गुजरात की किताबें बांट रहीं 'नया ज्ञान', स्टेम सेल से पैदा हुए थे कौरव
वैदिक काल में ही मोटरसाइकिल भी बन गई थी। इन किताबों को आरएसएस की शिक्षण इकाई विद्या भारती की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य दीनानाथ बत्रा ने ने रचा है जो अब सवालों के घेरे में है। गुजरात स्टेट स्कूल टेक्स्टबुक्स बोर्ड ने इन किताबों का गुजराती में अनुवाद करवाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन किताबों की जमकर तारीफ कर चुके हैं। बत्रा की हर किताब पर बतौर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश भी अंकित हैं। मामला सामने आने के बाद राज्य शिक्षा मंत्री ने किताबों का बचाव किया है। सफाई पेश करते हुए कहा गया है कि ये अनिवार्य सिलेबस का हिस्सा नहीं हैं बल्कि रेफरेंस बुक्स भर हैं।हैं।
जिन आठ किताबों पर विवाद है उनमें ऐसे तथ्य और तत्व दिए गए हैं जिनका पता हमारे कुशल वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए। यहां दावा किया गया है कि भारत में इतिहास की जो किताबें चलन में हैं, उन पर पश्चिमी देशों का प्रभाव है।
यहां महाभारत के भी कुछ तथ्यों का पुनर्निधारण किया गया है। बताया गया है कि गांधारी जब दो साल तक गर्भधारण नहीं कर पा रही थी तो उन्होंने गर्भपात कराया। उनके गर्भाशय से बड़ी मात्रा में मांस निकला।
ऋषि द्वैपायन व्यास ने इस मांस में औषधियां मिलाकर इसे एक ठंडे टैंक में रख दिया। बाद में उन्होंने इसके 100 टुकड़े किए और हर टुकड़े को अलग-अलग घी से भरे 100 टैंक में दो साल तक रखा। दो साल के बाद इसी से 100 कौरवों का जन्म हुआ। इन तथ्यों के सहारे इतिहास को नया जामा पहनाने की कोशिश भी इस पाठ्यक्रम में की गई है।