हटेंगी अमेरिकी फौजे तो बढ़ेंगी भारत की चुनौतियां
बेंगलूर। वर्ष 2014 में अमेरिकी फौजें पूरी तरह से अफगानिस्तान से चली जाएंगी और इसके साथ ही देश के लिए एक बड़ी चुनौती भी खड़ी हो जाएगी। जिन आतंकी संगठनों को नाटो या फिर अमेरिकी फौजों का डर सताता है, वह भी आजाद हो जाएंगे। इसका एक उदाहरण इस साल के शुरुआत में देखने को मिला जब लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद ने धमकी दी कि जिस तरह से अमेरिकी फौंजे अफगानिस्तान से हटेंगी, उसी तरह से भारत को भी कश्मीर पर अपना हक छोड़ना पड़ेगा।
कश्मीर में सोमवार को हुए एनकाउंटर के बाद अब इस बात को समझने में देर नहीं करनी चाहिए कि लश्कर के साथ ही बाकी आतंकी संगठन भी देश के खिलाफ अपने मंसूबों को अंजाम देने की फिराक में बैठे हैं।
सेना के अधिकारी ने मानी बात
एक सीनियर आर्मी कमांडर ने भी दबी जुबान से एक इंटरव्यू में इस बात को मान लिया है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी ट्रूप्स का जाने का सीधा असर कश्मीर पर पड़ेगा।
सोमवार को एक बार फिर श्रीनगर के अहमदनगर में पुलिस, इंडियन आर्मी और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ के साथ सुबह से ही गोलीबारी की आवाजें आसपास के लोगों को आनी शुरू हो गई। एक हफ्ते के अंदर यह तीसरा मौका है जब आतंकियों के साथ एनकाउंटर की घटना हुई। पिछले कुछ वर्षों से शांत रहने वाला घाटी का माहौल फिर से अशांत हो गया है। रोजाना कभी घुसपैठ तो कभी आतंकी मुठभेड़ की खबरें आती ही रहती हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के इस अधिकारी का कहना है कि अफगानिस्तान से 2014 में अमेरिकी फौजों की वापसी कश्मीर में मौजूद सुरक्षा हालातों पर खासा असर डाल सकती है। इस अधिकारी के मुताबिक भारतीय सेना की ओर से लगातार घाटी में सुरक्षा व्यवस्था की हालत को बरकरार रखने की सारी कोशिशें की जा रही हैं।
जैसे-जैसे अफगानिस्तान से फौजों के हटने की तारीख करीब आती जा रही है, इसका असर नजर आने लगा है लेकिन अधिकारी के मुताबिक अब यह बात तो तय हो गई है कि इसका कश्मीर के सुरक्षा हालातों पर खासा असर पड़ने वाला है।
फारुख
अब्दुल्लाह
ने
भी
माना
सच
केन्द्रिय
मंत्री
फारुख
अब्दुल्लाह
ने
भी
अपने
एक
बयान
में
इस
बात
को
स्वीकार
किया
था
कि
अफगानिस्तान
से
अमेरिकी
फौजों
के
हटने
के
बाद
भारत
को
और
अधिक
चौकन्ना
रहना
होगा।
फारुख
अब्दुल्लाह
के
मुताबिक
सुरक्षा
व्यवस्था
को
और
अधिक
बढ़ाना
होगा।
फारुख अब्दुल्ला के मुताबिक उन्हें इस बात को लेकर चिंता है कि अफगानिस्तान में हावी रहे तालिबान या फिर अल-कायदा, जो अभी अमेरिकी फौजों की वजह से शांत हैं, इनके हटने के बाद भारत के खिलाफ किस तरह की साजिश को अंजाम देंगे।
चली जाएंगी अमेरिकी फौंजे
वर्ष 2012 में शिकागो समिट के दौरान फैसला लिया गया था कि वर्ष 2014 के अंत तक अफगानिस्तान में तैनात सभी अमेरिकी ट्रूप्स को वापस बुला लिया जाएगा।
कश्मीर में बढ़ती घुसपैठ
अमेरिकी फौजों के हटने के साथ ही भारत के सामने नई तरह की चुनौतियां पेश आएंगी। जिनकी झलक कश्मीर में घुसपैठ के बढ़तें आंकड़ों से मिल गई है।
196 बार सीजफायर वायॅलेशन
दिसंबर 2013 में पाकिस्तान की ओर से 196 बार सीजफायर का वायॅलेशन हो चुका है। यह आंकड़ा दिसंबर 2012 में सिर्फ 93 ही था। इसके अलावा उसकी ओर से करीब 350 बार आतंकवादियों ने घुसपैठ करने की कोशिश की।
फारुख अब्दुल्लाह ने माना सच
कुछ माह पहले फारुख अब्दुल्लाह ने भी इस बात पर चिंता जाहिर की थी और कहा था कि वर्ष 2014 में अफगानिस्तान से फौजों के हटने के साथ ही देश के सामने बड़ी चुनौतियां पेश आएंगी।
भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा
लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा का प्रमुख हाफिज सईद भारत के लिए कई बड़ी साजिशों को अंजाम दे सकता है। सईद ने इस वर्ष की शुरुआत में धमकी देते हुए कहा था कि भारत कश्मीर पर अपना हक उसी तरह से छोड़ेगा जैसे कि अमेरिका अफगानिस्तान छोड़कर जा रहा है।