नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में मंत्री होंगे कम और काम होगा ज्यादा, प्रमुख विभाग नमो के पास
पिछले 8 महीनों से चुनाव प्रचार कर रहे नरेंद्र मोदी ने सिर्फ एक ही बात दोहराई। उन्होंने हमेशा कहा कि 'मिनिमम गर्वनमेंट एंड मैक्सिमम गर्वनेंस' से ही देश का सही तरीके से चलाया जा सकता है। हालांकि अभी तक मोदी ने अपने कैबिनेट को लेकर कोई बयान नहीं दिया है लेकिन गुजरात का विकास मोदी ने इसी तर्ज पर किया है।
जानकारों का मानना है कि नरेंद्र मोदी अपने कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या कम कर सकते हैं, ताकि गवर्नेंस को प्रभावशाली ढंग से लागू किया जा सके। बाजार के जानकारों का कहना है कि इससे अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार मिल सकती है, जिससे देश की जीडीपी और आईआईपी के आंकड़ों में सुधार आएगा। वहीं, ब्यूरोक्रेसी का एक नया युग भी शुरू होगा।
क्या
गुजरात
का
मॉडल
केंद्र
पर
भी
होगा
लागू
नरेंद्र
मोदी
कभी
भी
बड़ी
कैबिनेट
बनाने
के
पक्ष
में
नहीं
रहे
हैं।
गुजरात
में
केवल
17
मंत्री
ही
कैबिनेट
में
शामिल
थे।
उन्होंने
ब्यूरोक्रेट्स
को
काम
करने
की
पूरी
आजादी
दे
रखी
है।
मोदी
ने
खुद
अपने
मॉडल
के
बारे
में
कहा
है
कि
ये
‘राजनीति
का
विकास'
करता
है
और
वन
क्रिकेट
मैच
कर
तरह
खेला
जाता
है।
उन्होंने
संकेत
दिया
है
कि
वह
केंद्र
पर
भी
इसी
तरह
का
मॉडल
लागू
कर
सकते
हैं।
मंत्री
कम,
काम
ज्यादा
देश
के
आठ
बड़े
मंत्रालयों
में
से
कुछ
मंत्रालयों
का
विलय
हो
जाएगा
या
फिर
उनके
विभागों
को
अलग
करके
नई
जिम्मेदारियां
दी
जाएंगी।
यूपीए-2
में
प्रधानमंत्री
समेत
72
मंत्री
थे
जबकि
मोदी
मंत्रिमंडल
में
20
केंद्रीय
मंत्रियों
और
करीब
इतने
ही
राज्य
मंत्रियों
को
रख
सकते
हैं।
नरेंद्र
मोदी
ने
अपने
चुनाव
प्रचार
में
वादा
किया
था
‘सरकार
छोटी,
गवर्नेंस
ज्यादा'।
इससे
संकेत
यही
मिलता
है
कि
कई
मंत्रालयों
और
विभागों
का
कायाकल्प
हो
सकता
है।
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