Video: मौत से पहले CRPF अधिकारी ने कहा- मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं, मुझे बचा लो...
यह शब्द हैं सीआरपीएफ कमांडेंट इंद्रजीत सिंह के जिनकी जान यूं तो आईईडी ब्लास्ट की वजह से हुई है लेकिन उनकी मौत के जिम्मेदार हमारे वह हुक्मरान भी हैं जिन पर देश को चलाने और हमारे लिए नियम बनाने की जिम्मेदारी है। इंद्रजीत सिंह की मौत इस बात की साफ मिसाल है कि उनके लिए सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों और अफसरों की जान कितनी कीमती है।
सोमवार को औरंगाबाद में सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट नक्सलियों की ओर से प्लांट किए गए आईईडी को डिफ्यूज करते समय घायल हो गए थे। उनके साथ यह हादसा सुबह 11 बजे हुआ लेकिन शाम पांच बजे तक उन्हें इलाज नहीं मुहैया कराया गया जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई।
<center><iframe width="100%" height="360" src="//www.youtube.com/embed/5HExOtbiE4g?feature=player_detailpage" frameborder="0" allowfullscreen></iframe></center>
सोमवार को औरंगाबाद के बारंदा के पास डिबरा पुलिस स्टेशन के तहत यह घटना घटी। सीआरपीएफ कमांडेंट इंद्रजीत सिंह और कांस्टेबल टी पन्ना और पवन कुमार एक आईईडी को डिफ्यूज कर रहे थे और तभी वहां पर ब्लास्ट हो गया। सुबह 11 बजे हुर्इ इस घटना के बाद न तो सीआरपीएफ पर्सनल को किसी भी तरह का कोई प्राथमिक उपचार ही नहीं मुहैया कराया गया था।
न तो घटनास्थल पर कोई एंबुलेंस मौजूद थी और न ही किसी ने घायल अघिकारी को बस या दूसरे साधनों के जरिए अस्पताल पहुंचाने की ही कोई जहमत उठाई। हद तो तब हो गई जब अधिकारी को अस्पताल लेकर जाया गया तो वहां पर भी कोई सीनियर डॉक्टर मौजूद नहीं था। कमांडेंट इंद्रजीत सिंह का इलाज उन जूनियर डॉक्टरों ने किया जिनके पास जरूरी सुविधाएं ही नहीं थीं।
दो घंटें तक इलाज के लिए चिल्लाने और दर्द से तड़पने रहे। वह अधिकारियों से मिन्नतें करते रहे कि उन्हें हेलीकॉप्टर के जरिए इलाज के लिए भेजा जाए और साथ ही अपने साथियों से गुहार लगाते कि उनकी जान बचा लो, उनके छोटे-छोटे बच्चे और पत्नी जिनका ध्यान उन्हें ही रखना है। अन्तत: पटना से एक हेलीकॉप्टर भेजा गया और औरंगाबाद के सदर अस्पताल से एयरलिफ्ट कर उन्हें रांची के अपोलो अस्पताल ले जाया गया। लेकिन ज्यादा खून बह जाने और समय पर इलाज न मिल पाने की वजह से उनकी मौत हो गई।
वहीं सीआरपीएफ के डीजी दिलीप त्रिवेदी ने इस पूरे मुद्दे पर कुछ भी कहने से इकांर कर दिया। उन्होंने बस इतना ही कहा कि आईजी को स्पॉट पर भेजा गया है और वह रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ प्रतिक्रिया करेंगे। दिलीप त्रिवेदी के मुताबिक डिप्टी कमांडेंट को समय पर इलाज क्यों नहीं मुहैया कराया जा सका इसकी इंक्वॉयरी कराई जाएगी। आईजी स्तर की इंक्वॉयरी के आदेश दे दिए गए हैं। रिपेार्ट आने से पहले हम कुछ भी नहीं कह सकते हैं।
वहीं सीआरपीफ के आईजी एमवी राव ने कहा कि कुछ भी कहने से पहले वह तथ्यों को दो बार जांचेंगे। राव यह कहना भी नहीं भूले कि इस घटना का अधिकारियों के उत्साह और जोश पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
सुरक्षा बलों को इंटलीजेंस की ओर से जो जानकारियां मिली हैं उनके मुताबिक अगले कुछ दिनों में माओवादी दिबरा और दूसरे इलाकों में आईडी ब्लास्ट कर सकते हैं। इस जानकारी के बाद ही बिहार पुलिस और सीआरपीफ के जवान यहां पर पहुंचे थे। वहीं गया और देहरी-ओन-सोन पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि वह घटना स्थल पर जब तक बॉम्ब डिफ्यूजल स्क्वायड को भेजने वाले थे लेकिन यह घटना हो गई। गया के जिला प्रशासन पर यहां पर मौजूद अधिकारियों के इलाज की जिम्मेदारी है।