिवार है?

प्रश्न: क्या कांग्रेस की दुर्दशा का कारण गांधी परिवार है?

नटवर सिंह: जब आप किसी का एडवांटेज लेते हैं तो दुर्दशा का भी कारण आप बनते हैं। मैंने पंडित नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक के दौर को देखा है। मुझे यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि स्व. राजीव गांधी तक कांग्रेस ने काफी कुछ अच्छा किया जिसके पीछे गांधी परिवार का ही हाथ है और इस समय के चुनाव में मात्र 44 सीट आयी तो यह गांधी परिवार की नाकामी ही है।

प्रश्न: क्या कांग्रेस की नीतियां देश के विदेश नीति को प्रभावित करती हैं?

प्रश्न: क्या कांग्रेस की नीतियां देश के विदेश नीति को प्रभावित करती हैं?

नटवर सिंह: हां कहीं-कहीं. राजीव गांधी ने अगर चीन पर एक्शन लेते हुए सराहनीय काम किया तो श्रीलंका नीति पर वो फेल रहे जिसकी वजह से उनकी मौत हुई। राजीव गांधी ने जिस समय देश के पीएम बने थे उस समय देश बहुत मुश्किल से दौर से गुजर रहा था लेकिन उन्होंने अपनी बुद्दि कौशल से चीन को संभाला और जो गलती नेहरू जी से सन् 1962 में हुई थी उसको सुधारते हुए उन्होंने आगे का कदम उठाया जिसका नतीजा यह हुआ कि आज तक चीन की ओर से एक भी गोली भारत पर चली नहीं है लेकिन श्रीलंका को वो समझ नहीं पाये क्योंकि वो एक राजनीतिज्ञ नहीं थे और जिसका खामियाज उन्हें भुगतना पड़ा।

प्रश्न: क्या कांग्रेस चाटुकारिता की शिकार है?

प्रश्न: क्या कांग्रेस चाटुकारिता की शिकार है?

नटवर सिंह: जी हां.. राजीव गांधी भी इसके शिकार थे और आज का दौर भी इसी परंपरा का निर्वहन कर रहा था। सोनिया-राहुल के वो ही करीब है जो चाटुकारिता और वाहवाही करता है। पार्टी में किसी को विरोध करने की इजाजत नहीं हैं। सोनिया गांधी का आंख दिखाना ही उनका गु्स्सा होना दिखाता है। केवल उसी को तवज्जो मिलती है जो कि सोनिया को जी कहता है। शायद नटवर सिंह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तरफ इशारा कर रहे थे।

प्रश्न: क्या विदेश नीति पर अमेरिका का प्रभाव है?

प्रश्न: क्या विदेश नीति पर अमेरिका का प्रभाव है?

नटवर सिंह: बिल्कुल, जब प्रणब मुखर्जी को विदेश मंत्री बनाया जा रहा था तो अमेरिका नहीं चाहता था इसलिए उन्हें विदेश मंत्रालय की जगह वित्त मंत्रालय मिला।

प्रश्न: क्या मोदी सरकार पर अमेरिका का प्रभाव है?

प्रश्न: क्या मोदी सरकार पर अमेरिका का प्रभाव है?

नटवर सिंह: नहीं बिल्कुल नहीं क्योंकि इतका कोई पुराना बैगेज नहीं हैं और ना ही कोई गुणगान करने वाला इतिहास है, इनसे अमेरिका खुद मिलने को आतुर है जबकि कांग्रेस के साथ ऐसा नहीं था।

प्रश्न: क्या सोनिया गांधी का पीएम पद छोड़ना त्याग था?

प्रश्न: क्या सोनिया गांधी का पीएम पद छोड़ना त्याग था?

नटवर सिंह: नहीं, राजनीति में कोई त्याग नहीं करता है, उन्होंने पीएम पद अपने बेटे राहुल गांधी के कहने पर छोड़ा था क्योंकि उनके बेटे को डर था कि उनकी दादी और उनके पापा की तरह उनकी भी हत्ता हो जायेगी और मेरी नजर में राहुल गांधी का यह डर लाजिमी भी था। जिसने बचपन में अपनी दादी और भरी जवानी में अपने पिता को खोया हो उसे अपनी मां को लेकर डर होना स्वाभाविक ही है इसलिेए राहुल ने जो किया वो इमोशनली सही था।

Comments
English summary
Sonia Gandhi declined to become PM Post in 2004 because of strong opposition from her son Rahul Gandhi who was afraid she would be killed like his father and grandmother said former external affairs minister K Natwar Singh.
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