महिलाओं के साथ कितना 'गुणा-भाग' करेगा नई सरकार का बजट
एक नजर डालिए जरा उन कुछ वादों पर जिनका ऐलान खूब जोर-शोर से आवाज बुलंद कर किया गया लेकिन जब पूरा करने की बात आई तो वादे पीछे रह गए।
जेंडर बजट
पिछले साल तक देश का 'जेंडर बजट' 97,533 करोड़ रुपए था। जिसके साथ ही महिलाओं की शिक्षा, सुरक्षा और सुविधा के लिए कई प्रस्तावों को सामने रखा गया था। केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने महिलाओं को समर्पित सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक खोलने का वादा किया था।
वहीं, पिछली सरकार ने बजट में महिला विकास और कल्याण के लिए 2,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त व्यवस्था की थी। इसके अलावा महिलाओं के लिए अलग से 97 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया गया था। लिहाजा, इस बार भी सरकार को टैक्स पॉलिसी के जरीए महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने की दिशा में काम करना चाहिए।
इन सबके बाद पिछले साल वित्त मंत्री ने महिला सुरक्षा के मद्देनजर देश को 'निर्भया फंड' का तोहफा दिया। जिसके तहत 1000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया। कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा के लिए बने इस फंड से गैर-सरकारी संस्थानों में काम करने वाली महिलाओं की सुरक्षा पर जोर दिए जाने की बात कही गई थी।
सुरक्षा के लिए लें महत्वपूर्ण कदम
केन्द्र सरकार के इस कदम में राज्य सरकारों ने हाथ नहीं बंटाया, लिहाजा यह फेल होता दिखा। आज भी देश में महिलाएं असुरक्षित हैं, और अगर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों की मानें तो देश में हर दिन 93 लड़कियों का बलात्कार किया जाता है। लिहाजा, मोदी सरकार के इस बजट में सरकार को महिला सुरक्षा के हक में कोई महत्वपूर्ण प्रस्ताव जरूर लाना चाहिए।
वहीं, उच्च तबके से लेकर निचले वर्ग तक की, बढ़ती मंहगाई से परेशान महिलाओं को भी सरकार से अच्छे दिन की उम्मीद है। एलपीजी सिलंडरों के बढ़ते दाम के साथ साथ खाने पीने के सामानों के दाम में भी ठहराव देखने की उम्मीद साथ जनता को अब बजट का बेसब्री से इंतजार है।