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आपको कर्ज से मुक्त करने के लिये जापान गये हैं नरेंद्र मोदी

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नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। हेडलाइन पढ़ने के बाद आप सोच रहे होंगे मैंने कौन सा कर्ज लिया है भाई! मेरे ऊपर किसी का पैसा नहीं बकाया, तो मोदी साहब मेरे लिये क्या करने जापान गये हैं? इससे पहले आप दाहिने हाथ पर क्रॉस के बटन पर क्ल‍िक कर इस विंडो को बंद कर दें, हम आपसे सिर्फ इतना कहना चाहेंगे- "आपका देश कर्ज में डूबा है तो आप क्यों नहीं? आप भी तो इस देश का ही हिस्सा हैं!"

जी हां आप कर्ज में डूबे हैं और इस कर्ज को कम करने या फिर मुक्त‍ि दिलाने के प्रयास में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान गये हैं। भारत पर विदेशी कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। मार्च 2014 के आखिर में 440.6 अरब डॉलर रहा, जो मार्च 2013 के आखिर के स्‍तर के मुकाबले 31.2 अरब डॉलर (7.6 फीसदी) अधिक है। भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।

भारत की जरूरत है विदेशी निवेश

आर्थिक मामलों के जानकार मानते हैं कि जब तक भारत का इंपोर्ट नहीं बढ़ेगा, तब तक भारत पर विदेशी कर्ज बढ़ता रहेगा। दिल्ली यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र विभाग से जुड़े डा. राम सिंह कहते हैं कि विदेशी कर्ज उस हालत में दूर या कम हो सकता है अगर भारत में विदेशी निवेश तेजी से बढ़े। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसलिए ही मुख्य रूप से जापान जा रहे हैं।

दीर्घकालिक कर्ज के चलते ही विदेशी कर्ज में बढ़ोतरी हुई है। मार्च 2014 के आखिर में दीर्घकालिक विदेशी कर्ज 351.4 अरब डॉलर था, जो मार्च 2013 के आखिर के स्‍तर के मुकाबले 12.4 फीसदी अधिक है। इस स्‍तर पर दीर्घकालिक विदेशी कर्ज मार्च 2014 के आखिर में दर्ज कुल विदेशी कर्ज का 79.7 फीसदी था, जबकि मार्च 2013 के आखिर में यह 76.4 फीसदी था।

काबू में है कर्ज पर कर्ज तो कर्ज ही है

अल्‍पकालिक विदेशी कर्ज मार्च 2014 के आखिर में 89.2 अरब डॉलर था, जो मार्च 2013 के आखिर में दर्ज 96.7 अरब डॉलर के मुकाबले 7.7 फीसदी कम है। कुल मांग में कमी और सोना आयात पर लगाये गये प्रतिबंधों के चलते आयात में कमी की बदौलत यह संभव हो पाया। इस तरह कुल विदेशी कर्ज में अल्‍पकालिक विदेशी कर्ज का हिस्‍सा मार्च 2013 के 23.6 फीसदी से घटकर मार्च 2014 के आखिर में 20.3 फीसदी पर आ गया।

कुल विदेशी कर्ज में सरकारी विदेशी ऋण का हिस्‍सा मार्च 2014 के आखिर में 18.5 फीसदी रहा, जबकि मार्च 2013 के आखिर में यह कहीं ज्‍यादा 19.9 फीसदी था।

भारत पर विदेशी कर्ज का बोझ निरंतर काबू में रहा है, जिसका संकेत वर्ष 2013-14 में दर्ज 23.3 फीसदी के विदेशी कर्ज-जीडीपी अनुपात और 5.9 फीसदी के कर्ज अदायगी अनुपात से मिलता है। भारत के विदेशी कर्ज में दीर्घकालिक ऋणों की हिस्‍सेदारी लगातार ज्‍यादा रही है।

आपको कैसे पहुंच सकता है फायदा

अगर इस कर्ज से भारत मुक्त हो जाये, तो जरा सोचिये क्या होगा। भारत कई प्रकार के टैक्स माफ कर देगी। सरकार कई प्रकार की योजनाएं लाने में सक्षम होगी, जिससे आपकी आर्थ‍िक सम्पन्नता में इजाफा होगा। जिस मकान को लेकर आप सपने बुनते रह जाते हैं, जिस कार को देख आप उसे सपना मात्र समझ बैठते हैं, वो सब हकीकत में बदल जायेगा, क्योंकि जब तक देश पर कर्ज है, तब तक सरकार आपको चाहते हुए भी सारे सुख नहीं दे सकती है।

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English summary
As prime minister narendra modi is visiting japan, he will make an effort to woo Japanese investors to invest in India. That way we can ease ourselves from foreign debt.
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