भूत दिखाई देते हैं तो यह खबर आपके लिए चुनौती है
क्या आपने कभी भूत देखा है और आपकी बात का कोई यकीन नहीं मानता है। क्या आप भूतों से बहुत डरते हैं। क्या आप अकेले होने पर अंधेरे में भूत से डरते हैं। या कोई ऐसी जगह है जहां पर आपने भूत देखे औऱ बूरी तरह डर गए। या आपको आपके कमरे में ही भूत दिखाई देता है। क्या आपको यह महसूस होता है कि आपके बेड के नीचे कोई है, अदृश्य चीज। अगर वाकई भूतों से डरते हैं तो यह खबर आपके लिए तो चुनौती ही है।
भूतों के इसी डर को लेकर स्विस फ़ेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी की शोधकर्ता डॉ. जूलियो रोनिन कहते हैं भूत (आत्मा) दिखाई देना ऐसे होता है जैसे वाकई यह हमारे जीवन में घटित हो रहा है। वो स्थिति ऐसी होती है जब महसूस कर सकते हैं लेकिन उसे पूरी तरह से देख नहीं सकते। या अगर देख लिया तो कुछ कर नहीं पाते।
डॉ. रोनिन ने अपने शोधपत्र करंट बायोलॉजी जनरल में प्रकाशित भूतों के अस्तित्व पर सवाल उठाने के साथ ही उनको दिमागी मरीज बताया है जो लोग भूत के होने या भूत देखने का दावा करते हैं।
आप बैठते हैं तो भूत भी बैठता है, खड़े होते हैं तो भूत भी खड़ा हो जाता है
शोधकर्ताओं से भूत देखने का अनुभव करने वालों ने अपने अनुभव शेयर किए। वह बताते हैं कि जो काम वह कर रहे हैं या किसी खास वक्त में जो हरकत वह कर रहे हैं वहां मौजूद चीज यानी आत्मा उसी चीज को दोहराती है। अगर बैठे होते थे तो उन्हें महसूस होता था कि उनके साथ ठीक उसी मुद्रा में कोई अद्रश्य चीज बैठी हुई है। अगर वह खड़े होते थे तो उनको अहसास होता कि कोई अद्रश्य चीज उनकी जैसी हरकतें करते हुए खड़ी हुई है।
दिमागी भूत उतरा गया
शोधकर्ताओं की माने तो भूत एक दिमागी भूत होता है। इस बात का प्रमाण उन्होंने इस बात से दिया है कि ऐसे लोगों के दिमाग का स्कैन किया जिन्हें न्यूरोलॉजिकल विकार था। ऐसे लोगों ने भूत की मौजूदगी का अनुभव किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि यह सिर्फ न्यूरोलॉजिकल विकार था।
शोधकर्ताओं ने बताया है कि भूत का अनुभव करने वाले मरीजों के दिमाग के उस हिस्से में कुछ चोट लगी हुई थी जिसका संबन्ध आत्मबोध, हरकत और किसी स्थआन में शरीर की स्थिति से होता है।
क्या यह सिर्फ भ्रम था
शोधकर्ताओं का मानना है कि जब लोग भूतों की उपस्थिति को महसूस करते हैं। दरअसल, वह भ्रमित हो रहे होते हैं। शोध करने वालों का मानना है कि भूत जैसी गतिविधियों का अनुमान उनके इसी भ्रम के कारण लगाया जाता है। डॉ. रोनिन का कहना है कि हमारा दिमाग किसी स्थान में हमारे शरीर को कई जगह रखता है। सामान्य परिस्थितियों में यह इनका आधार खुद के द्वारा तैयार एक छवि को बनाता है।