जानिए 'पूर्ण स्वराज' की मांग करने वाले बाल गंगाधर तिलक से जुड़ी 7 बातें
"स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा"
इस कथन के साथ ही महान् स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक ने सबसे पहले ब्रिटिश राज में पूर्ण स्वराज की मांग उठाई। बाल गंगाधर तिलक का जन्म आज के दिन ही हुआ था। इन्हें आदर के साथ लोकमान्य (पूरे विश्व में सम्मानित) कहा जाता था।
हिंदू राष्ट्रवाद का पिता कहे जाने वाले तिलक ने भारत के प्रमुख नेता, समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे। यह अंग्रजी शिक्षा के खिलाफ थे और इन्होंने हिंदी को पूरे राष्ट्र की भाषा बनाने पर जोर दिया। तिलक में समाज सुधारक के रूप में भी कई कदम उठाए थे। ये बाल विवाह के सख्त खिलाफ थे।
देखते हैं, बाल गंगाधर तिलक से जुड़ी कुछ बातें जो हर हिंदुस्तानी के जेहन में होनी चाहिए।
स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है
बाल गंगाधर तिलक का कथन "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा"काफी प्रसिद्ध हुआ था। ये ब्रिटिश राज में पूर्ण स्वराज की मांग करने वाले पहले व्यक्ति थे।
हिंदू राष्ट्रवाद
बाल गंगाधर तिलक को हिंदू राष्ट्रवाद का पिता भी कहा जाता है।
समाज सुधारक
बाल गंगाधर तिलक ने समाज सुधार की तरफ कई महत्वपूर्ण कदम उठाए थे। वे बाल विवाह के सख्त विरोधी थे।
लेखन में रुचि
उन्होंने यूं तो कई पुस्तकें लिखीं, लेकिन मांडले जेल में लिखी गयी गीता-रहस्य सर्वोत्कृष्ट है। इसका कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
समाचार पत्र का संपादन
तिलक ने मराठा व केसरी नाम से दो दैनिक अखबार की शुरुआत की थी। जो आम जन के बीच काफी लोकप्रिय हुआ।
होम रूल लीग
उन्होंने एनी बेसेंट और मुहम्मद अली जिन्ना के साथ मिलकर अखिल भारतीय होम रूल लीग की स्थापना की थी।
लाल-बाल-पाल
1907 में कांग्रेस नरम दल और गरम दल में विभाजित हो गई। गरम दल में तिलक के साथ लाला लाजपत राय और बिपिन चन्द्र पाल शामिल थे। इनकी जोड़ी लाल-बाल-पाल के नाम से प्रसिद्ध हो गई।