जिस 'न्यू मीडिया' ने बनाया मोदी को पीएम, पढ़ें उस मीडिया के 6 काले सच
बेंगलोर। मयंक दीक्षित- जल्द ही हम नई सरकार के नए बजट की नई सुबह का नया सूरज देख रहे होंगे। अपराध, न्याय, सोशल मीडिया, इंटरनेट जैसे शब्दों को अगर एक कर दिया जाए तो अफसोस हमारे सामने 'साइबर क्राइम' उभर कर आता है। नरेंद्र मोदी ने जिस साइबर फीवर से जनता तक अपनी मजबूत पकड़ बनाई, उसी राह पर चलकर अब देश के अपराधी साइबर को अपना 'न्यू मीडिया, यानि 'नया माध्यम' बना चुके हैं। आइए जानें वो 6 बातें जो चौंकाती हैं, सतर्क करती हैं और एक नई चुनौती से निपटने के लिए सरकार का ध्यान खींचती हैं-
240 रुपयों का चूना
साइबर जगत पर फर्जीवाड़े से अर्थव्यवस्था को एक साल में 240 अरब रुपये का चूना लगा है। यह चपत देश के होनहार मगर आपराधिक सोच रखने वालों ने देश को लगाई है। यह खुलासा डीएलएसए की रिपोर्ट में हुआ है।
सोशल नेटवर्क पर पहरा
जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस जेआर मिधा की खंडपीठ को सुपुर्द की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में साइबर क्राइम समूचे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के लिए खतरा बन गया है। रिपोर्ट में चिंताजनक पहलुओं को उठाते हुए देश के सोशल नेटवर्क पर पहरा लगाने का सुझाव दिया गया है।
चौंकाने वाले आंकड़े
दो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं - पहला साइबर अपराधों से महज एक साल में अरबों रुपये का अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ है। दूसरा चौंकाने वाला तथ्य है कि अधिकांश साइबर अपराध छोटे शहरों और कस्बों में दर्ज किए गए।
अपराधी हैं पहुंच से दूर-
महानगरों में साइबर सक्रियता को देखते हुए पुलिस इन मामलों को पकड़ने में सक्षम है जबकि दूरदराज के इलाकों में इंटरनेट की पहुंच तो महानगरों की ही तरह सुलभ हो गई है मगर वहां की पुलिस अभी कंप्यूटर साक्षर नहीं है।
चौंकाने वाले आंकड़े
हैकिंग के चौंकाने वाले आंकड़े- हैकिंग से जुड़े 60 फीसदी और आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए साइबर जगत का इस्तेमाल करने के 28 फीसदी मामले छोटे शहरों में दर्ज किए गए जबकि इनमें से महज 40 फीसदी हैकर्स को हिरासत में लिया जा सका है।
यौन शोषण
साइबर अपराधों में 40 प्रतिशत मामले आर्थिक फर्जीवाड़े और यौन शोषण से जुड़े होते हैं। गौर करने वाली बात है कि ऐसे संगीन मामले देश के शीर्ष साक्षरता वाले राज्यों के खाते में सामने आ रहे हैं। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और केरल के कस्बों में दर्ज किए गए।