भारत के पुतिन नरेंद्र मोदी, जिसने पाकिस्तान, पश्चिम को किया नर्वस
इस बात की आशंका के बाद से जहां पश्चिमी मीडिया में नरेंद्र मोदी से जुड़ी कई खबरें लगातार प्रकाशित हो रही हैं तो वहीं पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की बेचैनी भी साफ झलकने लगी है।
एक बात पश्चिम और पाक में साफ देखी जा सकती है और वह है दोनों ही मोदी की वजह से तनाव में हैं। कहीं न कहीं शायद नरेंद्र मोदी की वजह से पाकिस्तान और पश्चिमी मुल्कों को दुनिया के इस हिस्से में अगले ब्लादीमीर पुतिन की झलक भी नजर आने लगी है।
पुतिन
की
तरह
राष्ट्रवादी
नेता
की
छवि
वाले
मोदी
दोनों
के
तनाव
की
वजह
भी
साफ
है।
शायद
पश्चिम
देशों
की
तरह
पाकिस्तान
को
भी
उम्मीद
नहीं
होगी
मोदी
के
तौर
पर
भारत
को
एक
ऐसा
प्रधानमंत्री
मिलेगा
जो
अपनी
आलोचनाओं
से
घबराने
और
दुसरों
के
सामने
झुकने
के
बजाय
उनका
डटकर
सामना
करेगा
और
कहीं
न
कहीं
दूसरों
को
अपने
सामने
झुकने
पर
मजबूर
करेगा।
नरेंद्र
मोदी
खुद
को
एक
कमजोर
नेता
कहलाना
पसंद
नहीं
करते
हैं।
अमेरिका और ब्रिटेन के साथ ही कुछ और पश्चिमी देशों की ओर से जब उनका विरोध शुरू हुआ तो मोदी ने आलोचनाओं की बजाय मजबूती के साथ उसका जवाब दिया है। इसका नतीजा है कि आज अमेरिका उन्हें वीजा देने के मुद्दे पर अपने सभी विकल्प खुले रखने का ऐलान करता है। यह इस बात का साफ उदाहरण है।
नरेंद्र मोदी जिस तरह से अपनी चुनावी रैलियों में पाक पर निशाना साधते हैं, वह शायद पड़ोसी मुल्क की घबराहट और तनाव की सबसे बड़ी वजह है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि मोदी भारत में पुतिन की ही तरह राष्ट्रवादी नेता के तौर पर उभरते जा रहे हैं।
ब्रिटिश
न्यूजपेपर
द
इकोनॉमिस्ट
में
झलका
ब्रिटेन
का
नजरिया
नरेंद्र
मोदी
के
बारे
में
ब्रिटेन
क्या
राय
रखता
है
इसका
नजरिया
वहां
के
एक
न्यूजपेपर
'द
इकोनॉमिस्ट'
में
पेश
किया
गया।
न
केवल
ब्रिटेन
बल्कि
पश्विमी
के
कई
मुल्कों
की
राय
शायद
इकोनॉमिस्ट
के
उस
एक
आर्टिकल
में
पेश
की
गई
जिसका
टाइटल
था,
'कैन
एनीवन
स्टॉप
मोदी।'
इस आर्टिकल पर एक तरफा होने का आरोप लगाया गया। इस आर्टिकल में सुप्रीम कोर्ट की उस बात का जिक्र ही नहीं था जिसमें नरेंद्र मोदी को क्लिन चिट दे दी गई थी। इस आर्टिकल के जरिए शायद नरेंद्र मोदी के खिलाफ ब्रिटिश स्टाइल में एक प्रपोगंडा चलाने की कोशिश की गई थी।
इकोनॉमिस्ट ने अपने आर्टिकल में लिखा था कि बेहतर होगा कि अगर भारत की जनता नरेंद्र मोदी की बजाय राहुल गांधी को चुने। हालांकि द इकोनॉमिस्ट ने अपने लेख में यह बात साफ कर दी थी कि राहुल गांधी भी देश के लिए कोई बेहतर विकल्प नहीं होंगे लेकिन वह फिर भी मोदी की तुलना में एक बेहतर नेता साबित होंगे।
भारत
में
लोकसभा
चुनाव,
पाकिस्तान
में
हलचल
नरेंद्र
मोदी
जिस
तरह
से
आगे
बढ़ते
जा
रहे
हैं
उसकी
वजह
से
पाक
के
माथे
पर
भी
बल
पड़ने
शुरू
हो
गए
हैं।
पिछले
कुछ
दिनों
में
पाक
की
ओर
से
आए
कई
तरह
के
बयान
इस
ओर
इशारा
करते
हैं।
पाक
के
आंतरिक
मामलों
के
मंत्री चौधरी निसार खान ने बयान दिया था कि नरेंद्र मोदी अगर भारत के प्रधानमंत्री बने तो फिर वह इस क्षेत्र की शांति के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं। एक ऐसा मुल्क जो पिछले कई वर्षों से भारत में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है, उसकी ओर से इस तरह का बयान आना अपने आप में हैरान कर देने वाली बात है।
इन सबसे अलग एक गुजराती न्यूजपेपर को मोदी ने इंटरव्यू दिया और उस इंटरव्यू में मोदी ने जो बातें कहीं उसका सार यही था कि भारत को भी पाक में मौजूद दाउद के खिलाफ उसी तरह की कार्रवाई करनी चाहिए जिस तरह की कार्रवाई अमेरिका ने ओसामा बिना लादेन के खिलाफ की थी। इस इंटरव्यू के बाद से ही पाक की ओर से आने वाले बेतुके बयानों का सिलसिला बदस्तूर जारी है।
जबकि हकीकत यह है कि वर्ष 2013 में रिलीज हुई एक अमेरिकी रिपोर्ट में साफ कहा गया था कि पाक में चलने वाले आतंकी कैंपों और गतिविधियों की वजह से भारत काफी प्रभावित हुआ है। शायद नरेंद्र मोदी ने अपने इंटरव्यू में इसी बात को दिमाग में रखकर दाउद इब्राहीम वाली बात कही थी।
यहां यह बात भी गौर करने वाली है कि मोदी ने कभी भी अपने इंटरव्यू में पाकिस्तान का नाम ही नहीं लिया था। इसके बावजूद पाक के मंत्री चौधरी निसार खान की ओर से आने वाले बयानों से पाकिस्तान की अपरिक्वता साफ झलकती है।
मोदी
का
रवैया
होगा
मनमोहन
से
अलग
बात
अगर
सिर्फ
चौधरी
निसार
खान
तक
सीमित
होती
तो
गनीमत
थी
लेकिन
इस
पूरे
मुद्दे
में
जब
पाक
सेना
के
प्रमुख
जनरल
राहील
शरीफ
का
बयान
आया
तो
भारत
में
कई
लोगों
ने
अपनी
नाराजगी
जाहिर
की।
जनरल राहील की ओर से 'कश्मीर को पाक के गले की नस' करार दिया गया। पाक जो पिछले 10 वर्षों से यूपीए के नरम रवैये का आदी हो गया था वह अब शायद नरेंद्र मोदी के आक्रामक तेवरों को देखकर थोड़ा परेशान हो गया है।
उसे
इस
बात
का
डर
है
कि
10
वर्षों
में
जब
मनमोहन
सिंह
भारत
के
प्रधानमंत्री
थे
तो
उन्होंने
कभी
किसी
भी
मुद्दे
पर
कोई
कड़ा
रवैया
नहीं
अपनाया
लेकिन
अब
जबकि
मोदी
देश
के
अगले
प्रधानमंत्री
बन
सकते
हैं
तो
उसके
लिए
परेशानी
भी
बढ़
सकती
है।
नरेंद्र मोदी ने यह बात साफ कर दी है कि, वह पाक की ओर से किसी भी कायराना हरकत चाहे वह सैनिकों के सिर काटकर ले जाने का मुद्दा हो या फिर लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सर्इद की ओर से लगातार दी जाने वाली धमकी हो, बिल्कुल भी चुप नहीं बैठेंगे।
पुतिन
की
तरह
तोड़ेंगे
पश्चिम
का
दंभ
मोदी
हमेशा
से
ही
सेनाओं
के
आधुनिकीरण
और
देश
के
हथियारों
में
नवीनता
लाने
की
बात
करते
रहते
हैं।
मोदी
का
मानना
है
कि
इस
एक
पहलू
को
पिछले
कई
वर्षों
से
नजरअंदाज
किया
गया
है।
देश के साथ ही सेनाओं का विकास भी रुका हुआ है और वर्तमान समय में देश इस हालात में नहीं है कि वह किसी भी युद्ध का सामना कर सके। पाक इस बात को लेकर सबसे ज्यादा चिंताग्रस्त है।
पाक हो या पश्चिमी देश, दोनों को ही इस बात से सबसे ज्यादा चिंता है कि भारत में रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन की तरह ही एक नेता अब बड़े पैमाने पर स्वीकार किया जाने लगा है। वह कहीं न कहीं मोदी में पुतिन की छवि देखने लगे हैं।
पश्चिमी देश हों या फिर यूरोपियन देश दोनों ही कभी इस बात को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं कि एशिया या फिर अफ्रीका में एक मजबूत नेतृत्व सामने आए क्योंकि सारी दुनिया जानती है कि किस तरह से सरदार पटेल और नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने उनका घमंड चकनाचूर कर दिया था।
रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन का उद्भव आज से करीब डेढ़ दशक पहले रूस में हुआ था जब वह रूस के राष्ट्रपति के तौर पर सामने आए थे। पुतिन ने न सिर्फ रूस की अर्थव्यवस्था को संभाला बल्कि यहां की मिलिट्री को भी ताकतवर बनाया था। आज रूस एक ऐसे किले में तब्दील हो चुका है जिसे तोड़ पाना न तो यूरोप के लिए संभव हो सका है और न ही अमेरिका के लिए।
यूक्रेन में पैदा हालातों के साथ ही एक बार फिर पुतिन ने यह साबित किया है कि यूरोपियन यूनियन और अमेरिका को अपने घुटनों पर बैठने को मजबूर कर दिया जाए।
पुतिन हमेशा से ही आतंकवाद और ऐसी ताकतों के खिलाफ सख्ती से निबटते आए हैं। शायद पाकिस्तान और पश्चिमी मुल्कों को इस बात की जानकारी है कि मोदी भी पुतिन की ही तरह कुछ खास योग्यताएं रखते हैं। मोदी भी पुतिन की ही तरह अर्थव्यवस्था और सेनाओं के आधुनिकीकरण के हिमायती हैं।
पाक यह भी जानता है कि अगर मोदी के नेतृत्व में 26/11 जैसा कोई और हमला हुआ तो फिर भारत शांत नहीं बैठेगा। साथ ही उसे अब इस बात का अहसास हो गया है कि मोदी के बाद भारत किसी भी आतंकी घटना पर शांत नहीं बैठेगा और उसका मुंहतोड़ जवाब देगा।