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राहुल गांधी ने बिपिन चंद्रा के निधन पर जताया शोक
नई दिल्ली। इतिहास और आधुनिकता को साथ पिरोते हुए अनुभवों को इतनी जीवंतता से परोसते थे बिपिन चंद्रा कि सबकुछ आंखों के सामने घटने लगता था। देश-दुनिया में ख्याति अर्जित कर चुके इतिहासकार बिपिन चंद्रा का देहांत हो गया।
उन्होंने 86 साल की उम्र में आखिरी सांस लीं व अपनी प्रतिभा से लोकप्रियता हासिल कर दुनिया को अलविदा कह गए। बिपिन चंद्रा ने 'आधुनिक भारत का इतिहास' और 'भारत का स्वाधीनता संघर्ष' जैसी कई किताबें लिखीं।
पढ़ें-
पॉर्न
साइट
पर
पाबंदी
उन्होंने
जेएनयू
में
प्रोफेसर
रहे,
साल
1993
में
UGC
के
सदस्य
बनाए
गए।
साल
2004
से
लेकर
2012
तक
वे
नेशनल
बुक
ट्रस्ट
की
अध्यक्षता
भी
की।
चंद्रा
को
'आधुनिक
भारत'
में
विशेषज्ञता
हासिल
थी।
बिपिन चंद्रा की लेखन-शैली इतनी सरल रही कि पाठक ऐतिहासिक जानकारियों को एक कहानी की तरह लेते रहे व उनकी रचनाएं कालजयी साबित हुईं। आज वे भले ही शरीररूप में हमारे बीच ना हों पर उनका योगदान, उनकी छवि हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेगी।
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English summary
Modern Historian Bipan Chandra dies but will alive in hearts
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