तो जांबाज़ नमो के सामने बाज़ आ जायेंगे पाक-चीन
मोदी के नाम पर पाकिस्तानी मीडिया मानो बौखलाया हुआ है और सरकार आंख बंद कर विचार कर रही है कि 16 मई के बाद उनके देश की क्या स्ट्रैटेजी रहेगी। यह बात इसी से स्पष्ट होती है कि पाकिस्तानी मडिया में नरेंद्र मोदी को 'दहशतगर्द' की संज्ञा दी जा रही है और सरकार ने चार दिन पहले बयान जारी किया कि आने वाली सरकार के शासनकाल में भी पाकिस्तान भारत के साथ मधुर संबंध बनाकर चलने के प्रयास करेगा।
मधुरता रहेगी या नहीं, यह तो समय बतायेगा, लेकिन आखिर क्या कारण हैं जो मोदी से पड़ोसी देश अभी से ही घबराने लगे हैं? इस सवाल के उत्तर कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की करनी
और मोदी की कथनी में छिपे हैं और वो इस प्रकार हैं-
1. भारतीय सैनिक हेमराज का सिर कलम हुआ
कांग्रेस सरकार की करनी- हम पाकिस्तान से इस संबंध में बात करेंगे, यह कहने के 15 दिन बाद ही हमारे शीर्ष नेताओं ने बिरयानी और मुर्ग मुसल्लम की दावत पाकिस्तान के नेताओं को दे डाली।
मोदी की कथनी- देश के एक-एक नागरिक की सुरक्षा की जिम्मेदारी मेरी होगी, फिर वो चाहे जवान हो या आम आदमी।
2. कश्मीर के अभिन्न अंग गिलिगट को पाकिस्तान ने अपना राज्य घोषित कर दिया।
कांग्रेस सरकार की करनी- छह महीने बीतने के बाद दिल्ली में सरकार जागी और पाकिस्तान का विरोध जताया और तबतक बहुत देर हो चुकी थी।
मोदी की कथनी- देश के किसी भी कोने पर विदेशी ताकतों को कब्जा नहीं करने देंगे। पाकिस्तान हो या चीन अगर हमारी जमीन पर कदम रखने की जुर्रत की तो उसे खामियाजा भुगतना ही होगा।
3. चीन की सेना ने लद्दाख में घुसकर टेंट लगा दिये
कांग्रेस सरकार की करनी- सीमा पर तैनात सेना को ऑर्डर जारी कर दिये कि वो कुछ न बोले, सारी बातचीत कूटनीतिक ढंग से की जायेगी और करीब 15 दिनों तक चीन बेबाकी से हिन्दुस्तान की जमीन पर जमा रहा।
मोदी की कथनी- अरुणाचल में मोदी ने कहा, "मैं कसम खाता हूं कि मैं भारत की धरती की रक्षा करूंगा, अरुणाचल हो या लद्दाख मेरे भारत के इन अंगों को चीन कभी अलग नहीं कर पायेगा।
नेहरू के समय से कमजोरी
विदेश नीतियों के प्रसिद्ध टिप्पणीकार व सीडीएल विश्वविद्यालय सिरसा के शिक्षाविद वीरेंद्र सिंह चौहान का कहना है कि 1962 में जब चीन भारत पर आक्रमण की तैयारी कर रहा था, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी मौन बैठे थे और हिन्दी-चीनी भाई-भाई की बात कर रहे थे। चीन ने आक्रमण किया तब नेहरू के होश फाख्ता हो गये और तब उन्हें अहसास हुआ कि भारत ने कोई होमवर्क नहीं किया था।
चौहान आगे कहते हैं कि आज भी वही हाल है, चीन और पाकिस्तान रह-रह कर बदमाशी करते रहते हैं और दिल्ली मूक बनी बैठी रहती है। इससे दुनिया भर में यह संदेश चला गया है कि पिछले 10 वर्षों में दिल्ली कमजोर पड़ी है, जिस वजह से इस्लामाबाद और बीजिंग दोनों की हिम्मत बढ़ी है। ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री बनते ही नरेंद्र मोदी बंदूक लेकर बॉर्डर पर पहुंच जायेंगे या
फिर सेना को मार्च के आदेश दे देंगे, मोदी के आने से सिर्फ दिल्ली सख्त हो जायेगा और उसके सख्त होने से इस्लामाबाद और बिजिंग को कुछ भी करने से पहले 10 बार सोचना पड़ेगा।