ऐसी 10 विदेशी चीजें जिन्हें हमने इंडियन बना लिया
नयी दिल्ली। हम भारतीय किसी भी चीज का अपनी दोनों बांहें फैलाकर स्वागत करते हैं। फिर चाहे वो देशी हो या विदेशी। हम किसी को अपना बनाने से पीछे नहीं हटते। कहते है ना कि परायों को भी अपना बनाना कोई हम भारतीयों से सीखे। हमारे देश की और देशवासियों कीखासियत यही है कि वह हर चीज का स्वागत खुली बांहो के साथ करते है। यहां तक कि विदेशी चीजें और लोग भी बहुत जल्द यहां की संस्कृति से घुलमिल जाते हैं।
तस्वीरों के जरिए हम आपको बता रहे हैं उन 10 चर्चित चीजों के बारे में जिनके बारे में आपको अब तक लगता होगा कि ये भारतीय हैं। लेकिन दरअसल ये सभी चीजें विदेशों से आईं हैं। आप इनके बारे में जानकर हैरान हो जाएंगे।
भारतीय नहीं है समोसा
भारत में सबसे लोकप्रिय स्नैक्स में समोसा भारत की देन नहीं है। इसकी उत्पत्ति भारत में नहीं बल्कि मिडिल ईस्ट में हुई और वहां इसे सम्बोसा कहा जाता था।
चाय की चुस्की
भारतीयों के लिए तो चाय एक लत की तरह है। लेकिन आपको यह जानकारी हैरानी होगी कि चाय की उत्पत्ति चीन में हुई थी और इसे भारत में अंग्रेजों ने लोकप्रिय बनाया।
पराया हुआ राजमा
इस देश के सबसे लजीज व्यंजनों में से एक है राजमा। लेकिन राजमा भारत में मैक्सिको और ग्वाटेमाला से पहुंचा।
देशी नहीं विदेशी है आलू
भारत में आलू के बिना तो सब्जी बनाने की कोई सोच भी नहीं सकता लेकिन इसकी उत्पत्ति भारत में नहीं बल्कि पेरू और उत्तरी पश्चिमी बोलिविया में हुई थी।
चीन की देन है पतंग
बचपन में हम सभी ने पतंग उड़ाई है,लेकिन पतंग भी भारतीय नहीं है, मतलब पतंग हमारे देश में चीन से आया है।
खेल नहीं धर्म बन गया क्रिकेट
जिस खेल को भारत में धर्म का दर्जा प्राप्त है। उसकी शुरुआत अंग्रेजों ने की थी और वही इसे हमारे देश लाए थे। फिर हमने अपनी मेहनत से इसे अपना बना लिया।
स्वेटर भी विदेशों की देन
हाथों से बुने स्वेटर भी हमारे देश में बहुत लोकप्रिय हैं और हमारी दादी और नानी के फुर्सत के पलों में फेवरिट काम भी। लेकिन यह कला मिस्त्र से भारत पहुंची।
विदेशी है लजीज बिरयानी
हैदराबादी बिरयानी पूरे देश में फेमस हैं लेकिन इतिहासकारों का दावा है कि बिरयानी को भारत तुर्की के आक्रमणकारी लाए थे।
विदेशी स्वाद है मैंगी
भारत में बच्चों का सबसे लोकप्रिय स्नैक्स में से एक मैगी भी भारत की देन नहीं है। इसका आविष्कार जूलियस मैगी ने वर्ष 1872 में किया था और यह स्विट्जरलैंड से भारत आई।
अपना नहीं है सिल्क
हमारे देश की महिलाओं के बीच लोकप्रिय सिल्क की साड़ियां भी भारत की देन नहीं है बल्कि कई सौ साल पहले चीनी व्यापारी इसे भारत लाए थे।