गौरवान्वित पल: मंगल की कक्षा में स्थापित हुआ मंगलयान
बेंगलुरू। आज हमारे देश और इसरो ( इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन )के लिए काफी बड़ा दिन है। आज मंगलयान को इसरो के वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक मंगल पर स्थापित कर दिया। भारत पहली बार ये मुकाम हासिल करने वाला पहला देश बन गया है. इस यादगार दिन के गवाह देश के प्रधानमंत्री मोदी बने। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाने के लिए इसरो सेंटर में मौजूद थे।
जैसे
ही
मंगलयान
मिशन
पूरा
हुआ,वैसे
ही
एक
मुस्कान
इसरो
में
मौजूद
हर
वैज्ञानिक
और
पीएम
मोदी
के
चेहरे
पर
फैल
गई।
मोदी
ने
तालियां
बजा
कर
सबको
बधाई
दी
और
कहा
कि
आज
का
पल
हर
भारतीय
के
लिए
गौरव
वाला
है।
पीएम
मोदी
ने
तालियां
बजाकर
इसरो
के
वैज्ञानिकों
को
बधाई
दी
इस समय मिशन कार्यक्रम के निदेशक एम.अन्नादुरई ने मीडिया को जानकारी दी, "मंगल ग्रह की कक्षा में अंतरिक्षयान के प्रवेश के मद्देनजर उसके मुख्य इंजन को सुबह 7.17 बजे चालू किया गया और 7: 47 मिनट में आर्बिट की प्रवेश कराया गया। सबसे बड़ी बात यह है कि यह हमारा पहला प्रयास था जिसमें हम सफल हुए हैं।जो काम नासा नहीं कर पाया वो हमने कर दिखाया।
जो काम नासा ने नहीं किया..वो भारत ने किया...
अन्नादुरई ने कहा, "सोमवार को चौथे संशोधन के बाद उपकक्षा से मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करने के लिए अंतरिक्ष यान की गति 22.2 किलोमीटर प्रति सेकंड से घटाकर 2.14 किलोमीटर प्रति सेकंड कर दी गई थी। वैज्ञानिकों के अथक परिश्रम की बदौलत मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करने के क्रम में भारत का मंगलयान सोमवार को मंगल ग्रह के गुरुत्व क्षेत्र में प्रवेश कर गया। इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने नौ महीने तक बंद रहे इसके इंजन को सफलतापूर्वक चालू कर इस बात की जांच कर ली थी कि इंजन पूरी तरह सक्षम है।
गौरवान्वित पल: मंगल की कक्षा में स्थापित हुआ मंगलयान
मंगल ग्रह के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए पांच वैज्ञानिक प्रयोगों के साथ तैयार 475 किलोग्राम भार वाले इस अंतरिक्ष यान के मार्ग में सोमवार अपराह्न् 2.30 बजे किए गए चौथे संशोधन के लिए 15 सितंबर को इसे निर्देशित किया गया था।
मंगल की कक्षा में मंगलयान क्या करेगा-
मंगलयान मंगल की कक्षा में पहुंचेगा तो उसका सबसे अहम काम होगा मीथेन की जांच करना। मंगल की कक्षा में स्थापित हो जाने के बाद मंगलयान इसके वायुमंडल, खनिजों और संरचना का अध्ययन करेगा। सबसे खास मीथेन की जांच करना होगा। मंगलयान इसके वायुमंडल, खनिजों और संरचना की रिपोर्ट वापस भेजेगा। मंगलयान के साथ पांच उपकरण भेजे गए हैं जो वहां से जांच कर संकेत भेजेंगे।
भारत की मंगल सफलता पर इसरो में जश्न का माहौल
इस उपलब्धि के बाद भारत एशिया का ऐसा पहला देश बन गया है, जिसका अंतरिक्ष यान मंगल के प्रभाव क्षेत्र में पहुंचा हो। आपको बता दें कि 450 करोड़ रुपये की लागत वाले इस महत्वाकांक्षी अभियान की शुरुआत पांच नवंबर, 2013 को हुई थी। इंजन चालू करने के लिए लगभग 500 ग्राम तरल ईंधन खर्च हुआ। मालूम हो कि मंगलयान प्रोजेक्ट में हॉलीवुड फिल्म ग्रैविटी से भी कम पैसा लगा है।