...तो इन 5 कारणों की वज़ह से खाली है दिल्ली का सिंहासन
बीते सप्ताह मीडिया में मची हलचल ने मानो तय कर दिया था कि अगले ही दिन हम दिल्ली की गद्दी का राजितिलक होता देख रहे होंगे। फिर वक्त बदला, हालात बदले और छू-मंतर हो गया शोर और रची जाने लगी नई शतरंज।
सरकार के गठन पर अपनी टिप्पणियों से कांग्रेस के भीतर विरोध से बेपरवाह पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भले ही अपने बयान पर अड़ी हों पर कुछ जरूरी व कुछ रणनैतिक कारणों से सरकारी कामकाज नई दिशा में मोड़ रहा है।
घुमाएं यह स्लाइडर और जानें कि यदि ना होते ये कारण तो राजनैतिक जानकारों के मुताबिक अब तक बन चुकी होती दिल्ली में सरकार और शुरु हो गया होता नई सरकार के दायरे में नया शासन-
कारण नं 1
दरअसल भाजपा की दिल्ली में सरकार बनाने की कवायद हरियाणा चुनाव तक कुछ कारणों के चलते थमी है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि दिल्ली में भाजपा के अनेक कार्यकर्ता हरियाणा के जिलों जैसे फरीदाबाद व गुड़गांव से लेकर पानीपत व रोहतक के हैं। 15 अक्टूबर को चुनाव होने हैं ऐसे में वहां की सक्रियता कम ना हो इसलिए दिल्ली सरकार गठन का शोर थम गया है।
कारण नं 2
हाल ही में बीजेपी नेता शेर सिंह डागर व आप के बीच के स्टिंग ने भी चुनावी हलचल थामने का काम किया। हालांकि मामले पर संज्ञान सुप्रीम कोर्ट ने भी लिया पर इस उठापटक में चुनावी तैयारियों को झटका लगा। ख़ासकर बीजेपी बचाव की मुद्रा में आ गई थी।
कारण नं 3
पूरा देश कश्मीर आपदा को लेकर चिंतित है व हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने भी क्षेत्र का दौरा किया व भरपूर मदद की पहल की। इस पहलू को देखते हुए भी बीजेपी की ओर से हलचल थम गई...
कारण नं. 4
27 सितंबर को 'आप' की ओर युवा शाखा खोलकर क्रांति का ऐलान होने जा रहा है। यह युवा शाखा आम आदमी पार्टी यूथ विंग के नाम से जानी जाएगी। यूथ विंग की शुरुआत क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह की 107वीं जयंती के मौके पर होगी। हालांकि 'आम आदमी पार्टी' अभी इसी तैयारी में व्यस्त दिख रही है।
कारण नं. 5
जैसा कि खबर आई थी कि उपराज्यपाल ने बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था पर इसके बाद सार्वजनिक मंच पर इस तरह की सूचना नहीं आई। इस वजह से भी सरकार बनाने को लेकर देरी हो रही है। हालांकि अब मामले पर 'सुप्रीम' नज़र है, पर आगे का जवाब अभी वक्त के पास है।