बाबू समझो इशारे, लोकपाल का हॉरन पुकारे
असल में केंद्र सरकार ने लोकपाल कानून के तहत एक अधिसूचना जारी की है, जिसके तहत कहा गया है कि सभी कर्मचारियों को अब अपनी संपत्ति का ब्योरा अनिवार्य रूप से देना पड़ेगा। इनमें अधिकारी व बाबू सब शामिल हैं। कर्मचारियों को सिर्फ अपने नाम नहीं बल्कि अपनी पत्नी/पति, आश्रित बच्चों की संपत्ति का भी ब्योरा देना होगा।
संपत्ति का ब्योरा देने के साथ-साथ बाबुओं को यह भी बताना होगा कि कब-कब उन्होंने विमान से यात्रा की, सोना-चांदी की खरीददारी की तो कहां से की, आदि। यह ब्योरा सभी बाबुओं को 31 मार्च तक देना होगा।
अब आप सोच रहे होंगे कि इस खबर में इशारों की बात कहां से आयी। तो चलिये हम आपको वो इशारे भी बता देते हैं, जो भ्रष्ट बाबुओं के संपत्ति इकठ्ठा करने के, घूमने-फिरने के, तरीकों के बारे में स्पष्ट संकेत देंगे। नीचे बतायी गईं बातें केवल भ्रष्ट बाबुओं के बारे में हैं-
- एक मकान बनाने के बाद कोई भी भ्रष्ट बाबू अपनी नई संपत्ति अपने या अपनी पत्नी व बच्चों के नाम से नहीं खरीदता है। वो अपने साले, साली, भाई, बहन, के नाम से खरीदता है, जो आगे चलकर अपने बेटे या बेटी के नाम करवा लेता है।
- भ्रष्ट बाबू कभी चेक या कार्ड से पेमेंट नहीं करते, वो हमेशा कैश पेमेंट करते हैं। ताकि उनकी खरीददारी किसी की नजर में नहीं आ सके।
- भ्रष्ट बाबू कभी भी जेब से पैसा निकालने में चूं नहीं करता है, क्योंकि उसे मालूम है, जब तक जेब से पैसा निकालेंगे नहीं, तब तक और धन आयेगा नहीं।
- भ्रष्ट बाबू कभी अपने नाम से कार नहीं खरीदता। कार उसके रिश्तेदार के नाम पर होती है।
- भ्रष्ट बाबू जल्दी विमान से यात्रा नहीं करते, क्योंकि उनके पास छुट्टियों की भरमार रहती है।
- भ्रष्ट बाबू अगर परिवार को लेकर हजार, दो हजार किलोमीटर दूर भी घूमने जाता है, तो एटीएम से पैसा निकालने के बजाये, कैश ले जाना ही पसंद करता है, क्योंकि अगर ऊपर की कमाई का वो पैसा खो भी जाये, तो उसे गम नहीं होता।
- भ्रष्ट बाबू अपने रिश्तेदारों या दोस्त यारों के बीच ज्यादा दिखावा करने के प्रयास में रहता है, उतना दिखावा तो एक आईएएस अधिकारी भी नहीं करता। ऐसा इसलिये, क्योंकि वो हमेशा चाहता है कि लोगों के बीच उसका मान इतना बना रहे, कि लोगों के जहन में उसकी ऊपर की कमाई का खयाल तक नहीं आये।
हर भ्रष्ट बाबू अपनी मर्जी से भ्रष्ट नहीं बनता, सिस्टम के तहत उसे रिश्वत लेनी पड़ती है। क्योंकि विकास प्राधिकरण, आयकर विभाग, आरटीओ, आदि ऐसे विभाग हैं, जहां पर न चाहते हुए भी बाबू की जेब में पैसा डाल दिया जाता है, क्योंकि फाइल जब नीचे से ऊपर तक खिसकती है, तब सबका कमीशन बंधा होता है, अब आप कमीशन नहीं लेंगे, तो अपने साथियों की तुलना में आर्थिक रूप से पिछड़ जायेंगे, अगर ले लेंगे, तो उनकी तरह आप भी भ्रष्टाचारियों की श्रेणी में आ जायेंगे।
बजा लोकपाल का हॉरन
अब अगर नये लोकपाल बिल के तहत केंद्र सरकार ने हॉरन बजा ही दिया है, तो हमारा सिर्फ एक ही सुझाव है। अगर वाकई में भ्रष्ट बाबुओं के बारे में पता लगाना है, तो संपत्ति का ब्योरा लेने से अच्छा होगा प्रत्येक बाबू का बैंक स्टेटमेंट चेक किया जाये। वो भी एक-दो साल का नहीं, कम से कम 5 से 10 साल का। क्योंकि अधिकांश भ्रष्ट बाबुओं को अपनी सैलरी निकालने की जरूरत ही नहीं पड़ती। खर्च करने के नाम पर बैंक से निकाली जाने वाली सैलरी कभी खर्च नहीं होती, वो असल में दूसरे अकाउंट में जमा हो जाती है।