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50 साल बाद हटीं बेड़ियां तो निकल पड़े 'राजू' के आंसू

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नई दिल्‍ली। पिछले 50 वर्षों से बे‍ड़ियों में जकड़ा राजू जब आजाद हुआ तो बरबस ही उसके आंसू निकले पड़े। अक्‍सर इंसानों को लगता है कि उसके ही आंसू अनमोल हैं और सिर्फ वही दर्द को समझ सकता है लेकिन जब राजू नाम के हाथी को आजादी मिली तो उसने इंसानों की इस सोच को गलत साबित कर दिया।

चार जुलाई को जब अमेरिका अपना स्‍वतंत्रता दिवस मना रहा था तो भारत में राजू अपनी आजादी का जश्‍न मना रहा था।

राजू को उत्‍तर प्रदेश में कंटीली बेड़ियों में कैद करके रखा गया था और वह सिर्फ पर्यटकों की ओर से मिलने वाले खाने पर ही जिंदा था। आखिरकार जानवरों की रक्षा के लिए काम करने वाली संस्‍था वाइल्‍डलाइफ एसओएस की एक टीम की ओर से राजू को बचाने के लिए एक रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन चलाया गया।तब कहीं जाकर राजू को आजादी हासिल हो सकी।

राजू की दर्दनाक कहानी शायद आपकी आंखें भी नम कर दे। हाथी, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह इंद्र देव का वाहन है और जिसे शान की सवारी माना जाता है, जमीन पर इंसानों से मिलने वाली भीख पर जिंदा था।

राजू को पूरे दिन बांधकर रखा जाता था। न तो उसे भरपेट खाना मिलता और ना ही ठीक से पीने के लिए पानी मिल पाता।

वह पूरा दिन अपनी सूंड़ उठाकर भूख से कराहता रहता और जब लोगों को दया आ जाती तो उसे जूठन या फिर कुछ और खाने को दे देते।

जिस टीम राजू ने राजू की जान बचाई है, उसमें 10 लोग शामिल थे, जिनमें वेटनरी डॉक्‍टर और विशेषज्ञों को अहम रूप से शामिल किया गया था। संस्‍था की मानें तो यह रेस्‍क्‍यू पूरी टीम के लिए ही काफी इमोशनल था।

आगे की स्‍लाइड्स में देखिए राजू की पांच ऐसी तस्‍वीरें जो आपको सोचनें पर मजबूर कर देंगी कि जानवरों और इंसानों के बीच आखिर जानवर कौन है।

वानिकी विभाग ने कहा थैंक्‍स

वानिकी विभाग ने कहा थैंक्‍स

पूरी टीम राजू के आंखों में आंसू को देखकर न सिर्फ हैरान थी बल्कि टीम के लिए भी यह अलग तरह का अनुभव था। राजू के आजाद होने के बाद उत्‍तर प्रदेश के वानिकी विभाग की ओर से भी संस्‍था का शुक्रिया अदा किया गया है।

 तेजी से किया एनजीओ ने काम

तेजी से किया एनजीओ ने काम

संस्‍था के सह संस्‍थापक कार्तिक सत्‍यनारायण की मानें तो इस पूरे मसले पर काफी तेजी से काम करना था क्‍योंकि हमें मालूम था कि राजू की जिंदगी खतरे में है। राजू को अब जहां पर रखा गया है वहां पर उसके साथ सात और हाथी रहेंगे।

ताकि राजू को न लगे कमजोरी

ताकि राजू को न लगे कमजोरी

राजू को बचाने के लिए 10 पहियों वाले एक ट्रक की व्‍यवस्‍था खासतौर पर की गई थी। वेटनेरी एक्‍सपर्ट्स की टीम ने राजू को ठंडे पानी में रखा ताकि उसे डिहाइड्रेशन से बचाया जा सके। रास्‍ते में सफर के दौरान राजू को केले, आम और दूसरे फल खिलाए गए ताकि उसे ताकत मिल सके।

छह महीने में ठीक होगा राजू

छह महीने में ठीक होगा राजू

डॉक्‍टर येदुराज खाडपेकर जोकि इस संस्‍था के साथ बतौर वेटनेरी एक्‍सपर्ट जुड़े हैं, ने इस रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन को अंजाम दिया। डॉक्‍टर येदुराज कहते हैं कि इस पूरे ऑपरेशन को काफी सावधानी के साथ अंजाम देना था। उन्‍होंने बताया कि राजू की सेहत ठीक होने में अभी काफी वक्‍त लगेगा। अगले छह महीने तक राजू पर डॉक्‍टर करीब से नजर रखेंगे।

पैर पर हो गए हैं घाव

पैर पर हो गए हैं घाव

इस तस्‍वीर में आप उन बेड़ियों को देख सकते हैं जिनसे राजू को बांधकर रखा जाता था। इस तरह की एक नहीं बल्कि कई बेड़ियां राजू के पैर में पड़ी होती थीं। आपको राजू के पैर में घाव भी साफ नजर आएंगे।

 अब नहीं लगेंगी बेड़ियां

अब नहीं लगेंगी बेड़ियां

राजू को इस समय मथुरा के कंजर्वेशन एंड केयर सेंटर में रखा गया है। यह देश का पहला ऐसा सेंटर है जहां पर हाथियों को चेन से बांधा नहीं जाता है बल्कि वह आजाद घूमते हैं। आजादी से पहले राजू को पूरे दिन चेन से बांधकर रखा जाता था और उसके मालिक उसे बुरी तरह से पीटते थे।

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English summary
A elephant named Raju cried when he set freed in a rescue operation after 50 years. NGO who works to save wildlife saved Raju's life and now the elephant is in Mathura conservation centre.
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