आतंकियों का सॉफ्ट टार्गेट बन सकता है जम्मू-कटरा रेलमार्ग!
ओह घबराइये नहीं सारे पुल और टनल हमारे इंजीनियर्स ने बहुत मजबूती से बनाये हैं, खतरा तो बस आतंकी हमलों का है और यह देश की सुरक्षा एजेंसियों व भारतीय सेना के लिये बड़ी चुनौती होगी।
भारतीय सेना और पैरामिलिट्री फोर्सेज के जवान 24X7 कश्मीर के चप्पे-चप्पे पर नजर रखते हैं, लेकिन अब उनका काम बढ़ जायेगा, क्योंकि जिन जंगलों के बीच से यह ट्रेन गुजरेगी, जिन पहाड़ों को चीरकर बनाये गये टनल में यह ट्रेन प्रवेश करेगी, उन पहाड़ों पर तेंदुए की तरह चढ़ना आतंकियों को अच्छी तरह आता है।
यही नहीं जंगलों में कई-कई दिन बताने में भी ये बहुत माहिर होते हैं। ऐसी ट्रेनिंग इन आतंकियों को पाकिस्तान अधीकृत कश्मीर में दी जाती है।
खैर अब अगर मुद्दे पर बात की जाये तो हमारी एनालिसिस, रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल और सर्विंग ऑफीसर की ये चंद बातें ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की नींद उड़ा सकती हैं।
वनइंडिया एनालिसिस
पिछले दो वर्षों में जम्मू कश्मीर में घुसपैठ की 541 कोशिशें हो चुकी हैं। इसके अलावा पाकिस्तान की ओर से पिछले वर्ष यानी 2013 में 195 बार सीजफायर का उल्लंघन किया गया है। इन आंकड़ों से साफ है कि पीर पंजाल टनल के तहत कश्मीर का रेल लिंक प्रोजेक्ट पर आतंकी खतरे के बादल कभी भी छा सकते हैं।
यात्रियों को कहीं न कहीं सुरक्षित सफर से रूबरू कराने के लिए सेना को और भी ज्यादा मुस्तैद होना पड़ेगा।
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल वीएन उपाध्याय की बात
"निश्चित तौर पर आने वाले समय में सेना और सुरक्षाबलों की चुनौतियों में इजाफा होने वाला है। पिछले एक दो वर्षों में कश्मीर के साथ ही जम्मू में भी घुसपैठ की कोशिशें पाक आतंकियों की ओर से की जा रही हैं। सेना और सुरक्षाबलों ने पिछले दो दिनों के अंदर ही पुंछ और कुछ और इलाकों में आतंकियों के हमले की कोशिशों को नाकाम किया है।
"काफी खुशी की बात है कि इस क्षेत्र में ट्रेन दौड़ेगी और दौड़ रही है लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि यह क्षेत्र काफी संवेदनशील क्षेत्र है और ऐसे में चुनौतियां चार गुना तक बढ़ गई हैं। हो सकता है कि यहां पर आने वाले कुछ वर्षों के अंदर उस तरह के हालात देखने को मिलें जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में देखने को मिलते हैं।"
सर्विंग ऑफीसर (नाम गोपनीय)
"अगर सेना को हर मूवमेंट की जानकारी न हो और वह हर सेकेंड चौकन्नी न हो तो आतंकियों की ओर से किसी भी समय बड़ी घटना को अंजाम दिया जा सकता है। कटरा तक जो रेल लिंक गया है उस रेल लिंक में बनिहाल, रामबन, कुपवाड़ा, बारामूला, अनंतनाग, श्रीनगर, उधमपुर, पहलगाम और इस तरह के इलाके आते हैं। इनमें से कई इलाकों से घुसपैठ के अलावा सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ की खबरें आए दिन मिलती रहती हैं। सेना के एक अधिकारी के मुताबिक निश्चित तौर पर कश्मीर के अलावा जम्मू क्षेत्र में तैनात सेना के हर जवान को चौकन्ना रहना होगा।"
लेफ्टिनेंट कर्नल वीएन उपाध्याय (आगे की बात)
"मानते हैं कि अगर सरकार ने यहां पर रेल दौड़ाई है तो फिर उन्होंने यहां पर मौजूद सुरक्षा व्यवस्था को पहले की तुलना में और बढ़ाने का फैसला भी किया होगा। वह कहते हैं कि अगर सरकार ने ऐसा नहीं किया है तो फिर उसे जल्द ही इस दिशा में कदम उठाना होगा।"
"वह कहते हैं कि यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि कश्मीर की सीमा से ही सटे मुजफ्फराबाद में ही लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर हाफिज सईद की ओर से कई आतंकी कैंप भी चलाए जाते हैं। पिछले कुछ दिनों से सईद भारत और भारतीय सरकार के खिलाफ आग उगलता आ रहा है। अगर हर पल चौकन्ने न रहे तो फिर किसी भी बड़ी घटना को किसी भी पल अंजाम दिया जा सकता है।"