भारत-पाक के बीच 1965 की जंग की 50वीं वर्षगांठ
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। यूं तो भारतीय वायुसेना 1965 के भारत-पाक युद्ध की 50वीं वर्षगांठ मना रही है और इस अवसर पर वायुसेना अध्यक्ष (सीएएस) एयर चीफ मार्शल अरूप राहा ने पालम एयर फोर्स स्टेशन के वायुसेना युद्ध स्मारक पर 1965 के युद्ध में देश के लिए प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की, पर यह सवाल अपनी जगह बना हुआ है कि आखुर देश को कब मिलेगा युद्ध स्मारक।
केन्द्र सरकार ने अपने अंतरिम बजट में स्मारक के लिए 100 करोड़ रुपये रखे भी हैं। पर स्मारक कब बनेगा यह देखने वाली बात है। कारण यह है कि जिधर स्मारक बनाने का प्रस्ताव है, वहां पर बड़ी संख्या में लोग रह रहे हैं। उन्हें वहां से हटाना कोई आसान काम नहीं है।
जांबाज भी शामिल हुए
वायुसेना के पूर्व प्रमुखों तथा 1965 में वायुसेना की कार्रवाई में भाग लेने वाले जांबाज भी शामिल हुए। वायुसेना प्रमुख ने युद्ध स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद वायुसेना संग्रहालय में 1965 युद्ध प्रभाग का उद्घाटन किया। प्रभाग में सुनियोजित तरीके से रखी गई पेटिंग, फोटोग्राफ, टुकड़ियों की युद्ध डायरी तथा शिल्पकृतियां प्रदर्शित की गई हैं।
वायुसेना अध्यक्ष ने इस ऐतिहासिक अवसर पर 1965 के युद्ध में वायुसेना की युद्ध सफलता दिखाने वाले चार चित्रों को विशेष रूप से मंगाया है। संग्रहालय के 1965 युद्ध प्रभाग में युद्ध के दौरान इस्तेमाल विमानों, युद्ध में प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों तथा अन्य पुरस्कार विजेताओं को दिखाया गया है। लड़ाई के दौरान युद्ध सम्मान प्राप्त करने वाली टुकड़ियों के कमान अधिकारी भी इस समारोह में अपनी पदकों को दिखाते हुए मौजूद थे।
1965 का भारत-पाक युद्ध भारतीय उप-महाद्वीप के सैन्य इतिहास का पत्थर है। युद्ध वायु में युद्ध करने वाले भारतीय वायुसेना के जांबाजों के अदम्य उत्साह के लिए भारतीय वायु सेना को तीन महावीर चक्र तथा 43 वीरचक्र प्राप्त हुए। रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि अब सरकार को बिना किसी देरी के स्मारक बनाना चाहिए।