मैं वाराणसी की जनता से अपील करता हूं कि मुझे हरा दें!
वाराणसी की लोकसभा सीट से खड़े हुए नरेंद्र घर-घर जाकर वोट न देने की अपील कर रहे है। नाम पर मत जाइए, ये भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी नहीं बल्कि नरेंद्र नाथ दुबे हैं जो हारने का विश्व रिकार्ड बनाना चाह रहे हैं। नरेंद्र को इस बात से बहुत उत्सुकता हो रही है कि नरेंद्र मोदी के साथ ईवीएम में उनका भी नाम लिखा होगा। उन्हें डर है कि नरेंद्र मोदी के नाम के भ्रम में उनके खाते में कुछ वोट न आ जाएं।
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नरेंद्र पेशे से वकील हैं और चाहते हैं कि हर बार की तरह वो हारें और उनके नाम हार का विश्व रिकार्ड बन जाए। नरेंद्र का कहना है कि उत्तर प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनावों में भी वो खड़े हुए थे। नरेंद्र बताते है कि उस समय सबसे कम वोट पाने की खातिर उन्होंने अपना वोट भी खुद को नहीं दिया।
नरेंद्र के अनुसार ऐसा कोई प्रत्याशी नहीं होगा जो एक भी वोट न पाए क्योंकि अपना और अपने परिवार का वोट तो हर प्रत्याशी को मिलता है।
नरेंद्र
को
है
अफसोस-
नरेंद्र को अफसोस है कि वो पिछले राष्ट्रपति चुनाव में प्रणब मुखर्जी के खिलाफ खड़े नहीं हो पाए थे। उन्होंने कहा कि उनका नामांकन केवल इस आधार पर रद्द हो गया कि उनके 50 प्रस्तावकों के हस्ताक्षर गलत पाए गए थे।
नरेंद्र बताते हैं कि उन्हें हार का स्वाद पता है। वो चाहते हैं कि हर बार खड़े हों और हार जाएं। जीत नहीं तो हार का रिकार्ड बनाना भी जीत की ही तरह है। किसी ने ठीक ही कहा है कि हार-जीत सिक्के के दो पहलू की तरह हैं। तो फिर इस मुहावरे को कोई तो चरितार्थ तो करेगा ही न!