कुछ ऐसे सवाल जिनके जवाब नहीं देना चाहते मोदी
नयी दिल्ली। इंदिरा गांधी ने जब अपना राजनीतिक सफर शुरु किया था तो उनके कम बोलने के कारण उन्हें 'गूंगी गुड़िया' कहा जाता था। देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी कम बोलते है, फिर भी जब वह बोले भी तो भी मुश्किल से ही सुनाई देते है। नरेंद्र मोदी रोज़ बोलते हैं और सबसे तेज़ बोलते हैं, लेकिन जब बात कुछ सवालों की आती है तो वो चुप हो जाते है।
यूं तो उनकी आवाज बुलंद है. लोगों को जगा दे ऐसी है, लेकिन जब ये सवाल उनके सामने आते है तो उनकी जुबान पर ताला लग जाता है। ये कुछ ऐसे सवाल है जिसका जबाव उनसे मीडिया जानना चाहता है। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल भी उनसे कुछ सवाल पूछते है, लेकिन मोदी इन सवालों पर चुप है। आपको बताते है कौन से वो सवाल है जिनका जवाब देने से मोदी बचते रहे हैं।
अब तक नहीं दिया जवाब
मोदी के राजनीतिक करियर पर काला धब्बा बन चुका गुजरात दंगा उसके राह का सबसे बड़ा रोड़ा है। मीडिया से लेकर आलोचक तक मोदी से इसपर सवाल पूछना चाहते है, लेकिन हर बार टाल जाते है।
केजरीवाल के सवालों से सन्न
अरविंद केजरीवाल ने गैस की प्रस्तावित नई क़ीमतों को लेकर कई बार नरेन्द्र मोदी पर सवाल दागे है। केजरीवाल का आरोप है कि गैस क़ीमतों की वृद्धि से मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज़ को भारी फ़ायदा होगा। केजरीवाल ने कई बार मोदी को इस मुद्दे पर बोलने की चुनौती दी है। केजरीवाल का आरोप है कि क्योंकि अंबानी मोदी के क़रीबी हैं इसलिए वह अंबानी के ख़िलाफ़ कुछ भी नहीं कह सकते।
पानी की तरह बहा पैसा
मोदी को जब से भाजपा का पीएम उण्मीदवार बनाया गया तभी से वो देश भर में उड़ान भर रहे हैं। जेट, चॉपर और हेलीकॉप्टर मोदी की हवाई बेड़े में शामिल है। केजरीवाल ने बीजेपी और कांग्रेस की ओर से चुनाव पर किए जा रहे भारी ख़र्च पर सवाल उठाया है लेकिन दोनों ही पार्टियों ने उन्हें कोई जवाब नहीं दिया है।
सवाल से सन्न मोदी
पिछले साल नवंबर में मोदी के सबसे विश्वसनीय सहयोगी अमित शाह पर एक महिला की जासूसी का आरोप लगा। मोदी से इस बारे में सफ़ाई मांगी गई है लेकिन न तो उन्होंने इस बारे में एक भी शब्द कहा है और न ही यह बताया है कि इस ग़ैरक़ानूनी निगरानी का आदेश क्यों दिया गया था।
जशोदाबेन के नाम पर चुप्पी
वडोदरा में अपना नामांकन भरते वक्त मोदी ने यह ज़ाहिर किया कि वह शादीशुदा हैं और अपनी पत्नी के तौर पर जशोदाबेन का नाम लिखा। इससे पहले हर बार नामांकन भरते वक़्त उन्होंने वैवाहिक स्थिति वाला खाना खाली छोड़ दिया था। इस बारे में पूछे गए सवाल के जवाब पर मोदी चुप हो जात है।
माया पर मौन मोदी
मोदी सरकार में मंत्री रहीं माया कोडनानी को 2002 के दंगों में उनकी भूमिका के लिए 28 साल जेल की सज़ा दी गई है। 2009 में गिरफ़्तारी के बाद उन्होंने मंत्रीपद से इस्तीफ़ा दे दिया था। उन पर दंगों में शामिल होने का आरोप लगने के बावजूद मोदी ने उन्हें अपनी सरकार में शामिल किया था। इस बारे में उनसे लगातार सवाल पूछे गए, लेकिन मोदी चुप है।
अपनी आलोचना से मोदी को घृणा
दो गुजराती पत्रकार भरत देसाई और प्रशांत दयाल पर देशद्रोह का आरोप लगा। किसी जाने-माने पत्रकार के ख़िलाफ़ यह काफ़ी संगीन आरोप हैं। मोदी इस मुद्दे पर अभी तक ख़ामोश हैं।