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अजीब है ना! जिसने कभी भारत को देखा नहीं था, उसी ने कर दिये उसके दो टुकड़े

By Vivek
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नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। पाकिस्तान अपना स्वतंत्रता दिवस 14 अगस्त को और भारत 15 अगस्त को मनाता है, लिहाजा आम तौर पर लोग यही समझते हैं कि पहले हिंदुस्तान का बंटवारा हुआ, फिर दोनों देश आजाद हुए। जबकि सही मायने में 1947 में सब कुछ इसके विपरीत हुआ था।

जी हां पहले भारत और पाकिस्तान आजाद हुए और उसके दो दिन बाद देश का बंटवारा हुआ। शायद इस तथ्य को पढ़कर आप चौंक गये होंगे। यही नहीं जिस व्यक्त‍ि ने भारत के दो टुकड़े किये थे, उसने पहले कभी भारत को देखा तक नहीं था। तो चलिये हम आपको 67 साल पीछे ले चलते हैं, जब दिल्ली में इस प्रक्रिया को अंजाम दिया गया।

  • भारत और पाकिस्तान के स्वाधीन होने के बाद भी दोनों देशों की सरहदों का 17 अगस्त तक एलान नहीं हुआ था।
  • इस जटिल काम को ब्रिटिश कानूनविद् सिरिल रेडक्लिफ ने अंजाम दिया था।
  • भारत और तत्कालीन पाकिस्तान की सीमा निर्धारित करने वाली रेडक्लिफ रेखा का प्रथम प्रकाशन विभाजन के दो दिन बाद, 17 अगस्त 1947 को हुआ था।
  • ब्रिटिश सरकार ने तत्कालीन अखंड पंजाब और बंगाल का बंटवारा भारत संघ और डोमिनियन ऑफ पाकिस्तान के बीच करने की जिम्मेदारी सर सिरिल जॉन रेडक्लिफ को सौंपी थी।
  • करीब 8.8 करोड़ लोगों के लगभग साढ़े चार लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का न्यायोचित ढंग से बंटवारा करना था। हर राज्य के आयोग में दो कांग्रेस और दो मुस्लिम लीग प्रतिनिधि भी थे, हालांकि अंतिम निर्णय रेडक्लिफ का ही था।

चौंकाने वाली बातें

  • रेडक्लिफ को भारत के भूगोल की बहुत अधकचरी जानकारी थी।
  • रेडक्लिफ ने महज कुछ नक्शों, जाति और धर्म के आधार पर ही देश को बांट दिया।
  • रेडक्लिफ ने सिर्फ कुछ पुराने नक्शों और तमाम समुदायों की जनसंख्या के निष्कर्षों को आधार बनाया।
  • रेडक्लिफ उससे पहले कभी भारत नहीं आए थे।
  • 8 जुलाई, 1947 को भारत पहुंचने के बाद उन्हें पता चला कि उन्हें करना क्या है।
  • ब्रिटिश सरकार ने इस काम के लिए रेडक्लिफ को मात्र 5 सप्ताह ही दिये।
  • सिरिल ने अपने पाकिस्तान और भारत के नक्शों को 9 और 12 अगस्त क्रमश: तक पूरे कर लिये थे, लेकिन विवाद के कारण देरी हुई।
  • विवाद की वजह से ही रेडक्लिफ रेखा का प्रकाशन विभाजन के दो दिन बाद किया गया।
  • पंजाब में गुरदासपुर की दो तहसीलें मुस्लिम बहुल्य मानकर पाकिस्तान में शामिल कर ली गईं, जबकि इनकी अहमदिया आबादी को आज तक पाकिस्तान में मुसलमान नहीं माना गया।
  • बंटवारे के दिन तक बंगाल के दो मुस्लिम बहुल जिलों मुर्शिदाबाद और मालदा में लोग नक्शा आने तक अपने घरों पर पाकिस्तानी झंडे लगाए रहे। फिर पता चला कि वे भारत में हैं। जबकि मात्र 2 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाला चटगांव पाकिस्तान (अभी बांग्लादेश) में चला गया।

बंटवारे से जुड़े अनसुलझे सवाल

रेडक्लिफ ने हिंदू और बौद्ध जनजातीय बहुल चिटगांव पहाड़ियों को पाकिस्तानी (अब बांग्लादेश) क्षेत्र में क्यों रखा?

इसका उत्तर अनजाना ही रह गया, क्योंकि बाद में रेडक्लिफ ने सारे अभिलेख नष्ट कर दिए थे। कहा जाता है कि उन्होंने दस्तावेज जला दिये थे।

आख‍िर कौन सी पट्टी पढ़ाकर ब्रिटिश सरकार ने सिरिल रेडक्लिफ को भारत भेजा था?

30 मार्च 1899 को जन्मे रेडक्लिफ का निधन 1 अप्रैल 1977 को हुआ और उसी के साथ सारे राज़ दफ्न हो गये।

अपने पत्र में रेडक्लिफ ने दावा किया था कि भारत का बंटवारा करने में उन्हें बहुत दौड़-धूप करनी पड़ी, बहुत पसीना बहाया! क्या वाकई में ऐसा हुआ था?

17 अगस्त 1947 को प्रकाशित उनके नक्शे में विभाजन का जो खाका सामने आया, उससे लगा नहीं कि इसके लिए उन्हें बहुत ज्यादा पसीना बहाना पड़ा होगा।

क्या रेडक्ल‍िफ ने वाकई में 40 हजार रुपए मेहनताना नहीं लिया था?

बंटवारे में कई घपले हुए थे जो खुद रेडक्लिफ के दिमाग की उपज भी हो सकते हैं, लेकिन इनका दोषी माउंटबेटन को मानते हुए उन्होंने अपना 40 हजार रुपया मेहनताना लेने से मना कर दिया। लेकिन आज भी किसी को नहीं पता कि रेडक्लिफ ने वो मेहताना लिया या नहीं!

Comments
English summary
Not many people are aware of the fact the Cyril Radcliffe, carved out India in New Delhi bungalow which is now the Press Club. There are so many rarely know facts about Partition of India.
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