क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

मोदी सरकार के 100 दिन: नेहरू मॉडल से मोदी मॉडल तक

By शिवकान्‍त गौतम
Google Oneindia News

नयी दिल्‍ली (शिवकान्‍त गौतम)। तो आज मोदी सरकार के 100 दिन पुरे हो गए | सुबह से शाम तक टीवी चैनल्स पर हिसाब मांगा जायेगा, वो हिसाब जो इन चैनलो ने पिछले 65 सालो में कभी नहीं मांगा। हिसाब मांगना चाहिए हम भी मांग रहे हैं लेकिन उस हिसाब से पहले थोडा सा भारत, हिंदुस्तान और इंडिया को जानते हैं। जानने कि कोशिश करते हैं नेहरू मॉडल से मोदी मॉडल तक देश कैसे पहुंचा। भारत, इंडिया, हिंदुस्तान जिसको जो पसंद आया उसने इसे उसी नाम से पुकारा। इसके अलग अलग नाम की तरह ही भारत भी अपने जीवन काल को अलग अलग रूप में देख सकता है।

Narendra Modi's 100 Days
मुगलों का हिंदुस्तान, अंग्रेजों का इंडिया और आजाद भारतीयों का भारत। अब आज के भारत को भी या फिर यूं कहें आज़ादी के बाद के भारत को भी हम वक़्त के हिसाब से बांट सकते हैं।

एक तो वो भारत जो नेहरू का था, वो भारत जो पैदा होते ही भुखमरी, बेरोज़गारी और 5 करोड़ से ज्यादा बटवारे के मारे लोगों को अपनी शरण मे लेने वाला था। नेहरू के भारत ने पड़ोसियों पर विश्वास जताया और विश्वासघात भी खाया। हलाकि बाद मे खबरें भी आई की ये विश्वासघात जो चीन से मिला इसमें गलती खुद नेहरू जी की रही थी।

चलिए अब आगे बढे तो भारत का अगला रूप हमने इंदिरा मे भी देखा, वो इंदिरा जिनमे वाजपेयी साहब को दुर्गा का रूप दिखा, वो इंदिरा जो प्रधानमंत्री होते हुए भी चुनाव हारी, वो इंदिरा जिसने देश मे इमरजेंसी भी लगा डाली। ये वो ही इंदिरा थी जिन्होंने जेपी से हारने के बाद पुरे देश का भ्रमण किया और फिर से सत्ता मे लौटी। ये वो दौर था जब भारत भ्रष्टाचार से लड़ रहा था और आम आदमी जेपी के साथ सड़क पर था। लेकिन उस वक़्त भी आम आदमी देशप्रेम को राजनीति मे बदलते देख आहात हुआ था वही आम आदमी आज भी अन्ना आंदोलन से जुड़ा और बाद मे सीएम से पीएम बनने के ख़्वाब लेने वाले केजरीवाल के हाथों ठगा महसूस भी कर रहा है।

इंदिरा गांधी ने अपनी हार मानी थी लेकिन कांग्रेस की वर्तमान मालकिन और शहज़ादा अपनी सबसे बुरी हार को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। शहज़ादे को तो शायद इसके बारे मे कुछ पता ही नहीं है | चलिए फिर से अपने बदलते भारत पर रुख करते हैं। 1991 मे भारत के सामने बड़ा संकट आया, राजीव गांधी की हत्या और अस्थिर सरकार का चलन और देश मे खाद्यान व् आर्थिक संकट। ये नेहरू मॉडल को तोड़ने का समय था जो उन्होंने सोवियत संघ से लिया था। इसे नरसिम्हा राव ने तोडा और दुनिया के बड़े देशों मे शामिल भारत को नई दिशा मिली लेकिन राजनैतिक रूप से भारत क्षेत्रीय पार्टियों पर निर्भर हो गया जो आगे चलकर नुक्सान का कारण बना। इसी बीच वाजपेयी सरकार ने परमाणु परिक्षण भी किया गया और अमेरिका का दबाव भी झेला लेकिन उन्होंने अपनी इच्छा दुनिया के सामने रख दी की भारत अब रुकने वाला नहीं।

"इंडिया शाइनिंग" का नारा बीजेपी को फिर सत्ता मे न ला पाया और तब शुरू हुआ आज़ाद भारत के सबसे बुरे 10 सालों का सफर। बिना जिम्मेदारी लिए सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बना डाला और अपनी राजनैतिक चतुराई दिखाई लेकिन ये 10 साल जो अभी अभी खत्म हुए हैं ने देश को कितना पीछे धकेल दिया है ये हम आज आने वाली मुश्किलों से भाप सकतें हैं। 16 मई 2014 भारत के लिए एक और बदलाव का दिन, हलाकि कुछ मित्रों का कहना है कि ये बहुत जल्दबाज़ी है लेकिन फिर भी उम्मीदों और स्वाभिमानी भारतीय इसे सबसे बड़ा बदलाव मान रहे हैं। ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि आज़ाद भारत के सबसे लोकप्रिय नेता नरेंद्र भाई मोदी हैं।

नेहरू जी, शास्त्री जी या पटेल जी ने भारत को आज़ादी दिलाई, एकीकरण भी किया (यहाँ गांधी जी को मात्र इसलिए नहीं लिया क्यूंकि वो राजनीति से कहीं ऊपर हैं) लेकिन फिर भी उस वक़्त की गरीबी और राजभक्त जनता और आज की पढ़ीलिखी और खुद को राजा समझने वाली या नेता को खुद राजा समझने पर बाहर का रास्ता दिखाने वाली जनता मे लोकप्रियता हासिल करना बहुत मुश्किल काम है। आज मोदी सरकार के 100 दिन पुरे हो गए हैं, लोकप्रियता या कांग्रेस या फिर कहूँ गांधी परिवार के प्रति आसक्त मीडिया हाउसेस मोदी के एक-एक दिन का हिसाब मांग रहे हैं। ये वही मीडिया है जिसने 60 साल हिसाब नहीं माँगा और आज एक-एक मिनट का हिसाब मांग रही है।

100 दिनों मे मोदी सरकार ने क्या किया, क्या नहीं किया, कहाँ सही है कहाँ गलत है इसका हिसाब हम लेते हैं, मोदी सरकार से नहीं उन बुद्धिजीवियों से जो इसके विकास का महत्व समझते हैं। वैसे हमें इस पर बात करने की आवश्यकता नहीं है क्यूंकि 100 दिनों मे क्या नहीं हुआ, चंद चेंनेल्‍स को छोड़कर बाकि सभी Prime Time Shows मे आज इसी का डंका बजेगा की मोदी ने जो कहा वो नहीं किया, वो आपको ये यकीं भी दिलवा देंगे की मोदी विश्वास तोड़ रहे हैं लेकिन वो ये भूल गये हैं की ये सरकार ममता, माया, मुलायम, अम्मा की बैसाखियों पर नहीं बल्कि अपने मज़बूत पैरों पर खड़ी है और पुरे 5 साल के लिए है। हिसाब मांगेंगे क्यूंकि जब तक आप उनसे हिसाब नहीं लेंगे वो हिसाब देंगे नहीं। अपने हक़ के लिए सवाल पूछो- क्यूंकि सवाल पूछने से बढ़ती है- जिम्मेदारी और अहसास। जो आज वो हैं उन्हें किसने बनाया, इसका अहसास भी दिलाएंगे, सवाल भी पूछेंगे लेकिन 5 साल बाद।

आज इस मीडिया के द्वारा की गई अशांत जनता के लिए 100 दिन का हिसाब तवलीन सिंह और डॉ. किरण बेदी के साथ:

Comments
English summary
As the Prime Minister Narendra Modi completed his 100 days. Here is the journey of country from Jawaharlal Nehru to Narendra Modi.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X