विश्व टाइगर दिवस : जानें अपने राष्ट्रीय पशु से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें
नई दिल्ली। आज विश्व बाघ दिवस है। बाघों की घटती संख्या और इसके संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 29 जुलाई को यह दिवस मनाया जाता है।
विश्व भर में बाघों की घटती जनसंख्या को देखते हुए इस दिन के जरिए बाघों की बची जातियों को बचाने और इन्हें संरक्षित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयत्न किया जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, विश्व भर में मात्र 3,200 बाघ ही बचे हैं। इनके अस्तित्व पर लगातार खतरा मंडरा रहा है और यह प्रजाति विलुप्त होने की स्थिति में है।
इनके संरक्षण के लिए कई देश मुहिम चला रहे हैं, लेकिन फिर भी पर्यावरणविदों का मानना है कि यदि इनकी संख्या घटने की रफ्तार ऐसी रही तो आने वाले एक-दो दशक में बाघ का नामो निशान इस धरती से मिट जाएगा।
आप और हम, जिस बाघ को देखकर डर जाते हैं और उनकी गरज सुनकर अच्छे अच्छे कांप जाते हैं, आज उनके खुद के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।
बहरहाल, देखते हैं, बाघों से जुड़े कुछ दिलचस्प बातें। और हां, यदि तस्वीरों के नीचे दिए फैक्टस आपने नहीं पढ़े, तो बहुत कुछ मिस कर देगें।
मरने के बाद भी रह सकता है खड़ा
बाघ के पैर बहुत मजबूत होते हैं, जिस वजह से उसे शिकार करने में मदद मिलती है। लेकिन क्या आपको पता है कि बाघ के पैर इतने मजबूत होते हैं कि वो मरने के बाद भी खड़ा रह सकता है।
आंखों आंखों में
यदि आप सीधे सीधे बाघ की आंखों में देखेंगे तो वह आप पर हमला करने से पहले सोचेगा। या हो सकता है वह अपना इरादा बदल दे। तो जनाब, अगली बार बाघ से सामना हो तो आप यह ट्राई करें।
शुरुआत की एक हफ्ते बाघ देख नहीं सकते
बाघ अपने जन्म के एक हफ्ते तक देख नहीं सकते। वह अंधे होते हैं। वहीं, आधे से ज्यादा बाघ युवास्था में ही मर जाते हैं।
5 मीटर की ऊंचाई फांद सकता है
बाघ पांच मीटर तक की ऊंचाई कूद सकता है। वही, वह छह मीटर तक की चौड़ाई भी आराम से फांद सकता है।
300 किलो तक का होता है बाघ
बाघ का वजन 300 किलो तक का होता है। वहीं, क्या आपको पता है कि बाघ का दिमाग 300 ग्राम तक का होता है।
शानदार तैराक
बाघ शानदार तैराक होते हैं। जी हां, बाघ 6 किलोमीटर तक की दूरी आराम से तैर सकते हैं। मतलब, पानी में भी बच कर रहे।
बाघ के 6 उप जाति हैं
एक समय बाघ की 9 उपजाति पाई जाती थी। लेकिन आज यह सिर्फ छह रह गई है। पिछले 80 सालों में बाघों की तीन उप जातियां खत्म हो चुकी हैं।
बाकि उप जाति के अंतिम 15 वर्ष
ऐसा माना जा रहा है कि बाघों की बचे छह उप जातियां भी अगले 15 सालों में विलुप्त हो सकती है।
इनके दांत इनकी जान होती है
बाघों के दांत अति महत्वपूर्ण होते हैं। यहां तक की बाघों के श्वदंत या कैनाइन, जिससे वह अपने शिकार का चीड़ फाड़ करते हैं, यदि यह दांत टूट जाए तो बाघ की जिंदगी तक जा सकती है।
दूर तक जाती है गरज
एक बंगाल टाइगर की दहाड़ रात में 2 किलोमीटर तक की दूरी पर भी सुनाई दे सकती है। तो, इनकी गरज से भी बचकर रहने की जरूरत है।