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पढ़ें नरेंद्र मोदी की कविता- 'मौसम है चुस्कियाना'

By Pankaj Prasoon
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Namo Chai
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केजरीवाल- "करुण रस में बहुत कम लिखा जा जा रहा है। यह कविता निश्चित रूप से साहित्य में स्थान बनायेगी। अब मैं माइक पर बुलाना चाहूंगा वीर रस के उस चर्चित कवि को जिसका सीना 56 इंच से शुरू होकर 80 तक पहुँच चुका है। जिसकी फड़कती कविता गुजरात की धरती से निकल कर आज पूरे देश में लाखों की भीड़ में सुनी जा रही है। मैं इन दो पंक्तियों मैं नरेन्द्र चंचल उर्फ़ ज्वाला गुजरातवी को आवाज देता हूँ"

प्रयोगों के धनी हैं, गुझिया में चायपत्ती भरने चले हैं,
यानी समूचे देश का मोदीफिकेशन करने चले हैं।

ज्वाला जी ने आते ही वीर रस का मुक्तक पढ़ा-

या बदचलन हवाओं का रुख मोड़ दूंगा मैं।
या खुद को चायवाला आज कहना छोड़ दूंगा मैं।
अगर जीत पाया न जंग-ए -सियासत
कांग्रेस को फाड़ दूंगा मैं सपा को तोड़ दूंगा मैं।

भरपूर तालियों के बीच ज्वाला जी ने पैरोडी गीत गाना शुरू किया -

"मौसम है चुस्कियाना, ऐ देश की प्यारी जनता मेरी चाय पी के जाना "

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English summary
An Indian Political League has been organized on April Fools Day. Haasya Vyangya by Pankaj Prasoon on Arvind Kejriwal and Narendra Modi.
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