नटवर सिंह से भी पहले कई बार फूटा है सोनिया गांधी पर किताबी बम!
बैंगलोर। आज देश के पूर्व विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह ने अपनी किताब One Life Is Not Enough..से पूरे देश की राजनीति में उबाल पैदा कर दिया है। नटवर सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दावों और भावनाओं पर ही सवालिया निशान लगा दिया है। नटवर सिंह ने अपनी किताब में लिखा है कि सोनिया गांधी कोई त्याग मूर्ति नहीं जिसकी वजह से वो देश के पीएम की कुर्सी पर नहीं बैठीं बल्कि उनको साल 2004 में पीएम बनने से रोका था उनके लाडले बेटे राहुल गांधी ने।
जिन्हें डर था कि अगर उनकी मां पीएम बनी तो उनकी दादी और पापा की तरह उनकी मां की भी हत्या हो जायेगी। नटवर सिंह की इस दावे के कारण कांग्रेस में हड़कंप मच गया है तो वहीं बीजेपी को चटखारे लगाने का मौका मिल गया है। जहां बीजेपी सोनिया से इस मसले पर जवाब चाहती हैं वहीं दूसरी ओर गुरूवार को सोनिया गांधी ने यह कहकर चौंका दिया कि अगर वो किताब लिखने बैठ गईं तो बहुत लोगों का काला सच सामने आ जायेगा।
नटवर सिंह का दावा ..सोनिया कोई त्यागमूर्ति नहीं.. जो पीएम सीट छोड़ें
जहां कांग्रेस इसे नटवर सिंह का किताब बेचने का हथकंडा बता रही है वहीं दूसरी ओर बीजेपी और एनसीपी इस पर कांग्रेस से सफाई मांग रही है कह रही है कि देश से सोनिया ने धोखा किया हैं। वैसे यह कोई पहला मौका नहीं है जब सोनिया गांधी पर इस तरह से किसी किताब के जरिये हमला बोला गया है। फर्क सिर्फ इतना है कि इससे पहले जितनी बार भी सोनिया गांधी पर बुक-बम फेंका गया तब उस समय उनकी पार्टी सत्ता में थी लेकिन नटवर सिंह की किताब उस समय आयी है जिस समय कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है।
कहां दस साल तक शासन करने वाली कांग्रेस फिर से सत्ता की हैट्रिक का सपना संजोये हुए थी वहीं आज उसे आज सदन में नेता प्रतिपक्ष भी नहीं मिल पा रहा है।
आईये डालते हैं एक नजर उन बातों पर जब सोनिया गांधी पर हुआ किताबी बम का हमला इसे जानने के लिए नीचे की स्लाइडों पर क्लिक कीजिये।
'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर- द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह’
भारत की राजनीति उस समय भी गर्मा गयी थी जब संजय बारू की किताब सामने आयी थी। वरिष्ठ संपादक और साल 2004 से 2008 के बीच प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू द्वारा लिखी गई किताब 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर- द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह' में दावा किया गया कि सोनिया पीएमओ से पहले फाइलों का निपटारा करती थीं। यानी कि मनमोहन सिंह के सारे फैसले सोनिया गांधी लेती हैं। बीजेपी ने इस बात पर जमकर बवाल मचाया था।
‘टर्निंग प्वाइंट -ए जर्नी थ्रू चैलेंजेज’
पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के मुताबिक, उन्होंने अपनी ‘टर्निंग प्वाइंट -ए जर्नी थ्रू चैलेंजेज' में लिखा था कि सोनिया को प्रधानमंत्री बनने में कोई रुकावट पैदा नहीं की थी, बल्कि सोनिया ने ख़ुद ही प्रधानमंत्री की कुर्सी को ठुकरा दिया था। कलाम ने लिखा था कि उस वक्त अगर सोनिया गांधी प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए दावा करतीं तो उनका दावा कबूल करने में मुझे कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन सोनिया ने खुद ही मनमोहन सिंह का नाम आगे कर मुझे और राष्ट्रपति के दफ्तर को चौंका दिया था। जिसके बाद बीजेपी ने कड़ा विरोध जताते हुए हंगामा खड़ा किया था कि सोनिया ने जानबूझकर संविधान के खिलाफ जाकर मनमोहन सिंह को पीएम बनवाया।
'एल सारी रोसो यानी द रेड सारी'
स्पेनिश लेखक जेवियर मोरो की किताब 'एल सारी रोसो यानी द रेड सारी', सोनिया गांधी की जिंदगी पर लिखी गई नॉवेल है। यह 2008 में मार्केट में आयी थी। किताब के टाइटल में जिस लाल साड़ी का जिक्र है, उसे लेखक के मुताबिक पंडित नेहरू ने जेल में बुना था और सोनिया ने अपनी शादी के दिन पहना था। यह कहानी है, इटली के एक छोटे से गांव में पैदा हुई लड़की के हैरतअंगेज सफर की जिसे पावर तो मिली, लेकिन अपने पति को गंवाने के बाद। किताब में संजय गांधी को गालियां बकते और सोनिया को राजीव की मौत के बाद इटली चले जाने की सोचते दिखाया गया है। जिस पर कांग्रेस ने मोरो को कानूनी नोटिस भेजा था।
स्वामी की बेनाम किताब
जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मणयम स्वामी ने भी कुछ समय पहले दावा किया था कि वो एक किताब लिख रहे हैं जिसमें वो सोनिया गांधी का कच्छा चिठ्ठा प्रकाशित करेंगे क्योंकि उनके पास साक्ष्य हैं जिससे साबित हो जायेगा कि सोनिया गांधी एक झूठी महिला हैं ना तो वो ज्यादा पढी-लिखी हैं और ना ही वो किसी बड़े घराने से ताल्लुक रखती हैं। जिस पर कांग्रेस ने स्वामी पर तीखा प्रहार किया था। हालांकि अभी तक इस किताब को लिखा नहीं गया है।
'वन लाइफ इज नॉट इनफ'
पूर्व विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह ने अपनी किताब One Life Is Not Enough..में लिखा है कि साल 2004 में जब कांग्रेस सत्ता में आयी तो उनके बेटे राहुल गांधी ने सोनिया गांधी को पीएम बनने से रोका था क्योंकि उन्हें डर था कि उनकी दादी और उनके पापा की तरह की सोनिया गांधी की भी हत्या हो जायेगी। राहुल के इस डर के ही कारण सोनिया ने पीएम की कुर्सी को मना किया ना कि उन्होंने कोई त्याग किया है।