तो मोदी चाहते हैं कि पुलिस वाले 'दबंग' नहीं 'जंजीर' देंखे!
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मानते हैं कि फिल्मों में पुलिसवालों की खराब इमेज पेश की जाती रही है। उन्होंने यह बात एक सम्मेलन में कही, मालूम हो कि अनेक फिल्मों में पुलिस की बहुत उजली छवि सामने आई है।
बीबीसी से जुड़े रहे वरिष्ठ पत्रकार परवेज आलम ने कहा कि गंगा -जमुना में नासिर खान, जंजीर में अमिताभ बच्चन ने, दीवार में शशि कपूर ने, शक्ति में दिलीप कुमार ने, सरफोश में आमिर खान ने, शूल में मनोज वाजपेयी ने, कंपनी में मोहन लाल ने पुलिस वाले के किरदार को बहुत शानदार तरीके से अंजाम दिया। जाहिर है, इसके चलते पुलिस की छवि पर दाग नहीं लगे। इन सभी किरदारों में पुलिस वाले की बेहतर सामने आती है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि हिन्दी फिल्मों ने बर्बाद कर दी पुलिस वालों की इमेज।
'जंजीर' से लेकर 'दबंग' तक
हां, दबंग और अब तक छप्पन जैसी फिल्मों से तो पुलिस वालों की इमेज तो दूसरी शक्ल दे दी है और दबंग जैसी फिल्में काफी बड़ी हिट साबित हुईं हैं इसलिए शायद पीएम ने अपने भाषण में कहा कि आजकल की फिल्में पुलिस की छवि को धूमिल करती हैं।
मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को लोगों से पुलिस के प्रति अपनी सोच बदलने की अपील करते हुए कहा कि देश की पुलिस को 'स्मार्ट' बनाने की आवश्यकता है, जो संवेदनशील, विश्वसनीय और आधुनिक हो। पुलिस महानिदेशकों (डीजीपी) और पुलिस महानिरीक्षकों (आईजीपी) के 49वें अखिल भारतीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, "मेरे दिमाग में 'स्मार्ट पुलिस' को लेकर एक धारणा है। स्मार्ट के पहले अक्षर एस का अर्थ सख्ती व संवेदनशीलता, एम का मतलब आधुनिक व तत्परता, ए का अर्थ चौकस व जवाबदेह, आर का अर्थ भरोसेमंद तथा उत्तरदायी और टी का अर्थ प्रौद्योगिकी में दक्ष है।"
भाषण पर और ज्यादा रिसर्च हो
इसलिए जानकारों का कहना है कि मोदी जी के भाषण पर रिसर्च करने वाले शख्स को और मेहनत करने की जरूरत है। क्योंकि उसने जो जानकारी प्रधानमंत्री को दी उसे आप अर्धसत्य ही मान सकते हैं।