राज्यवर्द्धन सिंह राठौर के बारे में कुछ बातें आपको जरूर जाननी चाहिये
जयपुर। ओलंपिक खेलों में देश के लिए पहला व्यक्तिगत रजत पदक लाने वाले कर्नल राज्यवर्द्धन सिंह राठौर अब चुनावी मैदान में हैं और उनकी पूरी कोशिश रहेगी कि उनका निशाना यहां भी फिट बैठे। राज्यवर्द्धन राजस्थान की जयपुर ग्रामीण सीट से चुनावी मैदान पर अपनी किस्मत आजमाने जा रहे हैं। जैसलमेर से आने वाले राज्यवर्द्धन को उम्मीद है कि जनता उनका पूरा साथ देगी और यह उम्मीद उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रही है।
पढ़ें-जानें लोकसभा उम्मीवारों के बारे में
निजी जीवन
29 जनवरी 1970 को जन्म लेने वाले राज्यवर्द्धन राठौर के पिता भी आर्मी में एक अफसर रहे हैं। ऐसे में बचपन से ही उन्होंने भी सैनिक बनने का सपना देखा था और उसे पूरा भी किया। नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) और इंडियन मिलिट्री एकेडमी से पासआउट हैं। इंडियन आर्मी में बतौर आफिसर कमीशंड होने के बाद राज्यवर्द्धन ने शूटिंग के अलावा दूसरे खेलों में भी अपना शौक जारी रखा। राठौर ने लगातार पांच वर्ष तक शूटिंग पर अपने हाथ आजमाए और अपनी एकेडमी में वह सर्वश्रेष्ठ शूटर बनकर सामने आएं।
इसी प्रैक्टिस का नतीजा था कि वर्ष 2002 में राठौर ने मैनचेस्टर कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लिया। यहां पर उन्होंने स्वर्ण पदक जीता और इसके बाद वर्ष 2004 में राठौर ने एथेंस ओलंपिक में डबल ट्रैप शूटिंग में रजत पदक हासिल किया।
इंडियन आर्मी के बहादुर अफसर के साथ ही साथ एक पति और पिता भी हैं। राज्यवर्द्धन की पत्नी गायत्री से उनकी पहली मुलाकात एनडीए में ही हुई थी। मुलाकात प्यार में बदली और अब राठौर दो बच्चों मानवादित्या और बेटी गौरी के पिता हैं।
राजनीतिक जीवन
10 सितंबर 2013 को राठौर बीजेपी में शामिल हुए और इसके पहले वह रेवाड़ी में नरेंद्र मोदी की एक रैली का हिस्सा बने थे। राठौर ने राजनीति में आने के लिए सितंबर 2013 में ही सेना से वॉलेंटरी रिटायरमेंट ले लिया और बतौर कर्नल वह अपने पद से रिटायर हुए। आज राठौर जयपुर ग्रामीण संसदीय सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। राठौर के मुताबिक उनकी स्थिति राजनीति में सेना के सेकेंड लेफ्टिनेंट जैसी ही है।
वह कहते हैं कि वह बिना लाइफ जैकेट और बुलेट प्रूफ जैकेट के इस समंदर में कूद गए हैं लेकिन साथ ही उन्हें जीत का पूरा भरोसा है। राठौर की मानें तो आर्मी ने उन्हें चुनौतियों का सामना करना काफी बेहतरी से सिखाया है। जिस समय वह आर्मी का हिस्सा थे उस समय उनकी पोस्टिंग कश्मीर में थी।
इसी वर्ष उन्होंने देश के लिए रजत पदक जीता था और एक बार फिर वही जोश उन्हें सोने नहीं देता है। वह कहते हैं कि वह देश और लोगों की सेवा करने के लिए राजनीति में आना चाहते थे और उनकी पूरी कोशिश रहेगी कि वह लोगों की उम्मीदों पर खरा उतर सकें।
चुनाव में जीत का पूरा भरोसा
सेना से रिटायर अफसर राज्यवद्धर्न राठौर को पूरा भरोसा है कि जयपुर की जनता उन्हें निराश नहीं होने देगी और वह इस बार लोकसभा तक जरूर पहुंचेंगे।
सांसद नहीं सेवक बनूंगा
कुछ दिनों पहले राज्यवर्द्धन अपने संसदीय क्षेत्र में मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने यहां की जनता से कहा कि वह सांसद नहीं बल्कि सेवक बनने आएं है। साथ ही अपील भी की कि वह उन्हें संसद तक पहुंचाए ताकि वह उनकी सेवा समर्पित भाव से कर सकें।
पहली पसंद बनी बीजेपी
राज्यवर्द्धन की मानें तो उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह राजनीति में आएंगे लेकिन एक पल को उन्हें लगा कि आर्मी के बाद शायद यह देश सेवा का बेहतरीन विकल्प है। ऐसे में उन्हें बीजेपी के अलावा कोई और पार्टी नजर नहीं आई जिसके साथ वह खुद को जोड़ सकें।
राज्यवर्द्धन को नरेंद्र मोदी लगते हैं बेहतर नेतृत्वकर्ता
राज्यवर्द्धन की मानें तो नरेंद्र मोदी शायद देश के अकेले ऐसे नेता हैं जिनमें नेतृत्व के सारे गुण मौजूद हैं।
40 साल बाद राज्यवर्द्धन ने देश को दिलाया खिताब
राज्यवर्द्धन ने 40 वर्षो के बाद देश के लिए शूटिंग वर्ल्ड चैंपियनशिन का खिताब जीता था। राज्यवर्द्धन ने वर्ष 2002 से 200 6 के बीच विभिन्न अतंराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में 25 पदक अपने नाम किए हैं।
पुरस्कारों से सजा ड्राइंग रूम
राठौर को 1989 में एनडीए का सर्वोच्च पुरस्कार ब्लेजर हासिल हुआ। यह पुरस्कार एनडीए में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी को मिलता है। इसके बाद उन्हें आईएमए में स्वॉर्ड ऑफ ऑनर का पुरस्कार मिला। राज्यवर्द्धन को अजुर्न पुरस्कार, राजीव गांधी खेल रत्न और पद्मश्री के साथ ही अति विशिष्ठ सेवा मेडल भी मिला है।
मसालेदार खाने के शौकीन
राज्यवर्द्धन को खाने का काफी शौक है और उनकी मानें तो वह खूब खाते हैं। उन्हें मसालेदार खाने का काफी शौक है।
शूटिंग के अलावा क्रिकेट पसंद
राज्यवर्द्धन को शूटिंग के अलावा क्रिकेट देखना और खेलना पसंद हैं। वह कहते हैं कि एनडीए के दौरान उन्होंने शूटिंग को अपना पसंदीदा खेल चुना था और इसलिए वह इसी में आगे बढ़ते गए। सिर्फ इतना ही राज्यवर्द्धन चाहते हैं कि दूसरे खेलों को आगे बढ़ाने के लिए उनसे जो कुछ भी हो सके वह करते रहें।
बेटा मानवादित्य भी शूटर
राज्यवर्द्धन के बेटे मानवादित्य भी शूटिंग में अपने हाथ आजमा रहे हैं। मानवादित्या ने पिछले वर्ष वर्ल्ड कप शूटिंग जूनियर्स में रजत पदक जीता था।