नरेंद्र मोदी की इमेज को आघात पहुंचा रही हूटिंग पॉलिटिक्स
[विवेक शुक्ल] हरियाणा के कैथल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम स्थल पर पहुंचते ही ऐसी हूटिंग हुई कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा बेहद नाराज हो गये। वहीं महाराष्ट्र के सीएम पृथ्वीराज चव्हाण ने मोदी के साथ मंच साझा करने से झिझक दिखाई। और जैसा कि पहले से अंदेशा था, वैसा ही रांची में हुआ, जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सामने फिर से वैसे ही हूटिंग हुई।
इस हूटिंग पॉलिटिक्स का असर मोदी की छवि पर कैसे पड़ सकता है, यह बात वाकई में चर्चा का विषय है। क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब भी चुनाव कैंपेन स्टाइल में ही है? उनके हरियाणा के शहर कैथल में दिए हालिया भाषण के तेवर से साफ लगा कि वे प्रधानमंत्री से ज्यादा विपक्ष के नेता के रूप में भाषण दे रहे हैं।
मोदी के साथ मंच साझा करने से डरे
कैथल में उनके भाषण को तो वहां मौजूद जनता ने खूब सराहा, पर जब हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा बोलने लगे तो उनकी जमकर हूटिंग हुई। उसके बाद न केवल उन्होंने बल्कि अन्य कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने भी साफ कर दिया है कि वे मोदी के साथ मंच साझा नहीं करेंगे। इनका आरोप है कि हूटिंग भाजपा के कार्यकर्ता करते हैं।
इलेक्शन मोड में मोदी
वरिष्ठ राजनीतिक समीक्षक हरीश चंद्र कहते हैं कि मोदी अब इलेक्शन मोड में हैं। वे प्रधानमंत्री की तरह से भाषण नहीं देते। उनके तेवर किसी जुझारू विपक्षी नेता के होते हैं। उन्हें अब अपने भाषणों में ज्यादा संयम और गंभीरता लाने की जरूरत है। मोदी रांची में एक बड़ी बिजली परियोजना को श्रीगणेश के लिए गए हैं।
जानकारों का कहना है कि अब देश में चुनाव का माहौल खत्म हो चुका है। इधर-उधर विधान सभा चुनाव या उपचुनाव तो होते रहेंगे। बेहतर होगा कि वे सभी प्रदेशों के चौतरफा विकास पर गंभीरता से काम करें। माकपा के नेता सीताराम येचुरी ने भी मोदी के 15 अगस्त के लाल किले से दिए भाषण पर कहा था कि अब उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में अपने को पेश करना चाहिए न कि विपक्षी नेता के रूप में।