चार दशक बाद भी नहीं बदल सकी महिला वोटरों की सोच
क्या आपको मालूम है कि महिला वोटरों की जो सोच चार दशक पहले थी वह आज भी कायम है। कितनी महिलाएं घर से बाहर वोट करने के लिए निकलती हैं यह सवाल तो अहम है ही साथ ही इस सवालद की अहमियत भी बढ़ जाती है कि कितने लोगों का नाम वोटर लिस्ट में दर्ज है। हैरानी की बात है कि वर्ष 1971 में वोटर की लिस्ट की हालत और आज की वोटर लिस्ट की हालत में कोई ज्यादा फर्क नहीं है।
40
वर्षों
में
0.4
प्रतिशत
का
अंतर
चुनाव
आयोग
की
ओर
से
जारी
आंकड़ों
पर
अगर
गौर
किया
जाए
तो
वोटर
लिस्ट
में
18
से
19
वर्ष
की
आयु
वर्ग
की
महिलाओं
का
रजिस्ट्रेशन
कम
हो
गया
है।
साल
2011
की
जनगणना
के
मुताबिक
देश
में
45.8
मिलियन
लोग
ऐसे
थे
जिनकी
आयु
16
से
17
वर्ष
की
थी
और
इनकी
उम्र
अब
18
वर्ष
की
होगी।
इसके
बावजूद
करीब
आधे
लोगों
के
नाम
ही
वोटर
लिस्ट
में
दर्ज
हैं।
करीब 23.16 मिलियन लोग ऐसे हैं जिनकी उम्र 18 से 19 वर्ष है और वह बतौर फर्स्ट टाइम वोटर, वोटर लिस्ट में दर्ज हैं। यह 23.16 लोग देश के कुल 814.5 मिलियन वोटर्स का सिर्फ 2.8% प्रतिशत ही है। इनमें से सिर्फ 41.4 प्रतिशत ही फर्स्ट टाइम महिला वोटर्स हैं।
युवा महिला वोटरों के रजिस्ट्रेशन में आती कमी को लेकर चुनाव आयोग की ओर से भी चिंता जताई गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक आज यह आंकड़ा सिर्फ 46.8 होना चाहिए था। अगर
1971 की जनगणना और वर्ष 2011 में हुई जनगणना के आधार पर महिला वोटरों की संख्या पर गौर करें तो आंकड़ें में कोई बहुत ज्यादा फर्क नहीं आया है और यह 48.1 प्रतिशत से 48.5 प्रतिशत तक ही पहु्ंच सका है।
नहीं
हैं
अपने
मताधिकार
की
सही
जानकारी
यह
सच
है
कि
पिछले
कुछ
वर्षों
में
भारतीय
समाज
में
बहुत
परिवर्तन
आया
है
लेकिन
इसके
बावजूद
महिलाओं
के
बीच
उनके
मताधिकार
की
अहमियत
की
बात
को
सही
तरह
से
पेश
ही
नहीं
किया
जा
सका
है।
जानकारों
के
मुताबिक
देश
में
पिछले
44
वर्षों
में
काफी
बदलाव
आया
है।
शिक्षा
का
स्तर
भी
सुधरा
है
लेकिन
इसके
बावजूद
गांवों
में
रहने
वाली
महिलाओं
के
बीच
एजेंसियों
की
ओर
से
उनके
मताधिकार
के
बारे
में
उस
स्तर
की
जागरुकता
नहीं
लाई
जा
सकी
है
जिसकी
जरूरत
पिछले
कई
वर्षो
से
है।
वह मानते हैं कि जो सरकारी और गैर-सरकारी एजेंसिया महिलाओं को शिक्षित करने के काम में लगी हुई हैं लेकिन फिर भी उनका रवैया इस ओर उदासीन रहा है। न सिर्फ एजेंसियों बल्कि घर के बड़े बूजुर्गों को भी इस ओर ध्यान देना पड़ेगा।
राज्य
जहां
हालात
सबसे
ज्यादा
खराब
महिला
वोटरों
के
कम
रजिस्ट्रेशन
में
हरियाणा
सबसे
आगे
है।
हरियाणा
में
महिला
वोटरों
का
नाम
मतदाता
सूची
में
दर्ज
कराने
की
दिशा
में
बहुत
ही
धीमी
गति
से
काम
हुआ
है।
हालांकि
हरियाणा
में
लिंगानुपात
भी
देश
में
सबसे
कम
सिर्फ
879
ही
है।
एक
नजर
देश
के
उन
चार
राज्यों
पर
जहां
पर
महिला
वोटर
सबसे
कम
हैं
-हरियाणा
28.
3%
-महाराष्ट्र
35.5
%
-पंजाब
36.2
%
-गुजरात
36.2
%
-चंडीगढ़
36.2
%