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नहीं चुकाया कर्ज तो अखबार में छपेगी फोटो

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supreme court
नयी दिल्ली। देश की सर्वोच्य अदालत का एक अहम फैसला अब उन लोगों के लिए शर्मिदगी का कारण बन सकती है जो अपना कर्ज चुकाने में आनाकानी करते है। सुप्रीम कोर्ट ने बड़े स्तर पर जनहित को ध्यान में रखते हुए बैंकों को ये छूट दी है कि वो ऐसे डिफाल्टरों की फोटो अखबारों में छपवा सकते है तो कर्ज नहीं चुकाना चाहते हैं।

कोर्ट की दलील है कि अखबार में फोटो छपने से लोगों को शर्मिदगी होगी। हालांकि अदालत ने फोटो छपवाने का कदम उठाने का निर्णय लेने का अधिकार वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों को ही दिया है, जो बैंक के महाप्रबंधक से नीचे स्तर का अधिकारी नहीं होगा। जस्टिस एफएम इब्राहिम कलीफुल्ला की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में बांबे हाईकोर्ट के आदेश को जारी रखते हुए स्टेट बैंक आफ इंडिया को डिफाल्टरों के फोटोग्राफ छपवाने की अनुमति दी है। कोर्ट के फैसले के बाद अब बैंक की ओर से मुंबई की कर्ज नहीं चुकाने वाली फर्म डीजे एग्जिम (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक और गारंटरों की फोटो अखबारों में प्रकाशित कराई जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने सिक्योरिटेशन एक्ट की धारा 8 को आधार मानते हुए ये अहम फैसला किया है। इस एक्ट के मुताबिक बैंकों को जानबूझकर पैसा नहीं लौटाने वाले कर्जदारों के नाम और पता अखबारों में प्रकाशित करने अधिकार मिला है और इसमें फोटो छपवाने पर भी कोई कानूनी प्रतिबंध या रोक नहीं है।

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English summary
In a move that may discourage firms from defaulting on bank loans, the Supreme Court has allowed lenders to publish names and photographs of wilful defaulters in newspapers in the larger public interest.
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