पीएम नरेंद्र मोदी अपराधी हैं लेकिन FIR...
अहमदाबाद की एक कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज करने के लिए निश्चित समयसीमा होने के कारण इस संबंध में दायर याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता। अहमदाबाद (ग्रामीण) कोर्ट के एसजेएम एमएम शेख ने आम आदमी पार्टी के नेता निशांत वर्मा की तरफ से दायर अर्जी का निपटारा करते हुए यह आदेश दिया।
बता दें कि वर्मा ने 2012 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी द्वारा दाखिल नामांकन पत्र में अपनी वैवाहिक स्थिति छुपाने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी। कोर्ट ने मोदी की वैवाहिक स्थिति के मुद्दे पर कहा, तथ्यों का खुलासा न करने से जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 125 (ए-3) के तहत अपराध किया गया। इस धारा के तहत नामांकन दाखिल करते वक्त सूचना छिपाने के लिए दंड का प्रावधान है और इसमें दोषी पाए जाने पर छह महीने तक की जेल की सजा हो सकती है।
हालांकि कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 468 (2-बी) के मुताबिक, जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 125 (ए-3) के उल्लंघन से जुड़े मामलों में अपराध की शिकायत एक साल के भीतर करनी होती है।
क्या कहा अहमदाबाद कोर्ट ने:
कोर्ट ने कहा कि चूंकि कथित अपराध होने के एक साल चार महीने के बाद शिकायत दर्ज कराई गई है, ऐसे में संज्ञान नहीं लिया जा सकता और अब एफआईआर नहीं दर्ज कराई जा सकती है। सीआरपीसी की धारा 468 ऐसे गैर-गंभीर मामलों पर लागू होती है जिसमें तीन साल से ज्यादा की जेल की सजा का प्रावधान नहीं हो। सीआरपीसी की धारा 468 के मुताबिक, समय सीमा खत्म होने के बाद कोई भी कोर्ट इस तरह के अपराध का संज्ञान नहीं ले सकती।