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Exclusive: गुम हो गया वो तिरंगा जो फहराया था 15 अगस्त 1947 को

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नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। आने वाली 15 तारीख को देश स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। पूरे देश में स्वाधीनता दिवस का माहौल बन गया है। अब तिरंगों की जगह-जगह बिक्री भी चालू हो चुकी है। पर अफसोस कि जिस जिस तिरंगे को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु ने 15 अगस्त,1947 को लाल किले की प्राचीर से फहराया था, उसका कहीं कोई अता-पता नहीं है।

तिरंगा खोजने की कोशिश

देश के पहले स्वतंत्रता दिवस पर फहराया गया तिरंगा किस हाल में है, यह जानने के लिये हमने संसद भवन का रुख किया। हमने ने उसे ढूंढ़ने की हर चंद कोशिशें कीं, पर निराशा ही हाथ लगी। हमने सबसे पहले राष्ट्रपति भवन में खंगालना शुरू किया। वहां के मालखाने में ऐतिहासिक धरोहर की अनेक वस्तुएं पड़ी हैं। पर राष्ट्रपति के कुछ समय पहले तक मीडिया प्रभारी रहे वेणु राजमणि ने साफ कर दिया कि उन्हें उस तिरंगे की कोई जानकारी नहीं है कि वह इधर है।

राष्ट्रीय लेखागार

बिना हताश हुए हम राष्ट्रीय लेखागार निकल पड़े। इधर हमें कुछ आशा की किरण दिखाई दी। हमें इधर बताया गया कि यहां पर कुछ ऐतिहासिक अवसरों पर फहराए गए तिरंगे हैं। छानबीन करने पर मालूम चला कि तिरंगे तो कई रखे हैं पर वह तिरंगा नहीं है, जिसे नेहरू जी ने फहराया था।

कर्मचारी ने एक पुराना तिरंगा निकाला तो पर पता चला कि वह वह है जिसे 1946 की बंबई में हुई ऐतिहासिक नेवल म्युटनी के दौरान भारतीय जवानों ने फहराया था।

दिल्ली यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग से जुड़े डा. अनिरुद्ध देशपांडे कहते हैं कि नेवल म्युटनी से अंग्रेज सरकार हिल गई थी। माना तो यहां तक जाता है कि उसके बाद ब्रिटिश सरकार को समझ आ गया था कि अब भारत पर और राज करना मुमकिन नहीं होगा। उस सैन्य विद्रोह में शामिल सैनिकों के पास कांग्रेस और मुस्लिम लीग के झंडे थे। जाहिर है, यहां पर कांग्रेस का ही झंडा होगा।

सीपीडब्ल्यूडी भी नहीं संभाल सका

इसके बाद हमने कुषक रोड की सीपीडब्ल्यू दफ्तर का रुख किया। लाल किले पर होने वाले 15 अगस्त समारोह की तैयारियों में इसकी भी भूमिका रहती है। पर इधर भी हमें एक अधिकारी ने बताया कि उन्हें उस तिरंगे के इधर होने की कोई जानकारी नहीं है, जिसे नेहरुजी ने 15 अगस्त 1947 को लाल किले से फहराया था।

आखिरी उम्मीद पर भी फिर गया पानी

हमारी अंतिम उम्मीद राष्ट्रीय संग्रहालय थी। पर अफसोस यहां भी बात नहीं बनी। इधर की सूचना और स्वागत अधिकारी ममता मिश्र ने कहा कि हमारे पास मानव सभ्यता के अवशेष, मौर्यकालीन, गांधार, गुप्त तथा अन्य राजवंशों के दौर के भित्तिचित्र, तामपत्र और दुर्लभ कलाकृतियां तो हैं, पर कोई तिरंगा नहीं है। तो सवाल उठता है कि कहां गया वह तारीखी तिरंगा?

अब सवाल आपसे, जवाब देने के बाद नीचे कमेंट करना मत भूलियेगा!

Comments
English summary
The national flag unfurled by first Prime Minister Pt. Jawaharlal Nehru has gone missing. This is actually a big shame for the nation.
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