कांग्रेस का नुकसान लेकिन बीजेपी की भी हार
इन सभी सर्वो पर अगर यकीन किया जाए तो फिर शायद कांग्रेस इतिहास में अपनी सबसे बड़ी हार की ओर बढ़ रही है। इस बीच बेंगलूर स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइन आर्ट्स के कुछ छात्रों का कहना है कि इन चुनावों में भले ही बीजेपी एक बड़ी पार्टी के तौर पर उभरे लेकिन इसके बाद भी वह किसी हारी हुई पार्टी की तरह ही होगी।
कांग्रेस
की
वजह
से
'मोदी-मोदी'
इंस्टीट्यूट
की
छात्रा
नीरजा
द्विवेदी
कहती
हैं
कि
हर
तरफ
बस
नरेंद्र
मोदी
का
ही
शोर
सुनाई
देता
है
और
बीजेपी
की
जीत
के
बारे
में
ही
बातें
होती
हैं
लेकिन
मुझे
लगता
है
कि
हर
तरफ
लगने
वाले
'मोदी-मोदी'
के
नारों
से
बीजेपी
को
खुश
नहीं
होना
चाहिए।
नीरजा के मुताबिक आज अगर लोग नरेंद्र मोदी के नाम के नारे लगा रहे हैं तो उसकी वजह कांग्रेस खुद है। कांग्रेस की नीतियों और कमजोर प्रशासन की वजह से ही नरेंद्र मोदी एक विजेता के तौर पर सामने आ रहे हैं।
बदलाव
की
तलाश
में
वोटर्स
नीरजा
की
बात
से
इस
इंस्टीट्यूट
के
छात्र
राहुल
चतुर्वेदी
भी
सहमत
नजर
आए।
लखनऊ
के
रहने
वाले
राहुल
के
मुताबिक
पिछले
10
वर्षों
में
कांग्रेस
ने
जिस
तरह
का
शासन
देश
को
दिया
है
उससे
वोटर
काफी
परेशान
रहा।
अब
उसे
एक
नया
विकल्प
चाहिए
और
इसलिए
ही
वोटर
बीजेपी
में
एक
विकल्प
तलाश
रहा
है।
ऐसे में वह बीजेपी को वोट देकर और मोदी को प्रधानमंत्री पद के तौर पर देखना चाहता है। वोटर को लगता है कि शायद नरेंद्र मोदी मनमोहन सिंह की तुलना में बेहतर प्रधानमंत्री साबित हो सकेंगे।
क्यों
है
बीजेपी
का
नुकसान
राहुल
की
तरह
ही
लखनऊ
के
राजीव
शुक्ला
के
मुताबिक
कांग्रेस
को
नुकसान
भले
ही
लेकिन
बीजेपी
को
भी
फायदा
नहीं
है
क्योंकि
कांग्रेस
से
परेशान
होकर
वोटर
उसके
पास
आ
रहा
है
न
कि
पार्टी
की
नीतियों
से
खुश
और
संतुष्ट
होकर।
ऐसे में अगर देखा जाए तो इससे बीजेपी का ही नुकसान है। ऐसे में नतीजों के बाद बीजेपी को भी ज्यादा खुश नहीं होना चाहिए क्योंकि कहीं न कहीं जीत के बाद पार्टी को यह साबित करना पड़ेगा कि वह कांग्रेस से बेहतर शासन दे सकते हैं। अगर पार्टी ऐसा करने में असफल रहती है तो फिर उसको भी अगले चुनाव में कांग्रेस की ही तरह हार का सामना करने को तैयार रहना चाहिए।