कोल ब्लॉक आवंटन: वो 5 सच जो आप शायद खबरों में नहीं पढ़ पाए
मयंक दीक्षित- जिन आरोपों के चलते सीएजी जैसी स्वायत्त संस्था ने कांग्रेस को आइना दिखाया। जिस कोल ब्लॉक की दलीलों के साथ विपक्षी दलों के निशाने पर कांग्रेस प्राथमिकता पर रही, आज उसमें स्वयं एनडीए का कार्यकाल भी सवालों के घेरे में आ गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 1993 से 2009 के बीच किए गए 218 कोयला ब्लाकों के आवंटन को अवैध करार देते हुए निरस्त कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले ने देश की राजनीति और राजनैतिक जानकारों को आश्चर्य में डाल दिया है। बीते सालों से कांग्रेस अकेली इन आरोपों की सफाई देने में आगे रही और अब एनडीए नीति भाजपा के पास भी जवाब देते नहीं बन रहा है।
घुमाएं स्लाइडर और जानें इस कोल ब्लॉक आवंटन की वो बातें जो सामान्य खबरों में आप नहीं पढ़ पाए। तब से लेकर अब तक और अब से आगे तक इस पूरे मुद्दे पर क्या होगा आइए समझने की कोशिश करते हैं-
क्यों हुए रद्द
मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की खंडपीठ ने 163 पन्नों के अपने फैसले 218 कोयला ब्लाकों का आवंटन अपारदर्शिता, लापरवाही व जनहित के खिलाफ मानकर रद्द कर दिया।
1 सितंबर को असली फैसला
फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए याचिकाकर्ता मनोहर लाल शर्मा ने कहा कि कोर्ट ने 14 जुलाई 1993 के बाद से सभी कोयला ब्लॉकों का आवंटन निरस्त कर दिया है। वहीं सीबीआई के वकील अमित आनंद तिवारी ने कहा कि शीर्ष अदालत ने केवल कोयला ब्लॉकों के आवंटन को गैरकानूनी और मनमाना करार दिया है निरस्त करने की बात नहीं कही है। हालांकि असली फैसला 1 सितंबर को होगा जिसमें अंजाम पेश किया जाएगा।
समितियों पर सवाल
1993 से 2009 के बीच कोयला ब्लाक के आवंटन के लिए स्क्रीनिंग कमेटी व सरकारी वितरण, दोनों ही तरीकों पर सवाल उठे हैं। यहां तक कि कोल माइन्स नेशनलाइजेशन एक्ट को ताक पर रखकर आवंटन किया गया। सुझाव के लिए जांच समिति की सभी 36 सिफारिशों वाली बैठक अवैध पाई गई।
मौन रहे मनमोहन
अगर गहराई में जाएं तो ज्यादातर कोयला ब्लॉक यूपीए सरकार के कार्यकाल में आवंटित किए गए। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोनहन सिंह को कोयला घोटाले को लेकर कोर्ट की कड़ी फटकार भी पड़ी थी। मनमोहन सिंह खुद 2006 से 2009 के बीच कोयला मंत्रालय देख रहे थे, ऐसे में अगर वे दोषी नहीं थे तो उन्होंने बाकी दोषियों का पता लगाने की पहल क्यों नहीं की... ?
अव्वल कोयला भंडार का भंडाफोड़
दरअसल कुछ कोयला ब्लाक आवंटन में अब तक काम नहीं शुरू हो पाया है लेकिन कुछ खदानों में काम चल रहा है। भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा कोयला भंडार है। ऐसे में खुले तौर पर शासन-प्रशासन की नज़र से इतना बड़ा कदम कैसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया... ?