कांग्रेसियों ने किये तमाम प्रयास पर रोक नहीं पाये 'नमो रेल'
कांग्रेस पार्टी के लिये यह किसी बड़े सदमे से कम नहीं है, क्योंकि स्टॉप नमो के अभियान की शुरुआत खुद कांग्रेस ने की थी। जिसमें उसका साथ ममता बनर्जी की तृणमूल, लालू यादव की राजद, नीतीश कुमार की जदयू, अरविंद केजरीवाल की आप, मुलायम सिंह यादव की सपा, मायावती की बसपा और कई अन्य पार्टियों ने दिया।
स्टॉप नमो अभियान की जड़ों को कुरेदना शुरू करेंगे, तो इसकी नींव 2002 में पड़ी जब गुजरात दंगे हुए। उस वक्त से ही कांग्रेस समेत कई विरोधी दलों ने रह-रह कर नरेंद्र मोदी को निशाना बनाना शुरू कर दिया और 2012 में ये प्रहार और तेज हो गये, जब मोदी एक राष्ट्रीय नेता के रूप में उभरे।
2013 में दिल्ली के श्रीराम कॉलेज से जब नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों की सीरीज शुरू की, तब राष्ट्रीय मीडिया ने उन पर फिर से फोकस किया। तब से लेकर 10 मई 2014 तक मोदी ने अपने हर भाषण में गुजरात के मॉडल के हर पहलु को रखा और देखते ही देखते पूरे देश की जनता के अंदर चाह विकसित हुई कि उनका राज्य भी गुजरात बने।
फेंकू और झूठे मोदी
लोकसभा चुनाव में विरोधी पक्ष का कोई भी ऐसा नेता नहीं गया, जिसने नरेंद्र मोदी को फेंकू या झूठा नहीं करार दिया हो। अरविंद केजरीवाल से लेकर राहुल गांधी तक हर बड़े नेता ने सार्वजनिक मंच से कहा कि गुजरात मॉडल से जुड़ी बातों को लेकर मोदी देश से झूठ बोलते हैं। उनकी यह विकास गाथा मनघड़ंत कहानी है। यहां तक सोशल मीडिया और मेन स्ट्रीम मीडिया में भी मोदी को फेंकू कहकर बुलाया जाने लगा।
पढ़ें- नरेंद्र मोदी को किसने क्या कहा
इन सबके बीच यह साफ होता गया कि कांग्रेस का सरकार बनाने का सपना अब दु:स्वप्न बनता जा रहा था, क्योंकि हर बार उस सपने में नरेंद्र मोदी दिखाई देने लगे थे। और फिर कांग्रेस ने खुल कर स्टॉप मोदी अभियान का ऐलान कर दिया। कांग्रेस की वेबसाइट पर उनकी उपलब्धियां कम मोदी की बुराईयां ज्यादा दिखाई जाने लगीं। टीवी पर विज्ञापन भी दिया तो उसमें उपलब्धियां गिनाने के बजाये ऐसी टीम चुनने की बात कही जो एक खिलाड़ी के बल पर नहीं चलती हो।
मुसलमानों को डराया
2013 में कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी का नाम फेक एंकाउंटर के मामले में उछाला लेकिन कोर्ट ने कांग्रेस के मंसूबों को पूरा नहीं होने दिया। कांग्रेस ने अल्पसंख्यकों को मोदी का नाम लेकर डराना शुरू कर दिया। अभियान चला कि मोदी के आने पर अल्पसंख्यकों खास तौर से मुसलमानों का जीवन गर्त हो जायेगा, लेकिन मोदी तब भी अपने गुजरात के मुसलमानों के जीवन को देश के सामने परोसते रहे।
टोपी पर राजनीति
जब शिवराज सिंह चौहान की उपलब्धियां गिनाई जाने लगीं तब कांग्रेस के स्टॉप नमो अभियान के अंतर्गत मीडिया ने टोपी का मामला उछालना शुरू कर दिया। यूपीए तब फूले नहीं समायी और टोपी पर राजनीति शुरू कर दी।
स्वतंत्रता दिवस भाषण
यूपीए को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब स्वतंत्रता दिवस के दिन नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के समानांतर खड़े होकर भाषण देने का ऐलान कर दिया। कांग्रेस ने आनन फानन में आकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के माध्यम से टीवी चैनलों को गाइडलाइंस जारी कर दीं। लेकिन मीडिया कहां मानने वाला था। टीवी पर मनमोहन से ज्यादा मोदी छाये रहे। हालांकि मोदी ने मनमोहन सिंह के भाषण खत्म होने के बाद अपना भाषण दिया।
हैदराबाद में चला जादू
जब नरेंद्र मोदी का जादू हैदराबाद में चला, तब कांग्रेस के पैरों तले जमीन खिसक गई। कांग्रेस ने एक बार फिर अपनी चाल चली और आईपीएस वंजारा का पत्र बम के रूप में मोदी पर गिरा। कांग्रेस ने वंजारा के पत्र को ब्रह्मास्त्र के रूप में इस्तेमाल किया, लेकिन असल में वो ब्रह्मास्त्र था ही नहीं।
पटना में धमाके
नरेंद्र मोदी की रैलियां बदस्तूर जारी थीं, और यह बात विरोधी पक्ष को असहज बना रही थीं। अक्टूबर 2013 में जब पटना में मोदी पहुंचे तो रैली में सिलसिलेवार धमाके किये गये। लेकिन धमाके भी मोदी को रोक नहीं सके। बल्कि केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के सुझाव पर मोदी की सुरक्षा और बढ़ा दी गई।
मोदी पर पर्सनल अटैक
नवंबर से आम आदमी पार्टी ने नरेंद्र मोदी पर पर्सनल अटैक करने शुरू कर दिये। बार-बार गुजरात दंगों की दुहाई दी गई लेकिन एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट ने उन सबके मुंह बंद कर दिये। बंद मुंह पर टेप लगाने का काम पांच विधानसभा चुनावों के परिणामों ने किया। खासकर राजस्थान में जहां भाजपा ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया।
मोदी को चाय वाला सबसे पहले कांग्रेस ने कहा
नरेंद्र मोदी एक विजन के साथ आगे बढ़ रहे थे, तभी कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा 'एक चायवाला क्या देश चलायेगा, मोदी चाहें तो कांग्रेस के सम्मेलन पंडाल के बाहर चाय का स्टॉल लगा सकते हैं।' कांग्रेस ने सोचा कि देश की जनता 'चाय-वाला' कहने पर मोदी से दूरी बनायेगा, लेकिन भाजपा ने इसी शब्द को शस्त्र बना लिया और नया अभियान शुरू किया जो चाय पर चर्चा तक चला।
फरवरी 2014 में जब कुछ नहीं बचा तो मोदी पर पर्सनल अटैक तेज हो गये। कांग्रेसी नेताओं के साथ-साथ अरविंद केजरीवाल ने भी मोदी की पर्सनल लाइफ पर अटैक किया और कहा कि बचपन में शादी होने के बाद मोदी ने पत्नी को छोड़ दिया।
ताका झांकी और नीच राजनीति
दिग्विजय सिंह समेत कई अन्य कांग्रेसियों ने मोदी की पर्सनल लाइफ में ताकाझांकी शुरू कर दी। तभी वडोडरा में नामांकन दाखिल करते वक्त मोदी ने पहली बार अधिकारिक रूप से अपनी पत्नी को स्वीकार किया। लेकिन इसके बावजूद विरोधी दल चुप नहीं रहे और हमले जारी रखे। कांग्रेस के डर्टी ट्रिक्स डिपार्टमेंट ने कहा मोदी अपनी पत्नी का खयाल नहीं रख सकते तो देश का क्या रखेंगे।
अंत में प्रियंका गांधी ने नरेंद्र मोदी की राजनीति को नीच राजनीति करार दिया और इस पर भी जमकर राजनीति हुई। लेकिन पूरे एक साल तक चला स्टॉप नमो अभियान मोदी को रोक नहीं पाया। आज मतदान का अंतिम दिन है और देश के बच्चे-बच्चे के होठों पर मोदी का नाम है।