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भारत को हिंसा से बचाने के लिए कांग्रेस ने वर्ष 2013 में खर्च किए 1 लाख करोड़ रुपए

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india riots
नई दिल्‍ली। भारत का नाम भी अब हिंसात्‍मक देशों में शामिल हो गया है। बलात्‍कार और ळतया जैसी आपराधिक घटनाओं ने भारत को विश्‍व के सबसे 20 हिंसात्‍मक देशों के बीच में लाकर खड़ा दिया है। पीएम नरेंद्र मोदी को जब यह पता चला होगा तो शायद उन्‍हें दुख भी हुआ हो।

आइसलैंड ने अभी दुनिया के सबसे शांतिपूर्ण देशों में अपनी जगह बरकरार रखी है लेकिन भारत पिछले वर्ष की तुलना में भी दो पायदान नीचे खिसक गया है। सीरिया ने दुनिया के सबसे हिंसक देश के रूप में अफगानिस्तान को पीछे छोड़ दिया है।

सिडनी स्थित अंतरराष्ट्रीय थिंक टैंक इकोनोमिक्स एंड पीस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2013 में हिंसक गतिविधियों के परिणामस्वरूप भारत की अर्थव्यवस्था को 1.07 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.6 प्रतिशत है। रिपोर्ट के मुताबिक, हिंसक घटनाओं के कारण वैश्रि्वक अर्थव्यवस्था को 9.8 खरब डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा जो वैश्विक जीडीपी का 11.3 प्रतिशत है।

बता दें कि तत्‍कालीन कांग्रेस सरकार ने पिछले वर्ष 2013 के दौरान हिंसात्‍मक कार्रवाई से निपटने के लिए 1.07 लाख करोड़ रुपए खर्च किए थे। इतने पैसे खर्च करने के बाद भी भारत में लगातार हिंसात्‍मक कार्रवाई जारी है और देश की अर्थव्‍यव्‍स्‍था को भारी चोट पहुंचाई जा रही है।

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English summary
India is most violated country among top 20 in this world. Last year Congress government spent one lakh crore rupees to make india free from any kind of violation.
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