चीन सीमा पर रहने वाले लोगों को मिलेगी मिलिट्री ट्रेनिंग
न सिर्फ चीन बल्कि सरकार जम्मू-कश्मीर और नॉर्थ-ईस्ट राज्यों में रहने वाले लोगों को भी यह ट्रेनिंग मुहैया कराएगी।
बुधवार को टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक जानकारी में गृह मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से लिखा है कि भारत सरकार बॉर्डर के पास बसी आबादी को पैरा मिलिट्री फोर्स को दी जाने वाली ट्रेनिंग देने की तैयारी कर रही है।
लोगों को यह भी सिखाया जाएगा कि मुश्किल वक्त में हथियारों का इस्तेमाल कैसे किया जाए। चीन की ओर से एक के बाद एक की जा रही गुस्ताखियों के मद्देनजर सरकार ने यह फैसला किया है।
इस खबर में मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक सीमा पर बसे लोग आस पास की गतिविधियों से हमें अपडेट रखते हैं। दुश्मन के हर कदम पर नजर रखने में यही लोग हमारी सहायता करते हैं।
दुनियाभर के देशों की सरकार सीमा पर लोगों को बसने के लिए प्रेरित करती हैं। केवल भारत में ही 'संवेदनशीलता' के नाम पर लोगों को ऐसी जगहों से दूर रहने की सलाह दी जाती है।'
हाल में गृह राज्यमंत्री राज्य मंत्री किरण रिज्जू ने भी इस बात पर जोर दिया कि लोगों को सीमा के पास ना बसने देने की नीति को खत्म किया जाना चाहिए। साथ ही, ज्यादा से ज्यादा लोगों को ऐसे इलाकों में बसने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
वैसे सरकार की यह कदम उस योजना का भी हिस्सा है जिसमें उसकी ओर से ज्यादा से ज्यादा लोगों को लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में एक सही इंफ्रास्ट्रक्चर को विकासित कर बसाने की कोशिशें की जा रही हैं।
सरकार से पहले सीमा सशस्त्र बल यानी एसएसबी की ओर से इस प्रयोग को सफलतापूर्वक अंजाम दिया जा चुका है।
एसएसबी फिलहाल भारत-नेपाल सीमा की सुरक्षा में लगी है। एसएसबी ने वर्ष 1963 के शुरुआती माह में भारत-चीन के आपसी विवाद को ध्यान में रखते हुए उत्तरी असम, उत्तरी बंगाल, उत्तराखंड जो उस समय उत्तर प्रदेश में शामिल था, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख में अपनी क्षमताओं और इन क्षेत्रों में मौजूद जनसंख्या को देखते हुए यहां पर ट्रेनिंग, विकास और कल्याणकारी कार्यों की शुरुआत की थी।