दुश्मन को कंफ्यूज कर देते हैं नरेंद्र मोदी के सुरक्षा गार्ड
नई दिल्ली (विवेक सुरक्षा)। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की लिस्ट में सबसे ऊपर है। लगातार सीमा पर तोड़े जा रहे युद्ध विराम से घुसपैठियों के प्रवेश की आशंका भी बढ़ चुकी है। ऐसे में देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा और भी ज्यादा अहम हो जाती है। लिहाजा पीएम के काफिले को कुछ इस प्रकार संचालित किया जायेगा, ताकि दुश्मन कंफ्यूज हो जाये।
सुरक्षा कारणों के चलते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के काफिले की सुरक्षा को नया रूप दिया जा रहा है। जानकारों ने बताया कि अगर मोदी राजधानी में किसी जगह जा रहे होते हैं तो दो काफिले चलते हैं ताकि उनपर बुरी नजर रखने वाले को अपने मिशन में कभी सफलता न मिले।
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कैसे चलेगा काफिला
उदाहरण के रूप में अगर वे अपने आवास 7 रेस कोर्स से विज्ञान भवन जा रहे हैं तो दो काफिले जाएंगे। एक में वे होंगे और दूसरा कंफ्यूज करने के लिए होगा। पर दोनों एक जैसे होंगे। खुफिया जानकारियों के मिलने के बाद कि उन पर कुछ जेहादी संगठनों की निगाहें हैं, इस बात की रोशनी में इस तरह की पहल की गई है।
यूं कहने वाले कहते हैं कि भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था दुनिया के किसी भी अन्य देश के राष्ट्राध्यक्ष की तुलना में उन्नीस नही होती। देश ने बीते दौर में एक प्रधानमंत्री और एक पूर्व प्रधानमंत्री को आतंकवाद का शिकार होते देखा है।
एसपीजी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें
जानकारों ने बताया कि अब देश सतर्क हो चुका है अपने शिखर नेताओं की सुरक्षा को लेकर। सरकार ने प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमत्रियों की सुरक्षा को चाक-चौबंद बनाने के इरादे से बीरबल नाथ की एक कमेटी बनाई थी। उसकी सिफाऱिशों के आधार पर स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) की 1985 में स्थापना हुई। अब एसपीजी में करीब तीन हजार जवान है। इनके ऊपर प्रधानमंत्री तथा पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिजनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी रहती है। इसके जवानों को अमेरिका सीक्रेट सर्विस की तर्ज पर ट्रेनिंग मिलती है। एसपीजी के ऊपर प्रधानमंत्री की चौबीस घंटे की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है। पीएम पैदल, सड़क,हवाई या जल मार्ग या किसी अन्य तरह से कहीं जा रहा है,तो एसपीजी उसकी सुरक्षा को देख रही होती है।
सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री के दोनों काफिलों में एसपीजी के जवान रहते हैं। ये अचूक निशानची होते हैं। ये पलक झपकते ही किसी आतंकी को धूल में मिलाने की क्षमता रखते हैं। बता दें कि यूं तो प्रधानमंत्री कीसुरक्षा का जिम्मा एसपीजी के पास है, पर दिल्ली पुलिस के सिक्युरिटी स्टाफ की भी अपनी भूमिका है।
उदाहरण के रूप में अगर कल प्रधानमंत्री को विज्ञान भवन में किसी सम्मेलन को संबोधित करना है तो सारे क्षेत्र की रेकी दिल्ली पुलिस की सिक्युरिटी ब्रांच एक दिन पहले कर लेगी। जिस दिन कार्यक्रम है,उस दिन सारे विज्ञान भवन को एसपीजी के कैट कमांडों घेर लेंगे। प्रधानमंत्री के लोकल कार्यक्रमों में एसपीजी के प्रमुख आमतौर पर खुद रहते हैं।