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सपा की इस साइकिल को पंक्चर करना आसान नहीं

By Ajay Mohan
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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के पहले दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अख‍िलेश यादव से जब पूछा गया कि क्या मोदी की लहर उत्तर प्रदेश में है तो उन्होंने बहुत सधा हुआ जवाब दिया। कहा, "यूपी में मोदी की लहर फिलहाल उस गति से नहीं चल रही है, जिस गती से उसका ढिंढोरा पीटा जा रहा है। हां यह जरूर है कि भारतीय जनता पार्टी का जनाधार बढ़ेगा, पिछली बार की तुलना में उसे ज्यादा सीटें मिलेंगी, लेकिन यह मोदी की वजह से नहीं भाजपा के कार्यकर्ताओं के कारण हुआ है।"

आपको क्या लगता है, मुख्यमंत्री ने यह बात अखबार पढ़कर कही होगी, या टीवी में मोदी की रैली की भीड़ देखने के बाद? नहीं असल में अख‍िलेश यादव की एक टीम है, जो जनता के बीच जाकर इनपुट एकत्र कर रही है और गोपनीय ढंग से वो इनपुट सीधे मुलायम सिंह यादव और अख‍िलेश यादव तक पहुंचाये जा रहे हैं। किस पार्टी में क्या चल रहा है, जनता क्या चाहती है, जनता यूपी सरकार से क्यों नाराज हैं, क्यों खुश है, यूपी की जनता की क्या तकलीफे हैं।

भाजपा के खेमे में जायें तो इंडिया272 प्लस डॉटकॉम के माध्यम से आम जनता अपना फीडबैक भाजपा को देती है, वही काम भाजपा भी कर रही है, बस फर्क इतना है कि वहां पर इंटरनेट है और यहां साइकिल। बात अगर साइकिल की आ ही गई है, तो हाल ही में संपन्न हुई साकिल यात्रा पर फोकस करना जरूरी बनता है। आप सोच रहे होंगे कि ये तो सपाईयों का प्रचार-प्रसार था, जो निपट गया, जबकि सच पूछिए तो यह साइकिल रैली, रैली नहीं, बल्कि जनता का फीडबैक जुटाने का बड़ा साधन थी।

आपने सिर्फ इंटरनेट या अखबारों पर साइकिल यात्रा की तस्वीरें देखी होंगी जिसमें मुख्यमंत्री या उनके कार्यकर्ता साइकिल चला रहे हैं, जबकि अंदर की कहानी वो है, जो कम ही लोग जानते हैं।

लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही जब-जब यूपी की बात आयी, तब-तब विरोधी दलों ने सपा सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाये। सच पूछिए तो किसी भी दल के पास इसके अलावा कोई और निगेटिव फीडबैक था ही नहीं। हां अन्य बातें, जैसे बेरोजगारी, बिजली, पानी, आदि की समस्याएं हैं, लेकिन वो समस्याएं सपा को विरासत में मिली हैं और ये ऐसी समस्याएं हैं, जिन्हें 2 साल में खत्म नहीं किया जा सकता है।

घटना जिसने खोल दी आखें

सपा सरकार में राज्यमंत्री राम सिंह राणा, जो साइकिल यात्रा के प्रभारी हैं, हमने जब उनसे बात की, तो उन्होंने बताया कि यात्रा के दौरान जनता के बीच ऐसी बातें पता चलीं, जो हम खुद नहीं जानते थे। उन्होंने बताया, "एक कृषक परिवार से मिला, वहां परिवार के मुख‍िया की मृत्यु खेती के वक्त हादसे में हो गई। परिवार ने सीधे ले जाकर क्रियाक्रम कर दिया, शव का पोस्टमॉर्टम नहीं करवाया। जब मैंने उनसे पूछा कि क्या आपको मालूम है किसान के किसी हादसे में मरने पर यूपी सरकार पांच लाख का मुआवजा देती है, तो बोले ये बात उन्हें पता नहीं थी। उस परिवार का दर्द मेरी आंखों से भुलाया नहीं जाता है, मैं मीडिया से गुजारिश करूंगा कि समाज में जो अच्छी व कल्याणकारी योजाएं हैं, उनकी सूचना जनता तक जरूर पहुंचाये।"

राम सिंह राणा ने बताया कि साइकिल यात्रा के माध्यम से हमने जमीनी स्तर पर समस्याओं को करीब से देखा और अब लोकसभा चुनाव में तो हमारा दायित्व पार्टी को जिताना है, लेकिन उससे बड़ा दायित्व है उन समस्याओं को जड़ से खत्म करना। मैं जनता से कहना चाहूंगा कि सरकारी योजनाओं के बारे में हर संभव जानकारी रखे। दिल्ली से लखनऊ तक साइकिल यात्रा एक प्रकार का तप था, जो युवाओं ने किया है, उसका परिणाम जरूर मिलेगा।

रिसर्च स्कॉलर इकठ्ठा कर रहे फीडबैक

रिसर्च स्कॉलर इकठ्ठा कर रहे फीडबैक

2012 के विधानसभा चुनाव में सपा ने पूरे उत्तर प्रदेश में साइकिल यात्राएं कीं और अख‍िलेश को सीएम बनाया। अब सपा ने फिर से साइकिल निकाली और मकसद आप जानते हैं। इस बार यात्रा में सिर्फ आम कार्यकर्ता नहीं शामिल हुए, बल्कि प्रदेश के तमाम विश्वविद्यालयों के रिसर्च स्कॉलर व छात्र इस रैली का भाग बने। इन स्कॉलर्स ने प्रदेश भर से फीडबैक एकत्र कर लिया है, जो अब धीरे-धीरे अख‍िलेश यादव तक पहुंचाया जा रहा है।

जनता से पूछे सवाल

जनता से पूछे सवाल

बाराबंकी में पार्टी के कार्यकर्ता दानिश सिद्दीकी ने बताया कि साइकिल यात्रा के दौरान हमने जनता से सबसे पहला सवाल पूछा, आपकी समस्या क्या है, फिर आप क्या चाहते हैं, और सरकार आपके लिये क्या-क्या कर सकती है। दानिश ने बताया कि दिल्ली से लेकर लखनऊ तक तीन अलग-अलग रास्तों पर चलायी गई साइकिल यात्रा के दौरान जनता का फीडबैक एकत्र किया गया है। साथ ही हमने जनता के बीच सपा सरकार द्वारा किये गये कार्यों की एक बुकलेट लोगों तक पहुंचायी।

पता चला कि कहां-कहां मजबूत है सपा, कहां कमजोर

पता चला कि कहां-कहां मजबूत है सपा, कहां कमजोर

पार्टी नेताओं ने बताया कि साइकिल यात्रा पूरी कर लखनऊ लौटे सपा नेताओं ने बताया कि इससे पता चला कि राज्य के किस-किस क्षेत्र में पार्टी मजबूत है और किस क्षेत्र में कमजोर।

कौन सा प्रत्याशी काम कर रहा है कौन नहीं

कौन सा प्रत्याशी काम कर रहा है कौन नहीं

इससे पता चला कि कौन सा प्रत्याशी कितना काम कर रहा है। अगर निगेटिव फीडबैक मिला तो उसके आधार पर प्रत्याशी बदले जा सकते हैं।

साइकिल यात्रा की जिम्मेदारी संजय लाठर के पास

साइकिल यात्रा की जिम्मेदारी संजय लाठर के पास

इस यात्रा को सफल बनाने का काम मुख्य रूप से युवजन सभा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय लाठर ने किया। उनके साथ राजपाल कश्यप, राम सिंह राणा, सुनील कुमार सिंह साजन, अनुराग यादव समेत तमाम बड़े नेता थे।

कार्यकर्ता जिन्होंने बहाया पसीना

कार्यकर्ता जिन्होंने बहाया पसीना

लखनऊ विश्वविद्यालय के वरिष्ठ छात्रनेता दानिश सिद्दीकी, अवध विश्वविद्यालय के रोहित सिंह रघुवंशी, ललितपुर के धर्मेंद्र यादव, अतुल प्रधान प्रदेश अध्यक्ष छात्रसभा, इलाहाबाद विवि के छात्र नेता बाबुल सिंह, रजनीश सिंह, धर्मू यादव, सैय्यद अलीम मेहंदी, जिलाध्यक्ष जग्गू पाल हरदोई, विनोद कुमार सिंह, फैजाबाद के जिला कोषाध्यक्ष, राहुल सिंह, राम सागर यादव, मोहम्मद ऐबाद, प्रदीप तिवारी, अवधेश वर्मा, अजीत यादव, संतोष यादव, पंकज यादव, हसीब हसन, अभ‍ितेंद्र सिंह, जीतेंद्र वर्मा जीतू।

एक खासियत मुलायम की

एक खासियत मुलायम की

मुलायम सिंह के बारे में एक खासियत आपको जरूर मालूम होनी चाहिये कि जब-जब मुलायम को विरोधी दलों ने खारिज किया है, तब तब वो और ज्यादा सशक्त रूप में उभरे हैं। लिहाजा इस यात्रा को हलके में मत लीजियेगा।

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English summary
If you talk about Uttar Pradesh politics the ruling party Samajwadi Party actually trust on cycle more than on media.
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