केजरीवाल जी, धीरूभाई अंबानी भी थे एक 'आम आदमी'
ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि क्या केजरीवाल ममता के रास्ते चल राजनीतिक लाभ पाने की कोशिश कर रहे हैं? यह सर्वविदित है कि भारत सरकार देश के सभी युवाओं को रोजगार देने में सक्षम नहीं है, अत: प्राइवेट सेक्टर को बढ़ावा देकर ही रोजगार सृजन किया जा सकता है। यह भी छिपा हुआ नहीं है कि टाटा संस जैसी कंपनियां अपने लाभ का 66 प्रतिशत चैरिटी के रूप में देती हैं। केजरीवाल ने मुकेश अंबानी का मुद्दा उठाकर उद्योगों के विरूद्ध आम आदमी को खड़ा कर दिया है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि 1991 में हुए उदारीकरण के बाद ही आज भारत की अर्थव्यवस्था 1.7 ट्रिलियन डॉलर की हो चुकी है। जबकि उदारीकरण के पहले भारत में रोजगारों की भारी समस्या थी।
धीरूभाई अंबानी का उदय
धीरूभाई अंबानी एक स्कूल शिक्षक के बेटे थे, जिन्होने कुछ समय अडान, यमन के पेट्रोल पंप पर भी काम किया। बिजनेस से जुड़ी कोई बड़ी डिग्री न होने के बावजूद उन्होने पॉलिस्टर का व्यापार शुरू किया जो कि रिलायंस इंडस्ट्रीज का आधार बनी, जिसका टर्नओवर आज 73 बिलियन डॉलर है। आज पूरी रिलायंस इंडस्ट्री का टर्न ओवर 90 बिलियन डॉलर है, जो कि भारत की सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था का 5 प्रतिशत है।
युवाओं और उद्यमियों के बने प्रेरणास्रोत
धीरूभाई अंबानी की सफलता उनके खुद के साथ ही ऐसे युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है जो कि खुद का व्यवसाय शुरू करने की बात करते हैं। आज शिक्षा के प्रचार प्रसार के साथ ही भारत में कई ऐसे युवा हैं जो कि कहीं जॉब करने की जगह खुद ही काम शुरू करने का सपना देखते हैं।
समाजवाद के आधुनिक प्रणेता बनने की राह पर केजरीवाल
केजरीवाल ने मुकेश अंबानी के खिलाफ आवाज उठाकर गैस मूल्य के मुद्दे को लेकर माहौल को 'समाजवाद बनाम पूंजीवाद बना दिया है, जबकि कुछ ही वक्त पहले यह मामला सुप्रीम कोर्ट जा चुका है। इकनॉमिक टाइम्स में स्वामीनाथन अरय्यर ने अपने लेख में बताया है कि आज गैस न होने के कारण कई मल्टीनेशनल कंपनियां मुश्किल में पड़ी हैं, ऐसे में अगर विवाद के कारण गैस उत्पादन बंद और कम हो जाता है तो भारत पूरी तरह आयात पर निर्भर हो जाएगा। वैसे भी भारत का गैस आयात लगभग 28000 करोड़ रूपये है।