हरियाणा चुनाव में मस्त चल रहा है भीड़ जुटाने का धंधा
नई दिल्ली। हरियाणा में चुनावी रैलियों के लिए भीड़ जुटाने वालों का धंधा इन दिनों मजे में चल रहा है। मोटा कमा रहे हैं ये। सबसे खास बात यह है कि भीड़ जुटाने वाले आपको हर तरह के लोग देने के लिए तैयार रहते हैं। यानी सिख चाहिएं या गैर-सिख। पगड़ी पहने लोग चाहिएं या कोई और। हर तरह का पैकेज मिलेगा। इस धंधे की खास बात ये है कि जैसी लुक वाले लोग चाहिएं, वैसे ही उपलब्ध हो जाते हैं। बस उसके चार्जेज थोड़े एक्स्ट्रा हो जाते हैं। स्पेशल लुक के लिए अमूमन 1000 रुपए प्रति किट अतिरिक्त वसूल किए जाते हैं।
जानकारों ने बताया कि प्रदेश के हर शहर में भीड़ देने वाले मौजूद हैं। अंबाला बस स्टैंड के पास एक तख्त पर बैठा साधारण सा लगने वाला नौजवान आपके सामने पैकेजों की पूरी किताब सी खोलने लगता है।
धंधे के ठेकेदार
ब्याह-शादियों के प्रबंधन को लेकर चलन में आए इवेंट मैनेजमैंट की तर्ज पर अब भीड़ मैनेजमेंट भी चल निकला है। बेशक बड़े शहरों में यह कई चुनाव पहले ही चोखा धंधा बन गया था, पर अब यह छोटे छोटे शहरों में भी पैर जमाने लगा है। हालांकि इस धंधे के ठेकेदार अब भी लोकल नहीं हैं, पटियाला जैसे आस पास के शहरों से ही यहां आते हैं।
जानकारों ने बताया कि इस धंधे में पैकेज और किट शब्द बड़े लोकप्रिय है। दोनों शब्दों को एक ही अर्थ में पर्याय के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। टैक्सी स्टैंड पर जाकर पड़ताल की तो पता चला कि एक छोटी किट या पैकेज में एक कार और 5 सवारी शामिल होती हैं। तीस किलोमीटर तक कहीं भी रैली हो, धरना हो, प्रदर्शन हो, ले जाइए। पूरा दिन रखिए। अढ़ाई हजार रुपए लगेंगे। इससे बड़ी किट में सूमो और ट्वेरा जैसी गाड़ी हो जाएगी और सवारियों की गिनती भी 8 हो जाएगी। और रेट रहेगा 3500 रुपए।
ईमानदारी इस धंधे का पहला उसूल है। जितने बंदे बुक किए जाते हैं, उतने हर हाल में पहुंचाए भी जाते हैं। रैली या सभा स्थल के बाहर बाकायदा आयोजकों की ओर से एक व्यक्ति मौजूद रहता है। जब भी किट वाली गाड़ी पहुंचती है, बाकायदा उसे गाड़ी का नंबर और गाड़ी में सवार लोगों की गिनती करवाई जाती है।