सेना ने दिया यासीन मलिक और गिलानी को सहारा तब जाकर बची जान
श्रीनगर।
अक्सर
बुजुर्गों
से
सुनते
आए
हैं
कि
वक्त
कभी
नहीं
ठहरता
और
घूमकर
वहीं
आता
है,
जहां
से
शुरू
होता
है।
जम्मू
कश्मीर
की
बाढ़
के
बाद
वहां
यही
नजारा
देखने
को
मिल
रहा
है।
जम्मू कश्मीर बाढ़ में जेकेएलएफ नेता यासीन मलिक और हुर्रियत के नेता सैयद अली शाह गिलानी की जान उसी सेना ने बचाई है जिस पर अक्सर पत्थर बरसाने के लिए ये दोनों लोग वहां के लोगों को उकसाते रहते हैं।
जब मिला सेना का सहारा तब मिली राहत
इन फोटोग्राफ में आप साफ देख सकते हैं कि कैसे सेना ने यासीन मलिक को सुरक्षित निकालकर अपनी नाव पर जगह दी है। वहीं दूसरी फोटोग्राफ भी पूरी कहानी बयां करने के लिए काफी है। हुर्रियत प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी को सेना ने सहारा देकर सुरक्षित जगह पर पहुंचाया है।
ये वही यासीन मलिक और हुर्रियत नेता गिलानी हैं जो अक्सर आरोप लगाते हैं कि घाटी में लागू आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट की वजह से सेना लोगों की जान ले रही है।
इन्होंने तो यहां तक दावा कर दिया है कि सेना की वजह से ही अब तक घाटी में 60,000 मौतें हो चुकी हैं।
इनकी गुमशुदगी पर उठे सवाल
कुछ दिनों पहले मलिक और हुर्रियत नेताओं की गुमशुदगी पर काफी सवाल उठाए गए थे और हर कोई पूछ रहा था कि यह दोनों कहां हैं। वैसे विशेषज्ञों की मानें तो हो सकता है कि यह बाढ़ यहां के लोगों की सेना और सुरक्षा बलों के लिए मौजूदा सोच को बदल सकती है। वहीं कुछ लोग यह भी मानते हैं कि फिलहाल यह कह पाना मुश्किल है।
एयरफोर्स पर साधा निशाना
वहीं घाटी के लोगों ने सेना और सुरक्षाबलों से अलग गुरुवार और शुक्रवार को एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर पर पत्थर बरसाएं। एयरफोर्स से जुड़े सूत्रों की मानें तो इन हमलों से अधिकारी इस कदर परेशान थे कि उन्होंने प्रभावित हिस्सों में न जाने का फैसला कर लिया था।
यहां तक कि दो दिनों तक एयरफोर्स ने अपना रेस्क्यू मिशन दो दिन तक बंद रखा था। शनिवार को फिर से एयरफोर्स फिर से रेस्क्यू ऑपरेशन में लग गई। अलगाववादियों के उकसावे पर इस घटना को अंजाम दिया गया था।