Exclusive Interview: कीर्ति आजाद बोले बिहार का सत्यानाश कर देंगे लालू-नीतीश
नयी दिल्ली (बविता झा)। एक सफर क्रिकटर के तौर पर अपना करियर शुरु करने वाले कीर्ति आजाद ने कभी सोचा ना था कि वो कभी राजनीति के दंगल में अपनी किस्मत आजमाएगें। अपने पिता के नक्शेकदम पर चलने वाले कीर्ति ने क्रिकेट जगत से संन्यास लेकर 1993 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा। राजनीति में आने के साथ ही उन्हें लग गया था कि यहां करने के लिए बहुत कुछ है। ऐसे में अपनी मातृभूमि मिथिला के की लड़ाई को हथियार बनाकर कीर्ति ने राजनीति को अपने धर्म के तौर पर अपना लिया और अपना जीवन मिथिला के नाम समर्पित कर दिया।
3 बार दरभंगा लोकसभा सीट से सांसद चुने गए भाजपा सांसद कीर्ति झा आजाद ने संसद में मैथिली में शपथ लेकर सबको चैंका दिया। दरभंगा समेत आस-पास के सभी मिथिलांचल इलाकों में कीर्ति की चमक उनके काम का ही नतीजा है। आजाद के साथ एक खास मुलाकात में वनइंडिया ने अलग-अलग मुद्दों पर उनकी राय जानने की कोशिश की। तो चलिये पढ़ते हैं आजाद से एक मुलाकात...
प्रश्न: पिछले कुछ समय से बिहार की राजनीति में बीजेपी के अंदर ही चीर-फाड़ मची है, जैसे कि शत्रुघ्न सिन्हा बयान देते हैं कि वो मोदी की गुड लिस्ट में नहीं है, फिर वो कहते हैं कि वो सीएम रेस में शामिल नहीं। इस बारे में आप क्या कहेंगे?
उत्तर: (अपने चिर-परिचित अंजाद में) वो बिहार में नेतृत्व पर कोई सवाल नहीं उटाना चाहते हैं। नेतृत्व का फैसला करना पार्टी आलाकमान का काम है। ऐसे में नेतृत्व पर उंगली उठना उचित नहीं हैं। काम के हिसाब ने पार्टी सबको मौका देती है। सुशील मोदी ने यहां काम किया है ऐसे में उनके नेतृत्व पर प्रश्न उठाना गलत है।
प्रश्न: क्या आपको नहीं लगता कि नीतीश-लालू के साथ होने का नुकसान चुनाव में बीजेपी को नुकसान होगा। जैसा कि उपचुनाव में दिखा?
उत्तर: नीतीश कुमार जिन्हें पहले चारा चोर कहते थे अब उनके साथ ही दोस्ती का हाथ मिला रहे हैं। नीतीश और लालू को सत्ता का भोग करने की आदत बन गई है और इसके लिए वो कुछ भी करने के लिए तैयार है। अगर ये गठबंधन कामयाब हुआ तो बिहार का सत्यानाथ होना तय है। नीतीश को दवा चोर और लालू चारा चोर कहे जाते है और दोनों को जनता की सेवा नहीं बल्कि सत्ता का मेवा चाहिए।
प्रश्न: क्या एक बार फिर से बिहार में चुनाव का मुद्दा विकास ना होकर जातिवाद पर टिक गया है?
उत्तर: ये हमारे देश का दुर्भाग्य है कि हम इससे ऊपर उठ नहीं पाते है। खासकर उत्तर भारत के राज्यों में जब जातिवाद किया है और लोग उसका फायदा उठाते हैं और राजनैतिक रोटियां सेकते हैं।
प्रश्न: भाजपा अपने आप को बिहार चुनाव में किस रूप में प्रोजेक्ट करते हैं?
उत्तर: भारतीय जनता पार्टी किसी परिवारवाद की पार्टी नहीं है। यहां हमारे पास नौजवान नेतृत्व है। हम हार पर चिंतन करेंगे और उसे पूरा करने की कोशिश करेंगे।
प्रश्न: आप दरभंगा से सांसद है ऐसे में आपसे पूछना चाहेंगे कि मोदी का विकास नारा दरभंगा में कब पहुंचेगा?
उत्तर: ये हमारे दुर्भाग्य है कि राज्य सरकार की वजह से दरभंगा का विकास नहीं हो पा रहा है। कई योजनाएं हम लेकर आए, लेकिन योजना का क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा हैं। बिजली की समस्या के लिए एनटीपीसी से बात की लेकिन राज्य सरकार की दखल की वजह से आज तक वहां बिजली के लिए जमीन नहीं मिल पाई। स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए हमने एनआरएचएम से बात कर उन्हें दरभंगा में गौशाला की जमीन भी दिलाई, लेकिन आज तक वो पाइल पटना में धूल फांक रही है। बिहार सरकार जानबूझ कर मिथिला का विकास बाधित कर रहे हैं।
प्रश्न: देश के युवा मोदी सरकार की ओर आस की निगाहों से देश रहे हैं, ऐसे में बिहार और दरभंगा के युवाओं के लिए क्या प्लानिंग है?
उत्तर: बिहार और दरभंगा के युवकों को कुशल बनाने के लिए इग्नू के रीजिनल डायरेक्ट से बात की है। वो दरभंगा में 10 स्टडी सेंटर खोलना चाहते हैं। इन सेंटरों में युवाओं को स्कील डेवलमेंट के कोर्स कराए जाएंगे। ताकि बिहार के युवा अपने आपको दक्ष बना सकें। हमारे नौजवान ऊर्जावान है। उन्हें सिर्फ सही दिशा देने की जरुरत हैं। बेसिक स्तर पर मैथिली में बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा होनी चाहिए। ताकि बच्चे अपनी मातृ-भाषा में जानकारी को सीख सके। अपनी मातृभाषा में चीजों को सीखना आसान होता है।