इस वॉर म्यूजियम में आज भी जिंदा है कारगिल जंग
कारगिल जंग को 15 साल पूरे हो रहे हैं, उस उपलक्ष्य में यह हमारा विशेष कवरेज है।
बटालिक से ऋचा बाजेपई। बटालिक सेक्टर से करीब 30 किमी की दूरी पर जब मैं एक ब्रिगेड में पहुंची तो मैंने वहां पर एक ऐसा वॉर म्यूजियम देखा जिसने अभी तक कारगिल युद्ध की यादों को सहेजा हुआ है।
इस वॉर म्यूजियम में उस युद्ध से जुड़ी हर बात को काफी संभालकर रखा गया है। एक नजर डालिए तस्वीरों पर और देखें आखिर इस वॉर म्यूजियम की क्या खासियतें हैं।
युद्ध के नायकों के नाम
इस वॉर म्यूजियम में दाखिल होते ही आपको उन सभी नायकों की फोटोग्राफ देखने को मिलेगी जिन्होंने कारगिल वॉर में एक अहम रोल अदा किया।
एयरफोर्स का ग्रेनाइट बम
वॉर रूम में एक तरफ आपको एक बम का वह कवर देखने को मिलेगा जिसे इंडियन एयरफोर्स ने ऑपरेशन सफेद सागर के तहत पाकिस्तान के आतंकियों पर गिराया था।
मिग 21
म्यूजियम में उस मिग-21 रखा है, जिसका इस्तेमाल कारगिल की जंग में किया गया था।
भारत को मिली बड़ी कामयाबी
कारगिल वॉर में भारत को बड़ी कामयाबी उस समय हासिल हुई थी जब भारतीय सेना की जैक लई ब्रिगेड ने 21 जून 1999 को फाइनल अटैक में प्वाइंट 5203 पर अपना कब्जा किया।
दूसरी बड़ी कामयाबी
भारतीय सेना ने जुबार हिल्स पर अपने कब्जे के साथ ही दूसरी बड़ी कामयाबी हासिल की थी। यहां से 1 बिहार रेजीमेंट ने दुश्मनों को खदेड़ने में अहम भूमिका अदा की थी।
विमान का इंजन कवर
उस विमान का इंजन कवर है जिसे कारगिल जंग के दौरान फ्लाइट ले. नचीकेता उड़ा रहे थे। यह लड़ाकू विमान क्रैश हो गया था
भारतीय सेना ने की थी हासिल
इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान की चार तोपों को अपने कब्जे में ले लिया था। इन तोपों के जरिए ही पाक आतंकी सेना को निशाना बना रहे थे। यह चारों तोपें इस म्यूजियम में मौजूद हैं।