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10 बातें जो रोकती हैं भारत को शक्त‍िशाली बनने से

By Annu Mishra
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नई दिल्ली। हाल ही में बजट सत्र के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि वो भारत को दुनिया की तीन सबसे बड़ी आर्थ‍िक शक्त‍ियों में लाना चाहते हैं। उनके बजट की आलोचना तमाम विरोधी दलों ने की, लेकिन किसी ने इस बात की समीक्षा नहीं की। और न ही किसी बड़े अर्थशास्त्री ने इस मुद्दे पर विचार किया। कईयों ने सोचा कि यह वो सपना है जो कभी पूरा नहीं हो पायेगा, तो कईयों ने सकारात्मक विचारों के साथ कहा, हां जरूर भारत दुनिया की सबसे बड़ी आर्थ‍िक शक्त‍ि बन सकता है।

हम भी इस सकारात्मक विचार से सरोकार रखते हैं, लेकिन कुछ बातें ऐसी हैं, जिन्हें देश के नीति निर्धारकों को गहरायी से लेना ही होगा। वर्तमान में भारत की जीडीपी का लक्ष्य 4.8 फीसदी था पर हमें सफलता मिली 4.5 फीसदी विकास दर पर। पर यह कोई नई बात नहीं है। हर बार भारत की अर्थव्यवस्था तय विकास दर से चूक जाती है। अगर इस विषय पर गहराई से सोचें तो कुछ ऐसे कारक उभरते हैं, जो हमारे सामने तो मौजूद है पर फिर भी उस पर सरकार की तरफ से कोई सुधार की पहल नज़र नहीं आती।

ये वो कारक हैं, जिन पर अगर त्वरित ऐक्शन ले लिया जाये, तो भारत अगले पांच-दस वर्षों में ही बड़ी आर्थ‍िक शक्त‍ि के रूप में उभर सकता है। यदि सच में सरकार देश की आर्थिक व्यवस्था को विश्व की तीसरी सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था के रुप में स्थापित करना चाहती है तो उसे बारिकी से हर पहलु पर विचार करना होगा हर मुददे पर विकास करना होगा।

बांग्लादेशी और नेपालियों का प्रवास

बांग्लादेशी और नेपालियों का प्रवास

भारत में बड़े स्तर पर बंग्लादेशी और नेपाली शरणार्थियों की घुसपैठ देश की जनसंख्या पर प्रत्यक्ष रुप से हावी हो रही है। और इस बात में कोई दोराय नहीं है कि एक विकासशील देश के लिए जनसंख्या का असंतुलित होना उसके आर्थिक विकास की राह में बहुत बडी बाधा है। नेपाली और बंग्लादेषी शरणार्थि अवैध रुप से देश की सीमा में प्रवेश कर रहें हैं और इन्होने मुख्य रुप से सीमावर्ति इलाकों जैसे पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तराखण्ड को अपना अडडा बनाया है।

अल्पसंख्यक समुदायों से अध‍िक घुसपैठिये हैं

अल्पसंख्यक समुदायों से अध‍िक घुसपैठिये हैं

आज नौबत यहां तक आ गई है कि इन शरणार्थियों की संख्या अल्पसख्यक समुदायों से भी अधिक हो गई है. हैरत की बात तो यह है कि इन अवैध घुसपैठियों के पास यूनिक आईडेंटिफिकेशन नम्बर भी मौजूद होने की संभावना भी जताई जा चुकी है जो देश के लिए एक बडा खतरा साबित हो सकता है।

बेरोजगारी एक बड़ी समस्या

बेरोजगारी एक बड़ी समस्या

इन प्रवासियों में से अधिकतर अशिक्षित और अल्प शिक्षिक हैं जो देश में शैक्षिक स्तर पर भी नकरात्मक असर डालते हैं। आज जनसंख्या की अधिकता के कारण बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बन गई है जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा संकट है।

श‍िक्षा की गुणवत्ता

श‍िक्षा की गुणवत्ता

इसके अतिरिक्त देखा जाए तो भारत की शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता में कमी को आंका गया है। यदि अन्य देशों से तुलना करें तो प्रौधोगिकी और अनुसंधान के क्षेत्र में भारत की कोई विषेश उपलब्ध‍ि नहीं दिखाई देती। भारत अब भी अच्छी टेकिनक्स के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है जो भारत के बजट पर असर डालता है।

स्क‍लि डेवलपमेंट

स्क‍लि डेवलपमेंट

भारत को जरुरत है नए और मजबूत स्किल पावर की जो नई टेक्नोलोजियों का विकास कर पाए ताकि प्रौधोगिकी के क्षेत्र में उत्पादन क्षमता बढ़े और आयात कम हो।

कृष‍ि उत्पादन

कृष‍ि उत्पादन

कृषि भारत के सकल घरेलु उत्पाद का एक मुख्य जरिया है। ऐसे में जरुरत है ऐसी नीतियों की जो कृषि विकास दर को बढ़ा सके। आज वैश्वीकरण के दौर में कहीं न कहीं कृषि व्यवस्था पर सरकार उतना ध्यान नहीं दे पा रही जितना औधोगिक क्षेत्रों पर मृदा संरक्षण, कृषि प्रादेशिक जलवायुकरण, वाटर शेड प्रबंधन आदि के विषय में सरकार को पहल कदमी की जरुरत है।

खाद्य प्रबंधन

खाद्य प्रबंधन

साथ ही सरकार को खाध प्रबंधन की दिशा में भी प्रयास करने होगें। क्योंकि इसके अभाव में टनों टन अनाज गोदामों में सड़ जाता है न वो जनता के ही काम आ पाता है न ही विदेशी बाजार में निर्यात के, उल्टा भारत को विदेषी बाजार से खाध वस्तुएँ आयात करनी पडती है।

इंफ्रास्ट्रक्चर बेहाल

इंफ्रास्ट्रक्चर बेहाल

भारत को जरुरत है राज्यों में, शहरों में संरचनात्मक विकास करने की। क्योंकि आज भी देश का लगभग 60 फीसदी भाग में परिवहन, सड़क की हालत खराब है, न विकसित ईमारतें हैं, न विकसित शहर न ऐसे बाजार जहां कोई कम्पनी निवेश करना चाहे। यदि विकास दिखता भी है तो उन स्थलों पर जो देश की कीर्तिस्तम्भ है। जब कलकत्ता जैसे महानगर कि स्थिति र्जजर है तो छोटे शहरों का कहना ही क्या। ऐसे में विदेशी कम्पनियाँ तो दूर की बात है देश की कम्पनियाँ भी ऐसे शहरों में जाना पसंद नहीं करती। विकास की कमी का खामियाजा भारत के पर्यटन उधौग पर भी पड़ता दिखाई दे रहा है।

शर्तों पर एफडीआई

शर्तों पर एफडीआई

भारत को चाहिये की वो इस विकास के दौर में विदेशी कम्पनियों का स्वागत करें ताकि देश की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने में इनसे सहयोग मिले। यदि बात एफडीआई जैसी नीति की ही करें तो केन्द्र तथा राज्य की सरकार को इस विषय पर राजनीतिक -दृष्ट से कम और आर्थिक विकास की -दृष्टि से ज्यादा सोचने की आवश्यकता है।

स्वास्थ्य सेवाएं

स्वास्थ्य सेवाएं

देश की अर्थव्यवस्था का सरोकार देश की स्वास्थ्य सेवाओं से भी जुड़ा हुआ है। बदहाल स्वस्थ्य सेवाओं के कारण मैन पावर से उतना आउटपुट नहीं मिल पाता है, जितना कि मिलना चाहिये।

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English summary
Finance Minister P Chidambaram said that he wants to see India in top three economic powers of the World. There are 10 facts about India which stops it to become Powerful.
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